असफाक उल्ला: ‘खुदा से जन्नत के बदले एक नया जन्म मांगूंगा’

—विनय कुमार विनायक
अमर शहीद असफाकउल्लाह ने एक गजल गाया था,
जिसमें हिन्दू मुस्लिम को एकता का पाठ पढ़ाया था!

“जाऊंगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जाएगा.
जाने किस दिन हिन्दोस्तां आजाद वतन कहलायेगा!

बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं फिर आऊंगा फिर आऊंगा,
ले नया जन्म ऐ भारत मां! तुमको आजाद कराऊंगा!

जी करता है मैं भी कह दूं,पर मजहब से बंध जाता हूं,
मैं मुसलमान हूं, पुनर्जन्म की बात नहीं कह पाता हूं!

हां खुदा अगर मिल गया कहीं अपनी झोली फैला दूंगा,
और जन्नत के बदले उससे एक नया जन्म हीं मांगूंगा!”

ये है देश व दोस्त बिस्मिल के प्रति असफाक के तराने,
दोनों काकोरी कांड के साथी एक जैसे दोनों के अफसाने!

असफाक धर्म से मुस्लिम और बिस्मिल आर्य समाजी थे,
पर उनकी दोस्ती ऐसी कि वे साथ जीते खुशमिजाजी से!

एकबार बीमार पड़े असफाक तो बेहोशी में बोलने लगे थे
राम नाम तो मां पिता ने समझा असफाक हिन्दू हो गए!

पर बात ऐसी नहीं थी असफाक अपने प्रिय मित्र के नाम
राम प्रसाद बिस्मिल को राम राम कहकर बुलाने लगे थे!

असफाक सपूत थे पिता शफीकुल्लाह मां मजहूरुन्निशा के,
बाईस अक्तूबर उन्नीस सौ ई. में शाहजहांपुर में जन्मे थे!

गांधी जी ने उन्नीस सौ बीस में असहयोग आंदोलन छेड़ा
और उन्नीस सौ बाइस ई.के चौरी चौरा कांड से मुख मोड़ा!

तो गांधी की ऐसी नीति से युवाओं का मोह भंग हो गया,
असफाक बिस्मिल लाहिड़ी रोशन सिंह ने युवादल बनाया!

जिसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का नाम दिया,
नौ अगस्त पच्चीस में देशहित में काकोरी लूटकांड किया!

असफाक छोड़ बिस्मिल सहित सारे क्रांतिकारी पकड़े गए,
मगर एक पठान की धोखाधड़ी से असफाक भी जेल गए!

ये उदाहरण है कि समान धर्मी होने पर भी सभी आदमी
अपना नहीं होता,मजहब से हटकर सोच होता आदमी का!

इतिहास में सबसे अधिक अपनों ने ही दुख संताप दिया,
अपने समुदाय के लोगों ने मात दिया विश्वासघात किया!

अंत में उन्नीस दिसंबर उन्नीस सौ सत्ताईस ई में असफाक
फैजाबाद में व रामप्रसाद गोरखपुर जेल में शहीद हो गए!

जहां में जब भी देशभक्ति के जज्बे और जज्बात मिलेंगे,
समझो वहां असफाक व बिस्मिल सा सुंदर गुलाब खिलेंगे!
—विनय कुमार विनायक

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