पद, पैसा और पी.आर

अर्चना चतुर्वेदी

हमारे देश में दो चीजों की सबसे ज्यादा पूछ है यानि इज्जत है | यदि आपके पास उन दोनों में से कोई एक भी है, तो समझ लो आप राजा हैं और आपको आपके सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता |

वो दो चीजें हैं पद यानि कुर्सी और पैसा | अजी जनाब पैसा तो ऐसी चीज है जिसे पाने के लिए हमारे नेता और अफसर नित नए घोटाले कर रहे हैं खिलाडी मैच फिक्सिंग कर रहे हैं यानि जिसे मौका मिल रहा है वो अपनी तिजोरी भर रहा है |

वैसे तो एक तीसरी वस्तु भी है और वो है जुगाड़ जो हमारे देश में बहुत चलता है या यूँ कहें दौड़ता है | जुगाड़ से आप कुछ भी पा सकते हैं | आजकल की भाषा में जुगाड़ को पी.आर कहते हैं | ये अंग्रेजी भाषा का शब्द है, जो हिंदी के क्षेत्र में अपने पैर पूरे जमा चुका है | इसका मतलब अपनी सहूलियत के हिसाब से हो सकता है वैसे तो लोग इसे पब्लिक रिलेशन कहते हैं | लेकिन ये आपके पर्सनल रिलेशन यानि निजी संबंधों पर आधारित होता है | इन तीनों कलाओं यानि पद,पैसा और पी.आर ने हमारे साहित्यजगत में सबसे ज्यादा पैर पसारे हैं |

पद पाने के लिए भी दो चीजें अनिवार्य हैं या तो पैसा या आपका किसी ऐसे तबके में जन्म लेना जिससे आप आसानी से सरकारी नौकरी या उच्च पद पर आसीन हो सके | वैसे तो थोड़ी बहुत प्रतिभा भी चाहिये |

अगर आपके बाप दादा ने कोई तीर मारा हो | यानि या तो वो मेहनत करके कोई बड़ा पद पा गए हों या खूब पैसा कूट लिया हो, तो भी आपकी जिंदगी मजे में कटेगी | यानि बात ऐसी है भई ! कि आप यदि किसी नेता के या पैसे वाले के सपूत हों, तो आप हीरो से लेकर साहित्यकार तक कुछ भी बन सकते हैं | इस सबके लिए आपको टेलेंट बेलेन्ट की कोई जरुरत नहीं | प्रतिभा के बल पर तो कंगले बढते हैं | कोई फर्क नहीं पड़ता | अब यदि बाप फिल्म प्रोड्यूसर है, तो बेटा हीरो आसानी से बन सकता है | और बाप यदि पब्लिशर है तो बेटा लेखक तो बन ही जायेगा | पैसे वाले बाप की औलाद, यदि गधा भी हो तो विदेश ही पढ़ने जायेगी |

ये सोलह आना सच है कि मिडिल क्लास में जन्म लेकर कलमघिस्से ही रहोगे या स्ट्रगलर | ऊँचे सपने मत देखो भई और देखो तो, तब.. जब तुममें या तुम्हारी कलम में, इतनी जान हो कि कोई रिजेक्ट ही ना कर सके |

जिनके पास पद है, उनके सपने बिना किसी मेहनत के पूरे होते हैं यानि किसी सरकारी विभाग में पद पा गए हों या यूँ कहें राजभाषा विभाग में तो सपनों की फसल काटने से कोई नहीं रोक सकता यानि बड़े साहित्यकार हो ना हों नामी तो हो ही जायेंगे |

यदि आप काम के आदमी हैं तो किसी के बाप की ताकत नहीं जो आपकी लेखनी को रिजेक्ट कर सके | ‘अजी जनाव आपका तो कूड़ा भी छपेगा और सम्मान भी मिलेंगे और आप गुब्बारे की तरह उडेंगे खुद को बड़ा साहित्यकार समझते हुए | क्योकि आपके मुहँ पर लोग आपकी तारीफों के पुल बाधेंगे “वाह क्या लिखा है” लेकिन आपकी पीठ पीछे ये जरुर कहा जायेगा “साले ने कूड़ा लिखा है ,लेकिन काम का आदमी है करना पड़ता है” |

