आदर्श जीवन की विलक्षण दास्तान : श्री रामनिवास लखोटिया

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 ललित गर्ग 
जन्म लेना नियति है किंतु कैसा जीवन जीना यह हमारे पुरुषार्थ के अधीन है। खदान से निकले पाषाण के समान जीवन को पुरुषार्थ के द्वारा तरास कर प्रतिमा का रूप दिया जा सकता है। राजस्थान के गौरव एवं दिल्ली की सांसों में बसे श्री रामनिवास लखोटिया भी ही एक ऐसे ही जीवन की दास्तान है जिन्होंने अपने जीवन को बिन्दु से सिन्धु बनाया था। उनके जीवन की दास्तान को पढ़ते हुए जीवन के बारे में एक नई सोच पैदा होती है। जीवन सभी जीते हैं पर सार्थक जीवन जीने की कला बहुत कम व्यक्ति जान पाते हैं। वे आदर्श जीवन की दास्तान थे। नशामुक्ति समाज एवं शाकाहार क्रांति के पुरोधा, समाज सुधारक एवं आदर्श समाज के निर्माता के रूप में ही नहीं बल्कि प्रख्यात आयकर सलाहकार के रूप में उनकी सेवाएं एवं प्रयत्न अविस्मरणीय हैं। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र में दिल्ली में दिनांक 20 जनवरी 2020 की मध्यरात्रि में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके प्रशंसकों एवं चहेतों के लिए यह विश्वास करना सहज नहीं है कि वे अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका मन अंतिम क्षण तक युवा-सा तरोताजा, सक्रिय, आशावादी और पुरुषार्थी बना रहा।
श्री रामनिवास लखोटिया भारत के सुप्रसिद्ध आयकर सलाहकार थे एवं उनकी आयकर से संबंधित पुस्तकों के लगभग 600 संस्करण प्रकाशित हुए। वे ‘आयकरदाता संघ’ के अध्यक्ष भी रहे। आपने शिक्षा के क्षेत्र में उच्च स्थान प्राप्त किया है। आप गोल्ड मेडेलिस्ट हैं। आप इनकम टैक्स आॅफिसर की परीक्षा में संपूर्ण भारत में प्रथम आए थे। आपने इनकम टैक्स आॅफिसर प्रथम श्रेणी के रूप में 6 वर्षों तक कार्य किया है। आप सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट रहे एवं दिल्ली में कर सलाहकार के रूप में कार्य किया। आपने देश एवं विदेश की सभाओं में आयकर विषय पर 5500 से अधिक ओजस्वी भाषणों से लाखों करदाताओं को लाभान्वित किया है। आपने बीबीसी लंदन, हांगकांग रेडियो, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भेंट वार्ताएं प्रस्तुत की हैं। आपका प्रारंभिक जीवन दयानंद काॅलेज तथा गवर्नमेंट काॅलेज, अजमेर  के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर के रूप में शुरु हुआ। दिल्ली की वेजिटेरियन कांग्रेस के प्रेसिडेंट होने के नाते वे अच्छी सेहत व खुशहाली के लिए शाकाहार के प्रचार में जुटे रहे। वे ‘एक्सीलेंट लिविंग’ नाम मासिक के मुख्य संपादक हैं।
श्री रामनिवास लखोटिया जी बिजनेस, टीवी चैनल पर हर रविवार प्रसारित होने वाले इनकम टैक्स संबंधी कार्यक्रम में ‘टैक्स डाॅक्टर’ के रूप में इनकम टैक्स से जुड़े सवालों के जवाब देते थे। सुभाष लखोटिय-आर. एन. लखोटिया एडं एसोसिएट्स एल.एल.पी के डायरेक्टर थे। वे ‘जीरो टू हीरो इन डायरेक्ट टैक्सस’ नामक लोकप्रिय कोर्स का आयोजन भी करते रहे हैं। 1970 में अमेरिका के शहर अटलांटिक में होने वाली वल्र्ड यूथ कांग्रेस में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए लायंस इंटरनेशनल ने उन्हें ‘बेस्ट यूथ आॅफ इंडिया’ के तौर पर चुना। वह इन्वेस्टर क्लब के महासचिव तथा स्प्रिचुअल क्लब्स इंटरनेशनल और यूनिट टू इन्वेस्ट के प्रेसिडेंट थे।
