हरियाणा में एक बार फिर चुनावी विगुल बज चुका है। हर राजनीतिक दल अपने चुनावी मुद्दों के साथ मैदान में उतर रहे हैं। एक दूसरे पर ताना कसने का सिलसिला शुरू हो गया है। विकास का ऐजेण्डा हर नेता की जुबान पर है। प्रदेश में 90 विधानसभा की सीटों पर हो रहे मतदान में उम्मीदवार का फैसला उनके कार्यों पर निर्भर करेगा। बात करे हम अगर प्रदेश की तोशाम विधानसभा सीट की जहां हमेशा से जाट समुदाय के प्रत्याशी ही जीत कर आए हैं। 107 गावों की इस विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा (24 प्रतिशत) जाट वर्ग के मतदाता है। जो कि अन्य वर्ग से सबसे अधिक है। भिवानी जिले के पश्चिम में स्थित तोशाम विधानसभा क्षेत्र का प्रमुख गांव है। अरावली पहाडियों के तलहटी में बसा तोशाम हरियाणा की राजनीति का हमेशा से गढ़ रहा है। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद 1967 मे तोशाम विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। पहली बार इस विधानसभा सीट से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री स्वं चौधरी बंसीलाल को कुछ समय के लिए चुना गया। प्रदेश का अधिकत्तर कृषि विकास और औद्यौगिक बुनयादी ढ़ाचे का निर्माण बंसीलाल की अगुवाई में हुआ। उनकी इस लोकप्रियता और विकास कार्यों को देख तोशाम की जनता ने उन्हें सात बार चुनकर विधानसभा भेजा। स्वं चौधरी बंसीलाल 1968, 1972, 1986 और 1996 में चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। इस दौरान प्रदेश के विकास के लिए उन्होने बहुत सारे कार्य किए। सत्तर के दशक के अंत में एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होने प्रदेश का अंधियारा दूर कर सभी गांवों का बिजलीकरण कराया। एक तरफ हरियाणा में कहा जाता है कि यहां दूध दही घी की नदियां बहती है पर दूसरी तरफ सूबे की प्रमुख समस्या पानी की थी । जिसे लेकर बंसीलाल और उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने अनेक योजनाएं चलाई। पानी की समस्या दूर करने हेतू पेयजल नहरीकरण कराया। 1979 में भजनलाल हरियाणा की राजनीति में एक बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर के आए। उस समय जनता पार्टी के कई विधायकों को अपने साथ लेकर कई वर्षों तक सूबे के मुखिया रहे। ऐसी विपत्ति परिस्थितियों में भी बंसीलाल ने अपने आत्मसम्मान को बरकरार रखते हुए भजनलाल से कोई समझौता नही किया। सब्र और विकास कार्यों ने एक बार फिर अपना रंग दिखाया। वे भिवानी लोकसभा से 1980,1984,1989, में चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचे। जिसमें वे 1984 में रेलमंत्री और 1986 में परिवहन मंत्री रहे। 1991 में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया । 1996 में एक बार फिर उन्होने हरियाणा की बागडोर सभांली। 2004 में हरियाणा विकास पार्टी का विलय कांग्रेस में हो गया। 2005 मे जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो पिता के नक्शे कदम पर चलने और किए गए विकास कार्यों को देख सुरेंद्र सिंह को मंत्री पद मिला। लेकिन मार्च 2005 में बंसीलाल के परिवार पर एक कहर टूट पड़ा। सुरेंद्र सिंह की सहारनपुर के पास एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद बंसीलाल टूट गए और लगातार बीमार भी रहने लगे थे। परिवार पर उस समय विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा था। परिवार में सक्रिय राजनीति का एक युवा चेहरा उन लोगों के बीच नही था। सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी का 2005 से पहले राजनीति में कोई हस्तक्षेप नही था। पर पति के मृत्यु के बाद परिवार के गढ़ मानी जाने वाली तोशाम विधानसभा सीट से पहली बार उपचुनाव में मैदान में उतरी। उपचुनाव में 25 हजार से अधिक मतों से जीतकर इतिहास रच दिया। अपने पति के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए और प्रदेश का विकास करना शुरू कर दिया। क्षेत्र की सम्स्याओं को गम्भीरता से लेते हुए जनता की सेवा में जुट गई। ये मेहनत एक बार फिर से अपना असर दिखाया और 2009 में किरण चौधरी को जनता नें दोबारा चुनकर भेजा। जिसमें हरियाणा सरकार में उन्हें मंत्री पद भी मिला। पिता-पति के अथक प्रयासों के बावजूद प्रदेश में पानी की प्रमुख समस्या