हुए पूरे 40 दिन लॉक डाउन के

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हुए पूरे 40 दिन लॉक डाउन के,हम क्या क्या नहीं कर पाये |
चकला बेलन झाड़ू पौछा कर लिये ,क्या बच्चो को नहलाये ||

बीबी कहती घर में पड़े रहते ,अब बाहर क्यों नहीं जाते ?
हम बोले बाहर पुलिस का पहरा है,क्या उनसे पिट कर आते ?

कैसा है ये लॉक डाउन ,कही लगा नहीं है ताला |
बिन ताले घर में बंद है,ये कैसा पड़ा है पाला ||

कर लिए है सभी काम,घर की कर ली साफ़ सफाई |
बीबी फिर भी कहती,अभी तक तुम्हे अक्ल नहीं आई ||

अक्ल कहाँ से आती,अक्ल पे पड़ा लॉक डाउन का ताला |
चाबी तो बीबी पर रहती,फिर कैसे खुले अक्ल का ताला ||

आर के रस्तोगी

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जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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