 लखोटियाजी एक रचनात्मक, सृजनात्मक एवं नैतिक जीवन का उदाहरण है, जिसकी प्रेरणा है कि किस तरह से आधुनिक भौतिकवादी एवं सुविधावादी युग के संकुचित दृष्टिकोण वाले समाज में जमीन से जुड़कर आदर्श जीवन जिया जा सकता है, आदर्श स्थापित किया जा सकता है। और उन आदर्शों के माध्यम से पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और वैयक्तिक जीवन की अनेक सार्थक दिशाएँ उद्घाटित हो सकती हैं। इन स्थितियों की पृष्ठभूमि में उन्होंने व्यापक संदर्भों में जीवन के सार्थक आयामों को प्रकट किया है। वे एक पुरुषार्थी, परोपकारी, साधक, समाजकर्मी एवं चिंतक व्यक्तित्व का जाना-पहचाना नाम है।
श्री लखोटिया के जीवन के दिशाएं विविध हैं। आपके जीवन की धारा एक दिशा में प्रवाहित नहीं हुई है, बल्कि जीवन की विविध दिशाओं का स्पर्श किया है। आपने कभी स्वयं में कार्यक्षमता का अभाव नहीं देखा। क्यों, कैसे, कब, कहां जैसे प्रश्न कभी सामने आए ही नहीं। हर प्रयत्न परिणाम बन जाता कार्य की पूर्णता का। यही कारण है कि राजधानी दिल्ली की अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और जनकल्याणकारी संस्थाएं हैं जिससे वे सक्रिय रूप से जुड़े थे, वे अपने आप में एक व्यक्ति नहीं, एक संस्था थे। वे राजस्थान अकादमी, इनवेस्टर क्लब, अखिल भारतीय वैश्य संघ, लायंस क्लब नईदिल्ली अलकनंदा, मारवाड़ी युवा मंच, राजस्थान रत्नाकर और ऐसी अनेक संस्थाओं को उन्होंने पल्लवित और पोषित किया।
अजमेर में जन्में श्री लखोटिया राजस्थान की संस्कृति एवं राजस्थानी भाषा के विकास के लिये निरन्तर प्रयत्नशील थे। दिल्ली में राजस्थानी अकेडमी के माध्यम से वे राजस्थानी लोगों को संगठित करने एवं उनमें अपनी संस्कृति के लिये जागरूकता लाने के लिये अनेक उपक्रम संचालित करते रहे हैं। न केवल राजधानी दिल्ली बल्कि देश-विदेश में राजस्थान की समृद्ध कला, संस्कृति व परंपरा पहुंचाने के लिये प्रयासरत थे। बीते 40 वर्ष से अकेडमी द्वारा लगातार दिल्ली में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विभिन्न प्रतियोगिताओं, कवयित्री सम्मेलन, मरु उत्सव, राजस्थानी लेखकों को सम्मानित करने के आयोजन उनके नेतृत्व में होते रहे हैं। वे राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलवाने के लिए पिछले कई वर्षो से प्रयासरत थे। महिलाओं के लिए यह संस्था विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करती है और विशेष कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी करती है। संस्था का उद्देश्य देश-विदेश में रह रहे लोगों को एक साथ एक मंच पर लाना और आपसी भाई-चारे का मजबूत करना भी है। संस्था राजस्थान से जुड़ी हर परम्परा और उन क्षेत्रों से जुड़े कलाकार, विशेषज्ञ तथा बेहतर कार्य करने वालों को सहयोग कर आगे बढ़ावा देती है। उनके द्वारा प्रतिवर्ष राजस्थानी भाषा के सर्वश्रेष्ठ लेखक को 1 लाख रुपए का प्रतिष्ठित ‘लखोटिया पुरस्कार’ प्रदान किया जाता हैं जिसे केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय पुरस्कार घोषित किया गया है।
