मै नहीं कोई ताल तलैया
ना ही मैं सागर हूँ।
मीठे पानी की झील भी नहीं,
मैं बहती सरिता हूँ।
सरल नहीं रास्ते मेरे
चट्टनों को काटा है।
ऊपर से नीचे आने.में
झरने कई बनाये मैने
इन झरनों के गिरने पर
प्रकृति भी मुस्काई है
पर मेरी इक इक बूँद ने यहाँ
हर पल चोट खाई है।
ये रंगीन दृष्य तोहफे मे ले लो
आज बस ये ही लाई हूँ।
मै नहीं आँधी तूफान हूँ
ना ही मैं मानसून लाई हूँ
मैतो पछुवाई बयार हूँ
प्रेम पसारने को आई हूँ
कमरों से बाहर तो निकलो
आओ मुझको गले लगा लो
थोड़े से फल फूल ये लेलो
आज तोहफा बस ये लाई हूँ।