तीसरी चीज है जुगाड़ या आज की भाषा में कहें तो आपका पी.आर., जो कि बड़े ही काम की चीज है | इसके बल पर आप हर छोटे बड़े कार्यक्रम में बुलाए जाते हैं और तो और मंच संञ्चालन या आपका काव्य पाठ या जो भी आप लिखें उसका पाठ करवाया जाता है | जब आप बोलते हैं, तो लोग उंघने लगते हैं और मन ही मन गालियां भी देते हैं लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर जोरदार तालियाँ बजती हैं और बड़े बड़े साहित्यकार आपकी तारीफ़ करते हैं | आपकी पुस्तक के विमोचन में साहित्य जगत के बड़े बड़े नामी गिरामी लोग आते हैं | सब आपका गुणगान करते हैं | भले ही वो आपकी पुस्तक बेमन से पढ़े और जाते वक्त रास्ते में ही कही फेंक दें | लेकिन आप जुगाडू हैं भई…. आपके मुहँ पर आपकी बुराई कैसे कैसे करें ?

साहित्यजगत में तो इन खूबियों की तूती बोलती है यानि पैसा है तो कुछ भी लिखो (कूड़ा करकट ) और अपने नोट खर्च करके पुस्तक छपवा लो | पैसे के बल पर बड़े बड़े साहित्यकार उस पुस्तक का विमोचन करेंगे और चाहे कितनी ही मेहनत लगे उस में से भी अच्छाई निकाल कर ही बोलेंगे |

यदि आप अच्छे पद पर हैं, तो देश हर प्रसिद्ध पुस्तक में आपकी उलजुलूल रचनाये प्रकाशित होंगी और तो और आपकी पुस्तकें फ्री में कोई न कोई अकादमी या संस्था भी छाप देगी |

और यदि आपका जुगाड़ यानि पी. आर अच्छा है तो आपको दो तीन कहानी लिखकर ही कहानीकार की उपाधि मिल जायेगी | बहुत से पुरुष्कार भी मिल जायेंगे |

क्या कह रहे हैं ? काबिलियत ? ये क्या है ?

अजी पुरुस्कार पाने लिए काबिलियत की नहीं पी. आर की जरुरत होती है ….. और ये बात एक आँख हल्की सी दबा कार कही गई है….. तो मतलब… आप खुद ही समझ जाइये और चल पडिये सफलता की राह पर

5 COMMENTS

  1. आपकी टिप्पणी से ऐसा अनुमान लगता है कि पी. आर. से आपका तात्पर्य “अंधों में काना राजा” से है। पद, पैसे अथवा पी. आर. से लाभान्वित लोगों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता लेकिन मेरा विश्वास है कि चिरकाल से भ्रष्टाचार और अनैतिकता से लिप्त व्यक्तिवादी भारतीय समाज में वे लोग स्वयं अपने को विशेषाधिकृत मानते हैं। शेष लोग असंतुष्टि जताने व अपना दुखड़ा रोने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर सकते। यह मानसिकता केवल व्यक्तिवाद की देन है। narendarasinh ने सर्वथा ठीक कहा है कि “परिवर्तन संसार का नियम है और प्रकृति अपनी जरुरत अनुसार साधन पैदा कर लेती है। मगर हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है।” परन्तु ऐसी सोच केवल पाश्चात्य समष्टिवादी समाज में पाई जाती है जहां नागरिकों द्वारा किसी समस्या का समाधान संगठित रूप से सोचा जाता है। भारत में केवल निःशंक तत्व ही संगठित हो समस्त भारतीयों पर प्रभुत्व बनाए हुए हैं। और हां, समाज में औरों के संग रहते पद, पैसा और पि. आर. वाले कांग्रेस-समर्थक पूर्व फिरंगी राज में जाने पहचाने आज के रायजादे, रायबहादुर, और चौधरी ही हैं। आज सांप लगभग मर गया है और सांप की लकीर को ऐसे लेखों द्वारा पीटने के बदले हमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में व्यक्तिवाद त्याग एकजुट भारत पुनर्निर्माण में योगदान देना होगा। narendarasinh द्वारा कही “हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है।”