थी। जिले में पानी की समस्या को दूर करने का प्रयास ही नही किया बल्कि कर दिखाया। तोशाम क्षेत्र के गांव डिगरोता में 11 लाख रूपए से अधिक लागत में नलकूप का उद्धघाटन किया। गांव रिवासा और भांडोर में करोडों की अधिक लागत राशि से नहरी पेयजल और वाटर वर्क्स का शिलांयास किया। गांव पल और गांव गडानिया में लाखों की लागत से नलकूप का शिलांयास किया। अपने वादों के अनुसार कार्य कर दिखाया और साथ ही वादा भी किया की आने वाले समय में पेयजल और सीवरेज की समस्या नही रहेगी। अपने क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश में मंत्र होने का पूरा ख्याल रखते हुए महेंद्रगढ़ विधानसभा में भी 80 प्रतिशत गावों में नलकूप पाइपलाइन का कार्य करवाया। पानी की समस्या को दूर करने के लिए वाटर टैंक भी बनाए जा रहे हैं। किरण चौधरी ने भिवानी शहर के लिए 431 करोड़ की पानी विकास और सीवरेज की योजना चलाई है जिससे लगभग 40 सालों तक वहां के लोगों को पानी और सीवर की समस्या का सामना नही करना पड़ेगा। किरण ने अपनी विधानसभा क्षेत्र को ही नही पूरे जिले को अपने परिवार की तरह समझा है। लड़िकयों की शिक्षा को लेकर भी तोशाम क्षेत्र में बालिका कॉलेज को खुलवाया। नया बस स्टैंड, हर्बल पार्क, क्षेत्र के हर गांव में पानी की सम्स्या को दूर करने के लिए वाटर वर्क्स का निर्माण कराया। युवाओं के रोजगार को लेकर भी काफी कार्य चौधरी ने किया है । भिवानी जिले का गांव तोशाम खनन क्षेत्र के रूप में मशहूर है। इस खनन के वजह से वहां के लोगों को रोजगार मिलता था। हरियाणा में वर्ष 2005 से पहले जब कांग्रेस की सरकार नहीं थी, उस समय जापान के सहयोग से वन विभाग द्वारा जेबीआईसी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, जिस पर 400 करोड़ रुपये खर्च हुए। साथ ही वहां के लोगों को रोजगार भी मिल रहा था। इस प्रोजेक्ट के तहत अरावली शृंखला में पौधरोपण का अभियान छेड़ा गया था। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने दायर किये गए एक हलफनामे के आधार पर अरावली पर्वत शृंखला में खनन कार्य रोक देने का निर्णय सुनाया था, जिस कारण दादरी, तोशाम की पहाडिय़ों में काम बंद हो गया था। और क्षेत्र मे एक बार फिर से गरीबी और भुखमरी बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो गई। क्योंकि खानक पहाड़ से आसपास के दर्जनों गांवों के हजारों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। प्रदेश सरकार इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से गंभीर है इसी गम्भीरता का प्रभाव एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय पर पड़ा। पहाड़ खानक पहाड में खनन को लेकर लगी सुप्रीम कोर्ट की रोक को लेकर काफी कोशिश की शुरू कराने के लिए हरियाणा सरकार ने बाकायदा सैटेलाइट से सर्वे करवाकर यह रिपोर्ट दी थी कि इन पहाड़िय़ों में वन क्षेत्र है ही नहीं। साथ ही सरकार ने पर्यायवरण की सुरक्षा का वचन सरकार को दिया। जिससे पहाड़ खनन की ये रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी। किरण चौधरी की मेहनत और जनता की दुआएँ ने क्षेत्र के लिए फिर रोजगार के रास्ते खोल दिए हैं। चुनाव आचार संहिता को लेकर अभी पहाड़ का खनन भले अभी नही शुरू हुआ है पर दिवाली का तोहफा तो किरण चौधरी अपने क्षेत्रवासियों को दे दिया है। दिसम्बर तक खानन पहाड़ में खनन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। फिर से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। घर –घर में खुशियों के दीप जल उठेंगे। खानक पहाड़ को 20 साल तक के लिए चलाने का जिम्मा एचएसआईआईडीसी को सौंपा गया है। खानक-डाडम की पहाड़ियों से तैयार माल क्रेशर और रोड़ी प्रदेश ही नहीं उत्तरी भारत के कई हिस्सों में सप्लाई होती रही हैं। प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों के लिए अधिकतर माल यहीं से सप्लाई होता था। खनन कार्य बंद होने से विकास का कार्य प्रभावित हुआ था। उनके द्वारा कराए गए विकास कार्य लोगों में और भी हौसला डाल देता है जब किरण चौधरी ये कहती है कि विकास कराकर अपना फर्ज अदा किया है किसी पर कोई एहसान नही किया है। एक बार फिर विकास की लड़ाई को लेकर हो रहे इस विधानसभा चुनाव में सबसे अहम तोशाम सीट को माना जा रहा है।