विधि-कानून विविधा भू-संशोधन विरोध : इस सवाल का जवाब जरूरी है April 17, 2015 | 3 Comments on भू-संशोधन विरोध : इस सवाल का जवाब जरूरी है आप इस लेख को पढें, इससे पहले मैं स्पष्ट कर दूं कि भूमि अधिग्रहण को लेकर भाजपा सरकार ने जो कुछ किया, मैं उसका पक्षधर कतई नहीं हूं। मैने भूमि और भूमिधरों को पक्ष को सामने रखकर कई लेख लिखे हैं। इस बीच विरोधियों के दोहरे व्यवहार को दर्शाते कई बिंदु सामने आये है, जिनकी […] Read more » Featured Land Aquisition Bill भू-संशोधन विरोध भूमि अधिग्रहण संबंधी कानून-2013
राजनीति स्वानुशासन भूले का नतीजाहै ’स्वराज सम्वाद’ April 11, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment चार बरस पहले इतिहास ने करवट ली। जे पी की संपूर्ण क्रांति के दौर के बाद जनमानस एक बार फिर कसमसाया। वैश्विक महाशक्तियों द्वारा भारत को अपने आर्थिक साम्राज्यवाद की गिरफ्त में ले लेने की लालसा के विरुद्ध धुंआ भी उठा। अन्ना-केजरीवाल की जोङी के साथ मिलकर करोङों भारतीयों ने एक सपना देखा। इसे सुयोग […] Read more » Featured अरुण तिवारी स्वानुशासन भूले का नतीजाहै ’स्वराज सम्वाद’
राजनीति तीसरी नहीं, पहली सरकार है ग्रामसभा April 11, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment इलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सङक किनारे एक जगह है- राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली -तीसरी सरकार संवाद एवम् सम्पर्क यात्रा।राजतंत्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अंतिम। लोकतंत्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली सरकार। इसलिए मैं पंचायती राज […] Read more » Featured अरुण तिवारी ग्रामसभा तीसरी नहीं पहली सरकार है ग्रामसभा सरकार
खेत-खलिहान इस सवाल का जवाब जरूरी है April 10, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment मेरे पूर्व लिखित लेखों में भूमि अर्जन, पुनस्र्थापन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता कानून-2013 के पक्ष में कई तर्क हैं। इन तर्कों को सामने रख कोई सहमत हो सकता है कि वह भूमि बचाने वाला कानून था। वह बहुमत की राय के आधार पर भूमिधर को भूमि बेचने, न बेचने की आजादी देता […] Read more » Featured अन्ना अरुण तिवारी भूमि अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण क़ानून
जन-जागरण राजनीति शख्सियत अंतिम जन को खैरात नहीं, खुद्दारी की दरकार March 27, 2015 / April 4, 2015 | Leave a Comment इस दुनिया में यदि कोई सबसे आसान काम है तो वह है, किसी में खामियां निकालना। इस दुनिया में यदि कोई सबसे कठिन काम है, तो वह है, दूसरों को उपदेश देने से पहले उसे स्वयं आात्मसात् करना। इस दुनिया में महान विचारक और भी बहुत हुए, किंतु महात्मा गांधी ने दुनिया के सबसे कठिन […] Read more » Featured अंतिम जन को खैरात नहीं खुद्दारी की दरकार अरुण तिवारी महात्मा गांधी
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म समाज विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग March 23, 2015 | 1 Comment on विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग कितना सुखद संयोग है! 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के बहाने हम सब की अपनी एक नन्ही घरेलु ङिया की चिन्ता; देशी माह के हिसाब से चैत्री अमावस्या यानी गोदान का दिन। 21 मार्च को चैत्र मासके शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी मौसमी परिवर्तन पर संयमित जीवन शैली का आग्रह करते नव दिन और […] Read more » जल दिवस विश्व जल दिवस विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग
कविता मां भारती का जलगान March 23, 2015 | Leave a Comment जयति जय जय जल की जय हो जल ही जीवन प्राण है। यह देश भारत…. सागर से उठा तो मेघ हिमनद से चला नदि प्रवाह। फिर बूंद झरी, हर पात भरी सब संजो रहे मोती-मोती।। है लगे हजारों हाथ, यह देश भारत….. कहीं नौळा है, कहीं कहीं जाबो कूळम आपतानी। कहीं बंधा पोखर पाइन है […] Read more » अरुण तिवारी जलगान मां भारती का जलगान
आर्थिकी चिंतन धर्म-अध्यात्म विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग March 21, 2015 | Leave a Comment कितना सुखद संयोग है! 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस के बहाने हम सब की अपनी एक नन्ही घरेलु चिङिया की चिन्ता; देशी माह के हिसाब से चैत्री अमावस्या यानी गोदान का दिन। 21 मार्च को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी मौसमी परिवर्तन पर संयमित जीवन शैली का आग्रह करते नव दिन […] Read more » world water day विश्व जल दिवस विश्व जल दिवस का भारतीय संयोग
कविता हा! ये क्यूं हुआ ? March 7, 2015 | 1 Comment on हा! ये क्यूं हुआ ? निर्भया कांड के अपराधी, संसद की बहस और आम आदमी पार्टी को दिल्ली मंत्रिमंडल के लिए एक भी योग्य महिला न मिल पाने के रवैये में नारी के प्रति हम पुरुषों की मानसिकता के कई रूप झलकते हैं। इन्हे झेलते हुए भी अपनी मर्यादा और संस्कारों को सहेजने की कोशिश में जुटी भारतीय नारी के […] Read more » हा! ये क्यूं हुआ ?
दोहे तब हर पल होली कहलाता है। March 6, 2015 | Leave a Comment जब घुप्प अमावस के द्वारे कुछ किरणें दस्तक देती हैं, सब संग मिल लोहा लेती हैं, कुछ शब्द, सूरज बन जाते हैं, तब नई सुबह हो जाती है, नन्ही कलियां मुसकाती हैं, हर पल नूतन हो जाता है, हर पल उत्कर्ष मनाता है, तब मेरे मन की कुंज गलिन में इक भौंरा रसिया गाता है, […] Read more » होली
जन-जागरण भू-अधिकार आयोजनों का हासिल March 5, 2015 | Leave a Comment भू-अधिकार के मसले पर सरकार को चेतावनी देने के आयोजनों का एक दौर संपन्न हो चुका है। वाया अन्ना, आयोजन का अगला दौर नौ मार्च को वर्धा (महाराष्ट्र) स्थित सेवाग्राम से शुरु होगा। इन आयोजनों का जनता को हुआ हासिल अभी सिर्फ इतना ही है कि वह जान चुकी है कि कोई ऐसा कानून बना […] Read more » भू-अधिकार भू-अधिकार आयोजन
जन-जागरण भू-संशोधनों ने लौटाया आंदोलनों का मौसम February 23, 2015 / February 24, 2015 | 2 Comments on भू-संशोधनों ने लौटाया आंदोलनों का मौसम संदर्भ: अन्ना सत्याग्रह अरुण तिवारी मौसमी हवा का रंगत अभी भले ही बसंती हो, किंतु सामाजिक और सियासी हल्के मंे तपिश बढेगी, गर्मी लौटेगी; इसके संकेत हो चुके हैं। भूमि अधिग्रहण स्ंशोधनों को लेकर जंतर-मंतर पर 24 फरवरी को अन्ना दल, 25 को कांग्रेस और ’नमक सत्याग्रह’ के जरिए किसान आंदोलन की जमीन तलाशने का […] Read more » आंदोलनों का मौसम भू-संशोधन