लेख नर्मदा निर्मलता : कुछ विचारणीय सुझाव February 19, 2021 / February 19, 2021 | Leave a Comment लेखक: अरुण तिवारी नीति पहले, कार्ययोजना बाद मेंकिसी भी कार्ययोजना के निर्माण से पहले नीति बनानी चाहिए। नीतिगत तथ्य, एक तरह से स्पष्ट मार्गदर्शी सिद्धांत होते हैं। एक बार दृष्टि साफ हो जाये, तो आगे विवाद होने की गुंजाइश कम हो जाती है। इन सिद्धांतों के आलोक में ही कार्ययोजना का निर्माण किया जाना चाहिए। […] Read more » Narmada Nirmalata: Some Considerable Tips नर्मदा निर्मलता
राजनीति चारधामऑलवेदर रोड और गंगा एक्सप्रेस-वे :बहस इन पर भी हो February 15, 2021 / February 15, 2021 | Leave a Comment अरुण तिवारी नदियों के अविरल-निर्मल पक्ष की अनदेखी करते हुए उनकी लहरों पर व्यावसायिक सवारी के लिए जलमार्ग प्राधिकरण। पत्थरों के अवैध चुगान व रेत के खनन के खेल में मिल खुद शासन-प्रशासन के नुमाइंदे। बांध-सुरंग परियोजनाएं। गंगा की ज़मीन पर पटना की राजेन्द्र नगर परियोजना। लखनऊ में गोमती के सीने पर निर्माण। दिल्ली में यमुना की […] Read more » Chardham Allweather Road and Ganga Express-Way: Debate on these too चारधामऑलवेदर रोड और गंगा एक्सप्रेस-वे
लेख गांधी से क्या सीखें हम ? January 31, 2021 / January 31, 2021 | Leave a Comment अरुण तिवारी वर्ष-2021 की गांधी पुण्य तिथि ऐसे मौके पर आई है, जब खुद को लोक प्रतिनिधि सभा कहने वाली संसद में खेती से जुड़े ऐसे तीन प्र्रस्तावों को बिना बहस क़ानून बना दिया गया है, जिन्हे खुद खेतिहर अपने खिलाफ बता रहे हैं। वे क़ानूनों को रद्द कराने की जिद्द पर अडे़ हैं। कृषि […] Read more » What should we learn from Gandhi? गांधी से क्या सीखें हम
शख्सियत साक्षात्कार तालाब जितने सुंदर व श्रेष्ठ होंगे, अनुपम की आत्मा उतना सुख पायेगी – राजेन्द्र सिंह December 22, 2020 / December 22, 2020 | Leave a Comment अरुण तिवारी हम सभी के अपने श्री अनुपम मिश्र नहीं रहे। इस समाचार ने खासकर पानी-पर्यावरण जगत से जुडे़ लोगों को विशेष तौर पर आहत किया। अनुपम जी ने जीवन भर क्या किया; इसका एक अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनुपम जी के प्रति श्रृ़द्धांजलि सभाओं के आयोजन का दौर इस संवाद […] Read more » राजेन्द्र सिंह श्री अनुपम मिश्र
कविता श्री अनुपम मिश्र : सबसे लम्बी रात का सुपना नया December 22, 2020 / December 22, 2020 | Leave a Comment अरुण तिवारी सबसे लम्बी रात का सुपना नयादेह अनुपम बन उजाला कर गया।रम गया, रचता गयारमते-रमते रच गया वह कंडीलों कोदूर ठिठकी दृष्टि थी जोपता उसका लिख गयासबसे लम्बी रात का सुपना नया… रमता जोगी, बहता पानीरच गया कुछ पूर्णिमा सीकुछ हिमालय सा रचा औहैं रची कुछ रजत बूंदेंशिलालेखों में रचीं कुछ सावधानीवह खरे तालाब […] Read more » श्री अनुपम मिश्र
