अशोक बजाज
एक तीर से कई निशान.
अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग क्या छेड़ा पूरा भारत उनके पीछे खड़ा हो गया . देश में भ्रष्टाचार के अलावा और कई ज्वलंत मुद्दे है जिससे देश की आत्मा बेचैन है जैसे आतंकवाद , नक्सलवाद , महंगाई , सूखा , बाढ़ इत्यादि . इसके अलावा अनेक भावनात्मक मुद्दे भी है जैसे संप्रदायवाद ,जातिवाद ,अलगाववाद , भाषावाद एवं क्षेत्रवाद जिससे पूरा देश बंटा हुआ प्रतीत होता है . छद्म राजनीति के कारण दिनोंदिन ये समस्या और गहरी होती जा रही है . अनेक राजनीतिज्ञों एवं राजनीतिक दलों ने अपने फायदे के लिए समय-समय पर इन मुद्दों को उभार कर देश की समस्या बढाई ही है . पहले यह माना जाता था कि अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण ये समस्या उत्पन्न होती है लेकिन अब तो औसत आदमी शिक्षित हो गया है , शिक्षा की लौ लगभग हर घर के आँगन तक पहुँच चुकी है . लोग साक्षर ना भी हो लेकिन रेडियो , टी.व्ही. और अन्य संचार माध्यमों से तो ज्ञान प्राप्त कर ही रहें है फिर भी देश में संप्रदायवाद ,जातिवाद ,अलगाववाद , भाषावाद , एवं क्षेत्रवाद की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है .
अन्ना हजारे के आन्दोलन ने एक तीर से कई निशान मारे है ; यह आन्दोलन जन लोकपाल बिल संसद में पास कराने व भ्रष्टाचार समाप्त करने में सफल हो या ना हो लेकिन देश की जनता को एक सूत्र में बांधने में जरुर सफल हुआ है . कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा असम से गोहाटी तक आज जन ज्वार उबल रहा है . बच्चे , बूढ़े ,जवान यहाँ तक कि महिलाएं भी स्व-स्फूर्त इस आन्दोलन का हिस्सा बन चुकीं है . धर्म-संप्रदाय , जात-पात , वर्ग भेद को भुला कर समूचा देश इस आन्दोलन में जुड़ गया है . इस आन्दोलन ने देश में भावनात्मक एकता कायम करने का मिशाल कायम किया है . यह भावनात्मक एकता देश की मूल संस्कृति है तथा देश की अमूल्य निधि भी . इसे केवल एक समस्या विशेष के निदान तक सीमित रखने के बजाय इसे स्थाईत्व प्रदान करने की जरुरत है . यदि हम इसे स्थिर रखने में सफल हो गए तो देश की अनेक समस्याओं से हमें स्वतः निज़ात मिल जायेगी .
वाकई यह एक पूर्ण आन्दोलन है जिसने पुरे हिंदुस्तान को भावनात्मक रूप से एक कर दिया. अनेकता में एकता.
निसंदेह अन्नाजी के इस आन्दोलन ने पुरे देश को नींद से जगा दिया है. जो युवा पीढ़ी हर समस्या को हवा में उड़ा देती रही आज अन्ना के आन्दोलन में न केवल पूरे जोश से लगी है बल्कि उनके जोश से प्रेरणा लेकर किशोर और बालक भी मोहल्लो में “भारत माता की जय” और “वन्दे मातरम” के नारे लगाकर देश के वातावरण को उसी प्रकार का बना रहे हैं जैसा केवल पंद्रह अगस्त और छबीस जनवरी को कहीं कहीं देखने में आता था. लोगों का उत्साह एक नया इतिहास रच रहा है. लेकिन कुछ तबके है “शर्म जिनको मगर नहीं आती”.सत्तारूढ़ अलीबाबा चालीस चोर मंडली जिसे गलती से यु पी ऐ कहा जाता है और उसके पिछलग्गू मायावती एंड कंपनी अभी भी अपना ही राग अलाप रहे हैं. खाई ये जो पब्लिक है सब जानती है.और अभी तो पब्लिक येही गीत गा रही है,” वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमा, हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है”.तो माया, महा ठगिनी और यु पी ऐ के अलीबाबा चालीस चोरों अपनी उलटी गिनती गिनना शुरू करदो.