सीमा पासी
अमेरिका में दो दिन में तीन आतंकवादी हमले हो गए हैं., इससे लगता है कि वो अब अपनी करनी का फल भुगत रहा है। इस्लामिक आतंकवाद को पैदा करने वाला अमेरिका ही है जिसने अपने मतलब के लिए सत्ता की लड़ाई को धर्म की लड़ाई में बदल दिया। अमेरिका ही वो देश है जिसने विद्रोहियों को आतंकवादियों में बदल दिया। विद्रोही का एक उद्देश्य होता है और जब उसका उद्देश्य पूरा हो जाता है तो वो एक सामान्य जीवन में लौट जाता है लेकिन आतंकवादी का उद्देश्य सिर्फ दुनिया की बर्बादी होता है, जो कभी पूरा नहीं हो सकता। यही कारण है कि आतंकवादी का काम कभी खत्म नहीं होता लेकिन वो खत्म हो जाता है। मुस्लिम देशों में सत्ता संघर्ष आतंकवाद में बदल चुका है क्योंकि वहां सत्ता को धार्मिक कट्टरता के साथ जोड़ दिया गया है। अब सत्ता परिवर्तन की लड़ाई इस्लामिक शासन लाने की लड़ाई में बदल रही है और ऐसा लगभग सभी इस्लामिक देशों में हो रहा है।
पाकिस्तान खुद को इस्लाम का अगुआ साबित करने की कोशिश में रहता है लेकिन अब तालिबान उसे गैर इस्लामिक देश मानने लगा है और वहां शरीयत का राज लाने की बात कर रहा है जिसमें उसे पाकिस्तान के ही कट्टरपंथियों का साथ मिल रहा है। अमेरिका ने आतंकवाद और कट्टरवाद के इस्तेमाल से मुस्लिम देशों को बर्बाद करने की साजिश रची है जिसे मुस्लिम समुदाय कभी समझ नहीं पाया । मुस्लिम समुदाय को जब नुकसान होता है तो वो इसे साजिश बोलने लगता है लेकिन जब दूसरे समुदाय को नुकसान होता है तो चुप्पी मार लेता है और आतंकवादियों का समर्थन करने लगता है।
अमेरिका ने जो खतरा पैदा किया है वो अब उसके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और उसे डरा रहा है। अमेरिका सोचता है कि बहुत ताकतवर देश है और उसके सुरक्षा बल आतंकवादियों से निपट लेंगे लेकिन लोन वुल्फ अटैक को रोकना किसी भी सुरक्षा एजेंसी के लिए असंभव है। इसमें सिर्फ एक आदमी पूरा संगठन होता है, जो खुद हमले की योजना बनाता है और खुद ही हमला करता है इसलिए इसकी जानकारी जुटाना और इसको रोकने के उपाय करना बहुत मुश्किल होता है। यूरोप और अमेरिका में ऐसे ही हमले हुए हैं जो इनके पापों की सजा है। इन देशों ने आतंकवाद की हमेशा अनदेखी की है और आतंकवाद पीड़ित भारत जैसे देशों का मजाक बनाया है। अब ये ऐसे चक्रव्यूह में फंस गए हैं जहां से कभी निकल नहीं पाएंगे..
सीमा पासी