गुजर जाती है उम्र,रिश्ते बनाने में।
पर पल नही लगता इसे ठुकराने में।।
वक्त लगता है,अपना घर बनाने में।
पर पल नही लगता,इसे गिराने में।।
उम्र खत्म हो जाती है,धन कमाने में।
पर पल नही लगता है,उसे गवांने में।।
बड़ी मुश्किलें आती है,एक सच्चा दोस्त बनाने में,
पर पल भर नही लगता,उससे दुश्मनी बनाने में।।
जिंदगी घटती जाती है,पल पल बिताने में।
पर उम्र बढ़ती जाती है,हर पल बिताने में।।
समय लगता है भू से आसमान जाने में।
पर पल न लगता,उसे जमींन पे गिराने में।।
काफी वक्त लगता है,जिंदगी को बनाने में।
पर पल भर नही लगता उसे बिगाड़ने में।।
समय कट जाता है रस्तोगी का कविता बनाने में।
पर आनंद आता है उसको श्रोताओं को सुनाने में।।
आर के रस्तोगी