क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती, सबसे ज़्यादा प्रदूषण तो अति
-विशिष्ट बिरादरी ही फैलाती है जी ! जीजा जी से ज्यादा कौन जानता है !
उनसे ज़्यादा वीआईपी के मज़े किसने लुटे हैं जी ! जीजा जी ! बोले तो !
रॉबर्ट जी वाड्रा ने फ़रमाया है कि आड -इवन के ढोंग में वर्जित के बराबर
छूट की लम्बी सूची है।
हवा में भी हवा बाज़ी! अरे भाई रोक लगानी है तो सब पर लगाओ। यह भी कोई बात
हुई ? वीआईपीज़ तो सरपट गाड़िया दौड़ाएं दिल्ली की सड़कों पर और उन जैसा आम
आदमी एक दिन अपना ‘काम काज़ ‘ निपटने को ताकता रहे या फिर साला साहेब या
सासू माँ गाडी के जुगाड़ से जूझे ?
इसे ही तो कहते हैं ‘असहिषुणता ‘ पॉलिटिक्स आफ रिवेंज। हमारे सिंह साहेब
की सदारत में हमें किसी ने नहीं रोक कहीं भी ‘आने जाने ‘ से। किसी ने
हमारे सामान की ‘लोडिंग ‘ जांच तक नहीं की कभी। सिंह साहेब ने तो हमारे
जैसे ‘आम’ आदमी का नाम ही लिखवा दिया था वी वी आई पीज़ की सूची में, हमारी
सासू माँ की सासू माँ ‘नामित’ एयर पोर्ट पर। सबसे बड़े वी वी आई पी,
महामहिम, का नाम सबसे ऊपर और हमारे जैसे आम वी वी आई पी का नाम सबसे
नीचे।
क्या ज़माना आ गया ! जिनका कभी विदेश यात्रा से पूर्व कभी सामान तक नहीं
चेक किया गया था, आज उनकी गाड्डी का नंबर चेक किया जाएगा। बहुत बे-इंसाफी
है जी !