विनय कुमार विनायक
पार्थिया भी प्रांत था सिकंदर का वैकि्ट्रया जैसा
जो स्वतंत्र हुआ था सेल्यूकस वंशी यवन शासक
एंटीओकस तृतीय के चंगुल से वैकि्ट्रया के संग,
ईरान यानि पार्थिया का पार्थियन या पहलव था
विदेशी आक्रांता ईरानी साइरस के बाद भारत का!
मिथ्रेडेटस प्रथम था पहलव शक्ति का संस्थापक
जो समकालीन था यूक्रेटाइड्स बैक्ट्रियाई यवन का,
मिथ्रेडेटस द्वितीय ने शकों से रक्षा की पार्थिया का
जो ईसा पूर्व एक सौ तेईस से ईसा पूर्व अठासी तक
राजा रहा था पार्थिया का, जिसके कड़े प्रतिरोध से,
बैक्ट्रिया के यवन शासन को तहस-नहस करनेवाले
शक कबिलाईयों ने भारत की तरफ रुख किया था!
भारत में तक्षशिला की गद्दी पाके पार्थियाई पहलव
माउस या मोय बना प्रथम भारतीय पहलव शासक,
जिसने ‘महारय महन्त मोग’ का विरुद धारण करके
ईसा पूर्व नब्बे से ईसा पूर्व सत्तर तक किया शासन,
इनके चलाए सिक्के में पद्मासन में बैठे हैं बुद्ध,
गदा त्रिशूलधारी शिव का भी प्रथम मिलता अंकन!
एजेज प्रथम और एजेज द्वितीय ने भी सत्ता संभाली
फिर ईस्वी सन् बीस से पैंतालीस तक गोन्डोफर्निस
तक्षशिला की गद्दी पर बैठा, जो था बड़ा शक्तिशाली
जिसे फारसी में विन्दफर्ण यानि विजयी कहा गया है,
जिसने हिन्द यूनानी हर्मियस से छीना काबुल घाटी!
फिर राजधानी तक्षशिला से स्थानांतरित हुआ काबुल
ईस्वी सन् एक सौ तीस में हिन्द कुषाण शासकों ने
पहलव का करके अंत, आरंभ किया कुषाण राजतंत्र,
पहलव थे ईरानी आर्य कबिलाई पारसीधर्म अनुयाई,
जिन्होंने भारत में बौद्ध जैन हिन्दूधर्म को अपनाई,
पहलव,मग,शक ईरानी आर्य थे आपस में भाई-भाई!
—विनय कुमार विनायक