हुए पूरे 40 दिन लॉक डाउन के

0
153

हुए पूरे 40 दिन लॉक डाउन के,हम क्या क्या नहीं कर पाये |
चकला बेलन झाड़ू पौछा कर लिये ,क्या बच्चो को नहलाये ||

बीबी कहती घर में पड़े रहते ,अब बाहर क्यों नहीं जाते ?
हम बोले बाहर पुलिस का पहरा है,क्या उनसे पिट कर आते ?

कैसा है ये लॉक डाउन ,कही लगा नहीं है ताला |
बिन ताले घर में बंद है,ये कैसा पड़ा है पाला ||

कर लिए है सभी काम,घर की कर ली साफ़ सफाई |
बीबी फिर भी कहती,अभी तक तुम्हे अक्ल नहीं आई ||

अक्ल कहाँ से आती,अक्ल पे पड़ा लॉक डाउन का ताला |
चाबी तो बीबी पर रहती,फिर कैसे खुले अक्ल का ताला ||

आर के रस्तोगी

Previous articleशिव सरिस नृत्य करत रहत, निर्भय योगी !
Next articleकोरोना कहर ने बदल दी सोच एवं संवेदनाएं
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here