  2. सच कहा है अर्चना जी ने पैसे के बलपर रिलायंस जैसी हत्यारी कम्पनी आज गुजरातियों की शिरमौर बनी है :——

    बेरोजगारी के कारण मजबूर हैं पर अपने देश में भी समस्याएँ कम नहीं हैं : —–
    1st year के बी टेक छात्र ने की आत्महत्या :— रिलायंस के धीरुभाई इंजीनियरिंग कॉलेज अहमदाबाद में प्रथम वर्ष के इंजीनियरिंग छात्र शुभम पटेल जो नडियाड़ के रहने वाले थे अपने ही कमरे में आत्महत्या कर लिए हैं ( सूत्रों के अनुसार पिछले वर्ष भी एक इंजीनियरिंग छात्र ने आत्महत्या की थी ) पर अपने पैसे के बलपर रिलायंस वाले हर चीज को छुपा ले जाते हैं और अभी तो गुजरात में नरसंहार चलाए हुए हैं -देखिए : —-
    शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ रिलायंस जामनगर (गुजरात) में जानवरों जैसा सलूक…. क्योंकि वे राष्ट्रभाषा – हिंदी के हैं ……..मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी उस विद्यालय की चेयरमैन हैं तथा 19-12-12 के नवभारत टाइम्स में निकलवाती हैं कि मैं अपने स्कूलों को प्रसन्न रखती हूँ……, पाताल गंगा और नागोथाने के स्कूलों ने खुद उनके खिलाफ केस कर रखा है– – रिलायंस कम्पनी के के0 डी0 अम्बा नी विद्यालय jamanagar में भी अन्याय चल रहा है, 11-11 साल काम कर चुके स्थाई टीचर्स को निकाला जाता है क्योंकि वे राष्ट्रभाषा हिंदी के हैं, पाकिस्तान से सटे इस सीमावर्ती क्षेत्र में राष्ट्रभाषा – हिंदी वा राष्ट्रीयता का विरोध तथा उसपर ये कहना कि सभी हमारी जेब में हैं रावण की याद ताजा कर देता है अंजाम भी वही होना चाहिए….. !!!!! जय हिंद……… ! जय हिंदी……… !!!
    बात केवल हिंदी की ही नहीं है रिलायंस के के0 डी0 अम्बानी विद्या मंदिर जामनगर ( गुजरात ) में मनोज परमार मैथ टीचर को इतना टार्चर्ड किया गया कि प्रिंसिपल सुंदरम के सामने स्कूल में मीटिंग में ही उनका ब्रेन हैमरेज हो गया। वो गुजराती ही थे आज उनके बच्चे के प्रति स्कूल या रिलायंस कुछ नहीं कर रही है पत्नी को नौकरी भी नहीं दिया गया उनके पिताजी से खुद बात कर सकते हो – 9824503834.गुजरात के रिलायंस टाउनशिप में आज(11-4-13) को हैदराबाद के मूल निवासी मि.अकबर नाम के के.डी.अम्बानी विद्या मंदिर में कार्यरत एक फिजिक्स टीचर ने आत्महत्या कर लिया है, पर रिलायंस वाले उसे हाइवे की दुर्घटना बनाने में लगे हैं, आसपास की जनतांत्रिक संस्थाएँ रिलायंस की हराम की कमाई को ड्कार के सो रही हैं। शिक्षक जैसे सम्मानित वर्ग के साथ जब ये हाल है तो आम कर्मचारी कैसे होंगे ? आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं । मैंने पहले ही सावधान किया था पर किसी ने ध्यान नहीं दिया !
    सेक्टर-3 टी-5 में रहने वाले साहिद हसन साहब की पत्नी का बायाँ पैर टाउनशिप के अंदर ही दुर्घटना में नष्ट हो गया ( रिलायंस वाले 100% सेफ्टी की बातें करते हैं )
    इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट के जायसवाल जी के पुत्र का कमर से निचला हिस्सा बेकार हो गया है जबसे धीरूभाई इंटर्नेशनल हॉस्पिटल में उसका ऑपरेशन हुआ था, सूरत के उपाध्याय जी जो रिलायंस इम्प्लाई थे सात महीने से कोमा में पड़े हैं ( पुराने डॉक्टर और शिक्षक को रिलायंस वाले निकाल देते हैं – परिणाम सामने है वहाँ से 12 वीं करने वाले छात्र-छात्राएँ भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं )
