राजनीति गांधी की वसीयत और वसीयत के गांधी January 19, 2023 / January 19, 2023 | Leave a Comment अरुण तिवारी मोहनदास कर्मचन्द गांधी – किसी एक इंसान का नहीं, बल्कि एक ऐसे दूरदृष्टि सिद्धांत और जीवन शैली का नाम है, जिसमें सृष्टि हितैषी उप-सिद्धांत व व्यवहार खुद-ब-खुद निहित हैं। इस नाते ही मैं गांधी जी के जीवन को किसी एक इंसान का जीवन न मानकर, भारत के आत्मज्ञान, प्राकृतिक जीवन शैली और नैतिक […] Read more » Gandhi's Will and Testament of Gandhi
लेख तीर्थों को पर्यटकों के लिए खोलने का उत्साह पर्यावरणीय पैमाने पर खतरनाक January 17, 2023 / January 17, 2023 | Leave a Comment चारधाम सड़क परियोजना, चारधाम रेल प्रस्ताव, सम्मेद शिखर और अब गंगा विलास – तीर्थों को पर्यटकों के लिए खोलने का उत्साह पर्यावरणीय पैमाने पर खतरनाक साबित हो सकता है। क्या करें ? आइए, मंथन करें। गंगा विलास नहीं, नदी तीर्थ : तीर्थ गांव अरुण तिवारी दिलचस्प है कि हमारा घूमना-घुमाना, आज दुनिया के देशों को सबसे […] Read more » Chardham Rail Proposal Chardham Road Project Ganga Vilas Sammed Shikhar चारधाम रेल प्रस्ताव चारधाम सड़क परियोजना सम्मेद शिखर और अब गंगा विलास
राजनीति राष्ट्रपति की वेदना : कैसे मिले सस्ता-समुचित न्याय ?? December 6, 2022 / December 6, 2022 | Leave a Comment अरुण तिवारी हज़ारों भारतीय ग़रीब सिर्फ इसलिए जेलों में जीवन गुजारने को विवश हैं, क्योंकि वे न संविधान की मूल भावना से परिचित हैं और न ही अपने संवैधानिक अधिकार व कर्तव्यों से। वे इतने ग़रीब हैं कि जमानत कराने में उनके परिजनों के घर के बर्तन बिक जायेंगे। जुर्म मामूली..किसी से तू तू-मैं मैं […] Read more »
परिचर्चा पर्यावरण लेख जंगलात को आइना दिखाती एक जंगल बुक November 21, 2022 / November 21, 2022 | Leave a Comment अरुण तिवारी जब दिमाग और दुनिया…दोनो का पारा चढ़ रहा हो, खुशियों की हरियाली घट रही हो और मन का रेगिस्तान बढ़ रहा हो तो किसी को आइना भी झूठ लग सकता है। ऐसे वैश्विक माहौल में एक ऐसी भारतीय किताब का आना बेहद अहम् है, जिसे लिखने वाले वे हैं, जिन्होने जंगली जीवों की संवेदनाओं व […] Read more » वाइल्डलाइफ इंडिया
पर्यावरण साफ सांसों की खातिर आइए, हवा बनायें मुआफिक November 9, 2022 / November 9, 2022 | Leave a Comment लेखक : अरुण तिवारी ऋतु परिवर्तन के इन दिनों में दिल्ली का वायु प्रदूषण फिर उसी स्तर की ओर अग्रसर है, जहां हम वर्ष 2019 में थे: पिछले चार साल में खराब हवा के दिन – 1440; बेहद खराब हवा की अवधि – तीन माह; अच्छी हवा की उपलब्धता – मात्र पांच दिन। 14 चिन्हित […] Read more » For the sake of clean breath let's make the air as it is
लेख पदयात्रायें कुछ न कुछ तो बदलती ही हैं September 19, 2022 / September 19, 2022 | Leave a Comment अरुण तिवारी चरेवैति…चरेवैति – लक्ष्य मिले न मिले, चलते रहिए। इसका मतलब यह है कि चलते रहिए। चलते रहेंगे तो आपके द्वारा तय लक्ष्य मिले न मिले; कुछ न कुछ हासिल तो होगा ही। पदयात्राओं का सच यही है।यात्री कोई भी हो; यात्रा कितनी ही छोटी हो अथवा लम्बी; पदयात्राओं के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। […] Read more » Hikings do change something
