महाभारत हकमार व हकवंचित के मध्य जंग था

—विनय कुमार विनायक
महाभारत हकमार व हकवंचित के मध्य जंग था
जिसमें हकमार के पक्ष में बहुत अधिक सेना मगर
हकवंचित के पक्ष में योद्धा और सैनिक कम था!

हकमार के पक्ष में आरंभ से ही छल प्रपंच दंभ था
भीम को विष देना, लाक्षागृह में पाण्डव दाह षडयंत्र
नारी चीर हरणकर बारंबार वनवास का दंड क्या था?
अकेला निहत्था कृष्ण हकवंचित पाण्डव के संग था!

अक्सर लोग कहा करते कि श्रीकृष्ण ने विजय के लिए
छल का क्यों लिया सहारा? जिससे पापी कौरव हारा?
तो क्या नहीं हकवंचित पाण्डव बेमौत मारे जाते बेचारा?

अगर महाछली कपटी प्रपंची के विरुद्ध जैसे को तैसा
नहीं किया गया होता, तो सत्य खामोशी से हार जाता!
अगर वासुदेव ने सात्विक मार्ग का चयन किया होता
तो फिर निश्चय ही महापातकी कौरव का विजय होता!

अगर सत्य पराजित होता, प्रजा के साथ अनय होता
जनता में भय होता एक अधर्मी सत्ता का उदय होता
युद्ध निर्णय भविष्य में जनहित में सदय नहीं होता
फिर क्या एक नया युद्ध होने का संशय नहीं होता?

तो फिर ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।’ कैसे होता?

जब जब धर्म में हानि होती
तब तब मानव रूप में आते ईश्वर
साधु जनों को परित्राण देते
धर्म स्थापित करते दुष्ट दलन कर!

कौरव कुल-कुनबा पितामह गुरु आचार्य सभी पक्षधर छल के
कोई तोड़ नहीं था दुर्योधन दुशासन शकुनि के विष गरल के
पितामह भीष्म गुरु द्रोण मित्र कर्ण अश्वस्थामा के संबल के
पांडुपुत्र धर्मधुरीन अनुशासित महाबली पर सरल निश्छल थे!

ऐसे में यदि कूटनीतिक कृष्ण नहीं होते तो हार निश्चय थी
यतो धर्म ततो जय तबतक संभव नहीं, जबतक केशव नहीं!
तबतक जीत नहीं सच की, जबतक कृपा होती नहीं रब की
सत्यमेव जयते ऐसे नहीं जबतक दुष्टों में ईश्वरीय भय नहीं!

अत्याचारियों की अत्याचारी भावना को संहार दो
व्यभिचारियों के व्यभिचारी आचरण को मार दो
दुष्ट दुराचारी को प्रश्रय नहीं दो, चाहे जो भी हो!

मानवीय अस्तित्व को बचाने के खातिर हर हाल में
भ्रष्ट रावण कंश कीचक कौरव जयद्रथ का वधकर दो
मार दो दुर्योधन दुशासन व संगी भीष्म द्रोण कर्ण को
छल बल से गजनी गोरी बाबर औरंगजेब को मिटाओ!
—-विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,677 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress