आकांक्षा और टेकचंद को मिला राजेंद्र यादव कथा सम्‍मान

akansa-pareनई दिल्ली। पिछले दिनों युवा कथाकार आकांक्षा पारे काशिव और टेकचंद को राजेन्द्र यादव कथा सम्मान दिया गया। यह पुरस्कार हंस में प्रकाशित कहानियों में से ही किसी एक कहानी को चुन कर दिया जाता है। इस साल संयुक्त रूप से आकांक्षा की कहानी ‘शिफ्ट कंट्रोल अल्ट डिलीट’ और टेकचंद की कहानी ‘मोर का पंख’ को दिया गया। यह पुरस्कार का दूसरा वर्ष है।

आकांक्षा की कहानी आज की युवा पीढी के कंप्यूटर की दुनिया में गाफिल हो जाने की कहानी है। कहानी पर बोलते हुए युवा आलोचक एवं हिंदू कॉलेज के प्राध्यापक दिनेश कुमार ने कहा कि यह दस साल आगे की कहानी है। आज जो पीढ़ी लैपटॉप और कंप्यूटर को ही अपना सबकुछ मान बैठी है उसके परिणाम कितने भयावह हो सकते हैं। अपनी बात जारी करते हुए उन्होंने कहा, यह कहानी हिंदी कहानी का प्रस्थान बिंदू है। यह कहानी प्रयोग तो करती है मगर कथा की आत्मा को यथावत रखती है।

टेकचंद की कहानी पर प्रियदर्शन ने अपने विचार रखे और उन्होंने ‘मोर के पंख’ में एक दलित लड़के की कथा की व्याख्या की। पुरस्कार प्रसिद्ध कथाकार मन्नू भंडारी ने दिया। कार्यक्रम में कई वरिष्ठ साहित्यकार और प्रबुद्धजनों ने शिरकत की।

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