लेख असम की बाढ़ : कारण और निवारण के बीच फंसे लोग July 6, 2022 / July 6, 2022 | Leave a Comment अरुण तिवारी असम में बाढ़ कोई नई घटना नहीं है . किन्तु मानसून के पहले ही चरण में बाढ़ का इतना ज्यादा टिक जाना और इसके लिए सरकार के मुखिया द्वारा लोगों पर दोषारोपण असम के लिए नई घटना है।गौर फरमाइए कि असम के मुख्यमंत्री ने सिल्चर नगर की बाढ़ के लिए बराक नदी के […] Read more » Assam floods
कहानी दो बूंद गंगाजल June 24, 2022 / June 24, 2022 | Leave a Comment अरुण तिवारी (वैश्विक तापमान में वृद्धि और इसके परिणामस्वरूप मौसमी परिवर्तन। निःसंदेह, वृद्धि और परिवर्तन के कारण स्थानीय भी हैं, किंतु राजसत्ता अभी भी ऐसे कारणों को राजनीति और अर्थशास्त्र के फौरी लाभ के तराजू पर तौलकर मुनाफे की बंदरबांट में मगन दिखाई दे रही है। जन-जागरण के सरकारी व स्वयंसेवी प्रयासों से जनता तो […] Read more » two drops of gangajal दो बूंद गंगाजल
कविता होली मंगलमय March 30, 2021 / March 30, 2021 | Leave a Comment जब नशेमन कालिख पुत जाती है,सत्ता एकरंगी होड़ बढ़ाती है,सभा धृतराष्ट्री हो जाती है,औ कृष्ण नहीं जगता कोई,तब असल अमावस आती है . तब कोई प्रहलाद हिम्मत लाता है,पूरे जग को उकसाता है,तब कुछ रशिमरथी बल पाते हैं,एक नूतन पथ दिखलाते हैं. द्रौपदी खुद अग्निलहरी हो जाती है ,कर मलीन दहन होलिका ,निर्मल प्रपात बहाती […] Read more » होली मंगलमय
राजनीति बंद हो गैरसेण को राजधानी बनाने के बहकावे का खेल March 30, 2021 / March 30, 2021 | Leave a Comment लेखक: अरुण तिवारी उत्तराखण्ड राज्य बने 20 वर्ष, 06 महीने से अधिक हो गए। गैरसेण को राजधानी बनाने की मांग इससे भी पुरानी है; 1960 के दशक की। गौर कीजिए कि गैरसेण, गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर स्थित है। दोनो मण्डल के लोगों को सहूलियत होगी। इसी तर्क के आधार पर गैरसेण को राजधानी […] Read more » गैरसेण को राजधानी
राजनीति सरकार और बाज़ार को अनुशासित करने की चुनौती March 11, 2021 / March 11, 2021 | Leave a Comment अरुण तिवारी प्रधानमंत्री जी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम ( फरवरी, 2021) में सभ्यता, संस्कृति और आस्था से जोड़कर नदियों की महत्ता बताई। हक़ीक़त यह है कि इन्ही प्रधानमंत्री जी ने गंगा-अविरलता को विज्ञान से ज्यादा, आस्था का विषय मानने वाले स्वर्गीय स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद की एक नहीं सुनी। गंगा अविरलता सुनिश्चित करने हेतु […] Read more » सरकार और बाज़ार को अनुशासित
राजनीति जो लोक सेवा के इच्छुक हैं, वे पंच बनें March 10, 2021 / March 10, 2021 | Leave a Comment अरुण तिवारी उत्तर प्रदेश और बिहार में पंचायती चुनावों की तैयारी शुरु हो चुकी है। आगे चलकर आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य कई राज्यों में पंचायती चुनाव होंगे। ये अवसर भी हैं और चुनौती भी। लोकसेवा की चाह रखने वालों के लिए यह एक अवसर है और मतदाता के लिए चुनौती। चुनौती जाति, संप्रदाय और दलों के दलदल […] Read more » panchayati election पंचायती चुनावों की तैयारी