    Soon after joining Mr.Sundaram did a really very wrong. He forced 3 gujarati teachers with very cruelty (Parth Mehta – 9726527001, Nalin Panchal and Ketan Prajapati – 9898930011) and also some office staff (Mrs. Sapna – 9824597192, Mr. Vikram and Milan Vadodaria -9998959359) to resin and that also without any proper reason. So, these people had to resign from the school unwillingly. This was a very inhuman and cruel work done by him.Repeating the same tradition, Gohel Bhai and Narayan Bhai(drivers – 9879509581, 9712445340 ), Ketan Bhai (music teacher) and many other employees have been forced to resign without any sufficient reason2) Due to Sundaram and Alok Sir so many excellent teachers are left the school like –Dr. Navin Sharma( 09663451065.), Dr.Nitu Singh, Mr.P.N.Rai ( 7856871622 ), Mr.Kshmanand Tiwari (07567166915), Mr.Gajendra Khandelwal (9374373881), Dr.Ashok Kumar Tiwari (9428075674), Mr. Narsimhan (09952174530), Parth k Mehta( 9726527001, 9724035608 )etc. please contact those persons also, for realities
    इस में आप सबकी मदद चाहिए मित्र ….किसी शिक्षक ने आपको भी पढ़ाया होगा उसी नाते इन शिक्षक-शिक्षिकाओं की सहायता करो मित्र सहायता करो…………प्लीज.!!!
    केवल शिक्षक-शिक्षिकाएँ ही नहीं- – दावड़ा कैंटीन के सामने सेक्टर -6 में रहने वाले तथा रिलायन्स कम्पनी के प्रमुख इंजीनीयर ‌ धनंजय शर्मा जिन्होंने सबसे पहले हिंदी फॉन्ट्स को भारत में लाने का कार्य किया था तथा लॉन्ग सर्विस एवार्ड पाते समय टाउनशिप की जनता ने उनका हार्दिक अभिनंदन भी किया था और मुख्य अतिथि कपिल साहब ने उन्हें गले लगा लिया था बस यहीं से ईर्ष्यावश उन्हें इतना प्रताड़ित किया गया कि राममंदिर के बगल के तालाब में कूदकर उन्होंने आत्महत्या कर लिया ये राज दबा रह जाए इसलिए उनकी पत्नी को भी हिंदी शिक्षिका की नौकरी नहीं दी गई ( उनकी पत्नी गीता शर्मा ने एफ-206, सोरेनअपार्टमेंट, सेटेलाइट अहमदाबाद का तीन कमरे का मकान इस हादसे के बाद त्याग दिया है जाकर देख सकते हो ) और उन्हें टाउनशिप से जाना पड़ा जबकि उनकी बेटी रूपाश्री शर्मा क्लास – 10 में पढ़ती थी – – – रिलायंस सारी समस्याओं की जड़ में है – – पर पैसे की अधिकता के कारण लगभग पूरा हिंदुस्तान खरीद लिया है – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – -देशभक्तों को ऐसी कम्पनी का पूर्णतया बहिष्कार करना ही चाहिए – – जय हिंद ! ! !
    जब भारत सरकार के मंत्री रेड्डी साहब जैसे लोग निकाले जा रहे हैं तो ये लोग बिखरे हैं शांत प्रकृति के टीचर्स हैं..बिना आप सबकी मदद के कुछ नहीं कर पाएँगे……….
    गरीब वहाँ मर रहे हैं, राष्ट्रभाषा हिंदी का अपमान खुलेआम हो रहा है :———-!! जय हिंद……… ! जयहिंदी……… !!! गुजरात में लगभग सभी रिलायंस की हराम की कमाई डकार कर बिक चुके हैं इसलिए पचासों पत्र लिखने महामहिम राष्ट्रपति-राज्यपाल तथा प्रधानमंत्री का इंक़्वायरी आदेश आने पर भी गुजरात सरकार चुप है !

  3. सही है जी पी.आर. की तो आवश्यकता बढती जा रही है । जन्म से ही ईन्सान को पी.आर. की जरूरत हो जाती है । वरना ईन्सान का बच्चा जन्म लेने में भी कतराता है । और उस शीशुं को डोक्टर के साथ कोई जुगाड तो करना ही पडता है ।
    हमारे गुजरात युनिवर्सिटी – अर्थशास्त्र विभाग में भी जुगाड बडा प्रचलित है । जिसने अर्थशास्त्र के अध्यापको से पी.आर बना रखा हो तो उसे ही आगे बढने का मौका मिलता है । बरना हम हमारे घर तुम तो कौन हो हम नही जानते.
    हालही में पी.एच.डी गाईडशीप के लिए प्रक्रिया हुई है । जिसमें पी.आर. की पक्रिया बहुत ही प्रचलित है ।
    जिसका परिणाम हमने यहाँ के अखबार में भी पढा है जिसने पी.आर प्रक्रिया नही अपनाई है उसे बेइज्जत कर दीया जाता है ।

    • आपकी टिप्पणी से ऐसा अनुमान लगता है कि पी. आर. से आपका तात्पर्य “अंधों में काना राजा” से है। पद, पैसे अथवा पी. आर. से लाभान्वित लोगों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता लेकिन मेरा विश्वास है कि चिरकाल से भ्रष्टाचार और अनैतिकता से लिप्त व्यक्तिवादी भारतीय समाज में वे लोग स्वयं अपने को विशेषाधिकृत मानते हैं। शेष लोग असंतुष्टि जताने व अपना दुखड़ा रोने के अतिरिक्त और कुछ नहीं कर सकते। यह मानसिकता केवल व्यक्तिवाद की देन है। narendarasinh ने सर्वथा ठीक कहा है कि “परिवर्तन संसार का नियम है और प्रकृति अपनी जरुरत अनुसार साधन पैदा कर लेती है। मगर हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है।” परन्तु ऐसी सोच केवल पाश्चात्य समष्टिवादी समाज में पाई जाती है जहां नागरिकों द्वारा किसी समस्या का समाधान संगठित रूप से सोचा जाता है। भारत में केवल निःशंक तत्व ही संगठित हो समस्त भारतीयों पर प्रभुत्व बनाए हुए हैं। और हां, समाज में औरों के संग रहते पद, पैसा और पि. आर. वाले कांग्रेस-समर्थक पूर्व फिरंगी राज में जाने पहचाने आज के रायजादे, रायबहादुर, और चौधरी ही हैं। आज सांप लगभग मर गया है और सांप की लकीर को ऐसे लेखों द्वारा पीटने के बदले हमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में व्यक्तिवाद त्याग एकजुट भारत पुनर्निर्माण में योगदान देना होगा। narendarasinh द्वारा कही “हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है।”

  4. आज देश की जो दुर्दशा हम देख रहे है उसकी सही वजह पद ,पैसा और पि,आर ही है !

    शुचिता के साथ जिनेवालो को अब आगे आना चाहिए और ऐसे जुगाड़ से पद पैसा पानेवालो को देश के सामने लाना चाहिए ताकि समाज और देश उन्नत हो शके।

    परिवर्तन संसार का नियम है और प्रकृति अपनी जरुरत अनुसार साधन पैदा कर लेती है। मगर हमारी भी कोई जिम्मेदारी बनती है।
    जब व्यक्तिगत ,सामाजिक ,और राजकीय जीवन अधोगति की और चला जाता है तब ऐसी घटनाए घटती है .

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