अक्षर अक्षर नाद ब्रह्म है अक्षर से शब्द जन्म लेते अर्थ ग्रहण करते

—विनय कुमार विनायक

अक्षर अक्षर नाद ब्रह्म है

अक्षर से ही सभी शब्द जन्म लेते

अर्थ ग्रहण करते, शब्द समय समय पर अर्थ बदलते!

शब्द उलटते पलटते और शब्द बोलते भी

शब्द मनोरंजक होते और शब्द चलते भी

शब्द ऊंचे उठके उन्नति करते नीचे गिरके अवनति

शब्द मोटे होते, दुबले होते, शब्द घिसते पिटते रहते

शब्द संगति से प्रभावित होकर कुछ से कुछ हो जाते

शब्द आपस में लड़ते झगड़ते और शब्द मर भी जाते!

पहला अक्षर अ से अम्बर बना

अम्बर की शाश्वत ध्वनि ॐ नाद व्योम में फैल गया

अम्बर के अधर में एक धरा धरती धरातल बनकर उभरी

दूसरा अक्षर आ, आ दम भरकर आदम बन गया

स्वयं भू पर आया जो स्वायंभुव मनु,मनु ने मानव जना!

मानव की पहली ध्वनि अम् मम् अम्मी मम्मी

ओम ॐ ओ मा ॐकार उच्चारकर अम्मा मां को ॐ सा मान दिया

फिर पा पा करके अपने आत्मरुप प्रदायक पालक पिता को अपनाया

फिर दा दा करके दादा, बा बा करके बाबा दादा दादी दीदी को बुलाया!

ता ता करके तात ताऊ, तातगु काका फूफा मामा मौसा को पाया

मां का भाई मामा,मां की बहन मासी मौसी,पिता का भाई पितृव्य,

पिता की बहन पीसी फुआ बुआ, पीसी का पति पीसा फूफा हुआ

मामा की पत्नी मामी, मौसी का पति मौसा, काका की काकी ताई!

भार्या यानि भरण योग्य पत्नी,भर्ता जो भरण पोषण करे वो पति

देवर पति के अभाव में पति का भ्राता भाभी का दूसरा वर हो जाता

‘द्वितीयो वरो भवति’ (यास्क) देवर ही लैटिन में लभर हो जाता

‘नारी तु पत्यभावे वै देवरं कुरते पतिम्’ महाभारत में भी लिखा गया!

जमाता ‘जाया माति मिनोति मिमिते बा’ यानि दूसरे की जाया

पुत्री से जो जायज संतान पैदा करता है वो दामाद जमाई कहलाता

ननद मनोरंजक शब्द है ‘न नन्दति कृतायामपि सेवाया न तुष्यति’

यानि ननद वो जो भाभी की सेवा करने से भी आनंदित नहीं होती!

आर्य कन्या गाय दुहने से दुहिता कहलाई, अवेस्ता में दुष्दर हुई

फारसी में दुख्तर, अंग्रेजी में डाउटर ये समस्त संज्ञा पुत्री ने पाई

मगर कुछ लोग दुहिता को दूर रखने में ही अपना हित समझते

गजनी में ‘दुख्तरे हिन्दोस्तां नीलामे दो दीनार’ मीनार में लिखा है

महमूद गजनवी ने दो दीनार में चार लाख हिन्दू दुहिता बेची थी!

भाई संस्कृत के भातृ भ्राता भ्रातर भातृवर से अवेस्ता में ब्रातर,

फारसी उर्दू में बिरादर, अंग्रेजी में ब्रदर बना, बेटा जो बांट लेता,

लड़का लड़के लेता पितृ संपत्ति, पुत्र पितर को पुण्यलोक दिलाता,

संस्कृत में सु धातु से पैदा हुआ सुत यानि पुत्र ‘सूनु’ ग्राम्य नुनु,

अवेस्ता में हूनु, एंग्लो भाषाओं में सुनूं, अंग्रेजी में सन हो जाता!

ऐसे ही कू कू करने वाली चिड़िया कोकिला कोयल कहलाई

खै खै आवाज निकालने वाला खैखर कहलाता वो लोमड़ी भी,

ती ती जो ध्वनि निकाले वो तीतर या तित्तिर पक्षी हो गया

जो फूलों पर भ्रमण करे, वही भ्रमर या भौंरा कहलाने लगा!

शब्द निर्मित होते ध्वनि रंग स्वरूप नाम स्थान कार्य धातु गुण

उपसर्ग प्रत्यय विशेषण कहानी कल्पना अंधविश्वास उच्चारण से

जब विदेशी अरबी तुर्की आक्रमणकारी आए वे आक्रांता कहलाए

आक्रांताओं ने यूनानी अरबी फारसी तुर्की अंग्रेजी शब्द संग लाए!