श्री रामनिवास लखोटिया को सम्पूर्ण जीवन लाॅयनिज्म को समर्पित रहा है। आप लायंस क्लब इंटरनेशनल के पूर्व डिस्ट्रिक गवर्नर भी रहे हैं। आप लायंस क्लब नई दिल्ली अलकनंदा के संस्थापक एवं आधारस्तंभ थे। उनकी भारत में लाॅयनिज्म को आगे बढ़ाने के लिए अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय सेवाएं रही हंै। वे इस क्लब के माध्यम से सेवा, परोपकार के अनेक जनकल्याणकारी उपक्रम करते रहते थे। हाल ही में उन्होंने अपने पुत्र टैक्स गुरु श्री सुभाष लखोटिया की स्मृति में सेवा की गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिये प्रतिवर्ष एक लाख रूपये का ‘सुभाष लखोटिया सेवा पुरस्कार’ देना प्रारंभ किया। वे क्लब के विकास में न केवल सहभागी बने बल्कि उसे बीज से बरगद बनाया। उन्होंने अजमेर में विक्टोरिया अस्पताल के समीप मोहनलाल गंगादेवी लखोटिया धर्मशाला का निर्माण करके समाजोपयोगी एवं प्रेरणादायी कार्य किया। वे पुष्कर के विकास के लिये भी तत्पर रहते थे। उन्होंने पद-प्रतिष्ठा पाने की न कभी चाह की और न कभी चरित्र कोे हासिये में डाला।
श्री लखोटिया अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हुए है। हर व्यक्ति को लखपति और करोड़पति बनाने के लिये उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकें काफी लोकप्रिय हुई है। वे समृद्धि की ही बात नहीं करते बल्कि हर इंसान को नैतिक एवं ईमानदार बनने को भी प्रेरित करते। देश के दर्जनों अखबारों में उनके न केवल टैक्स सलाह एवं निवेश से संबंधित बल्कि जीवन निर्माण एवं आध्यात्मिक मूल्यों से प्रेरित लेख-साक्षात्कार प्रकाशित होते रहते थे। लखोटियाजी सतरंगी रेखाओं की सादी तस्वीर थे। गहन मानवीय चेतना के चितेरे थे। उनका हंसता हुआ चेहरा रह-रहकर याद आ रहा है। लखोटियाजी की अनेकानेक विशेषताओं में एक प्रमुख विशेषता यह थी कि वे सदा हंसमुख रहते थे। वे अक्सर मिलने वालों से पूछा करते थे कि किस रूप में याद रखे जाने की आपकी आकांक्षा है?… अपनी आकांक्षा को, अपने सपने को, एक पृष्ठ पर शब्दबद्ध कीजिए। यह मानव इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण पृष्ठ हो सकता है। राष्ट्र के इतिहास में एक नया पृष्ठ जोड़ने के लिए आपको याद रखा जाएगा। भले वह पृष्ठ समाजसेवा का हो, लायनिज्म का हो, ज्ञान-विज्ञान का हो, परिवर्तन का हो, खोज का हो या फिर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का-. सामाजिक या राजनीतिक, सभी व्यवस्थाओं की नींव इंसान की भलाई पर पड़ी है। कोई भी देश सिर्फ ऊंची ईमारतों एवं भौतिक उपलब्धियों से महान नहीं होता, बल्कि इसलिए होता है कि उसके नागरिक भले और महान हैं। भले लखोटियाजी उम्रदराज इंसान थे, लेकिन वे अपनी बच्चों जैसी निश्छल मुस्कुराहट के कारण सहज ही याद आते हैं और आते रहेंगे। उनका व्यक्तित्व समंदर की ही तरह अथाह, गहरा, विशाल और सीमाहीन है। किसी व्यक्ति की अपने जीवन में इतनी व्यापक दृष्टि हो सकती है, यह अकल्पनीय बात उनके जीवन में दिखाई पड़ती है।
लखोटियाजी में विविधता थी और यही उनकी विशेषता थी। उन्हें प्रायः हर प्रदेश के और हर भाषा के लोग जानते थे। उनकी अनेक छवि, अनेक रूप, अनेक रंग उभर कर सामने आते हैं। ये झलकियां बहुत काम की हैं। क्योंकि इससे सेवा का संसार समृद्ध होता है। लखोटियाजी का जितना विशाल और व्यापक संपर्क है और जितने अधिक लोग उन्हें करीब से जानने वाले हैं, अपने देश में भी और विदेशों में भी, उस दृष्टि से कुछ शब्दों से उनके बारे में बहुत नहीं जाना जा सकता, और भी आयाम और अनेक रोचक प्रसंग उजागर हो सकते हैं। यह काम कठिन अवश्य है, असंभव नहीं। इस पर भविष्य में ठोस काम होना चाहिए, ताकि उनकी स्मृति जीवंत बनी रहे।

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