आक्रांता बावर का अर्थ विश्वास, बाबर संग विश्वासी बावर्ची आया

खाना बनानेवाला खानसामा विश्वसनीय होता तबसे बावर्ची कहलाया

फारसी आक्रांताओं के संग हजार शब्द आया जो संस्कृत के शब्द

सहस्त्र से लड़कर जीता, आज हजार शब्द जीवित, सहस्त्र अधमरा हुआ!

छींट खोपड़ा मुहम्मद बिन तुगलक का जनता को दिल्ली से दौलताबाद

दौलताबाद से दिल्ली राजधानी बदलने सा निर्देश तुगलकी फरमान कहलाता

तैमूर लंग लंगड़े लोग कहे जाते, उज़्बेकिस्तानी उजबक मतलब बुड़बक होता

संस्कृत की कर्तरी मर गई तुर्की शब्द कैंची से, श्रीमान मरा अंग्रेजी सर से!

सन् उन्नीस सौ पैंसठ में

जब पाकिस्तानियों ने भारत में घुस-पैठ किया

तब से घुस-पैठिया शब्द का जन्म हुआ!

जब लोकतंत्र में नेता विधायक सांसद दल बदलने लगे

तब से दल-बदलू शब्द का सृजन हुआ!

जम्मू कश्मीर में जबसे आतंकवाद का शुरुआत हुआ

तबसे फियादीन हमला टेरोरिस्ट शब्द का विकास हुआ!

जब से निराला ने मुक्त छंद में रचना शुरू की

छंद की पंक्तियां बराबर से छोटी बड़ी होनी लगी

तब से रबड़ छंद या केंचुआ छंद का ईजाद हुआ!

सच में शब्द निर्मित होते ध्वनि रंग रूप नाम कार्य आदि से

फट फट करनेवाली मोटरसाइकिल गांव में फटफटिया कहलाती

भो भो से भोंपू, में में से मिमियाना, भू भू से भूंकना क्रिया!

जो व्यक्ति इधर की बातें उधर करे उसे नारद कहा जाता

हत्यारा नादिर हिटलर से नादिरशाही हिटलरशाही शब्द निकला!

विभीषण जयचंद मीरजाफर देशद्रोही का पर्याय बन गया

हरिश्चन्द्र युधिष्ठिर का अर्थ अब महासत्यवादी होने लगा!

सीता सावित्री पतिव्रता का पर्याय, मंथरा घर फोड़नेवाली कूटनी

सुंदर नर कामदेव कहलाते, सुंदर नारी रति तिलोत्तमा कहलाती!

कुबेर वैभवशाली, राम मर्यादा का प्रतीक, भगीरथ कठिन परिश्रम का भावार्थ

भरत,लक्ष्मण आदर्श अनुज, श्रवणकुमार मातृपितृभक्त, सीधा-साधा बमभोला होते

भीष्म प्रणवीर, एकलव्य आदर्श छात्र, मुकद्दर वाला सिकंदर होता बुद्ध बुत मूर्ति

भीम कहते लंबे तगड़े भीमकाय जबान को, सूरदास अंधे, रविदास चर्मकार कहलाते!

पुर्तगालियों ने सूरत से तम्बाकू पूरे देश में भेजा जो सुरती कहलाने लगा

भारतीय शर्करा शक्कर का चीनी नाम चीन से, मिस्री नाम मिस्र से आया

कुछ शब्द बोलकर पिछली कथा सुनाते हैं जैसे अतिथि गोघ्न कहलाता था

गो का अर्थ गाय घ्न का मारना, यानि आतिथ्य हेतु गो मारी जाती होगी

गाय की एक संज्ञा अघ्न्या तब बनी जब गोहत्या प्रतिबंधित हो गई होगी

ऐसे ही गवेषना का अर्थ गाय खोजना,अब विचार गोष्ठी अन्वेषण हो गया!

पहले श्रेष्ठ महाजन का अर्थ श्रेष्ठ व्यक्ति, साधु का महात्मा सज्जन था

अब अर्थ में अवनति होकर सेठ महासेठ महाजन साहु वैश्य उपाधि हो गई

महाराज का अर्थ महाराजा था, अब भोजन बनाने वाले महाराज कहे जाते

हिरण संज्ञा मृग कभी सर्व पशु द्योतक, जिससे सिंह मृगांक मृगराज बने

भद्र का अर्थ भला, भद्र से भद्दा भोंदू भद्रा अपशकुन सूचक शब्द निकले!

पेपिरस घास का कागज पेपर कहलाता, पेड़ विशेष की छाल बिबलास से

बाइबल धर्मग्रंथ का नाम सृजित, उससे पुस्तक सूची बिबिलियोग्राफी हुई

कभी एकेडेमिया बगीचा था जहां प्लेटो बैठकर ज्ञान दर्शन बांचते रहते थे

उसी एकेडेमिया से शिक्षण संस्था एकेडमी अकादमी शब्द निर्मित हो गए

अक्षर अक्षर नाद ब्रह्म है, अक्षर से शब्द जन्म लेते, अर्थ ग्रहण करते!

—विनय कुमार विनायक

दुमका, झारखंड-814101.

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