लेख साहित्य अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त December 22, 2020 / December 22, 2020 | Leave a Comment अरुण तिवारी जब देह थी, तब अनुपम नहीं; अब देह नहीं, पर अनुपम हैं। आप इसे मेरा निकटदृष्टि दोष कहें या दूरदृष्टि दोष; जब तक अनुपम जी की देह थी, तब तक मैं उनमें अन्य कुछ अनुपम न देख सका, सिवाय नये मुहावरे गढ़ने वाली उनकी शब्दावली, गूढ से गूढ़ विषय को कहानी की तरह […] Read more » अनुपम साहित्य को खंगालने का वक्त
राजनीति गंगा हितों की अनदेखी के मार्ग November 22, 2020 / November 22, 2020 | Leave a Comment अरुण तिवारी नदियों के अविरल-निर्मल पक्ष की अनदेखी करते हुए उनकी लहरों पर व्यावसायिक सवारी के लिए जलमार्ग प्राधिकरण। पत्थरों के अवैध चुगान व रेत के खनन के खेल में शामिल खुद शासन-प्रशासन के नुमाइंदे। गंगा की ज़मीन पर पटना की राजेन्द्र नगर परियोजना। लखनऊ में गोमती के सीने पर निर्माण। दिल्ली में यमुना की […] Read more » चारधाम ऑल वेदर रोड
राजनीति गणतंत्र संवैधानिक बनाम लोकतांत्रिक January 30, 2020 / January 30, 2020 | 1 Comment on गणतंत्र संवैधानिक बनाम लोकतांत्रिक अरुण तिवारी आज़ादी से तुरन्त पहले भारत में ब्रितानी ताज का राज था। उससे पहले मुगलिया सल्तनतों समेत अनेक छत्रों के तले संचालित व्यवस्थायें भी राजतांत्रिक ही थीं। राजतंत्र बुरा होता है, गणतांत्रिक व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ। यही सोचकर हमने आज़ाद भारत का संविधान बनाया। 26 जनवरी, 1950 को भारत, संसदीय गणतंत्र हो गया। आज हम भारत […] Read more » Republican constitutional vs democratic गणतंत्र
राजनीति गंगा से खिलवाड़ का दुष्फल January 30, 2020 / January 30, 2020 | Leave a Comment अरुण तिवारीगंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित् नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विकास, तट विकास, तट पर औषधि उद्यान, सतही सफाई, खुले में शौच मुक्ति के लिए गंगा ग्रामों में बने शौच गड्ढे…खुद को धोखा देने जैसे ही काम हैं। […] Read more » Messing with the Ganges नदियों के साथ खिलवाड़
राजनीति दिल्ली चुनाव : दिल्ली मांगे मोर January 22, 2020 / January 22, 2020 | Leave a Comment लेखक: अरुण तिवारी लोकतांत्रिक पिरामिड को सही कोण पर खड़ा करने के पांच सूत्र हैं: लोक-उम्मीदवार, लोक-घोषणापत्र, लोक-अंकेक्षण, लोक-निगरानी और लोक-अनुशासन। लोक-घोषणापत्र का सही मतलब है, लोगों की नीतिगत् तथा कार्य संबंधी जरूरत व सपने की पूर्ति के लिए स्वयं लोगों द्वारा तैयार किया गया दस्तावेज। प्रत्येक ग्रामसभा व नगरीय वार्ड सभाओं को चाहिए कि वे मौजूद […] Read more » दिल्ली चुनाव दिल्ली चुनाव दिल्ली मांगे मोर
राजनीति नागरिकता जी लपेटे में January 17, 2020 / January 17, 2020 | 1 Comment on नागरिकता जी लपेटे में अरुण तिवारी किसी ने दुरुस्त कहा है कि आजकल के राजनेताओं की राजनीति, मुद्दे का समाधान करने में नहीं, उसे जिंदा रखने से चमकती है। यदि समाधान करना होता, तो नागरिकता संशोधन पर जनाकांक्षा का एहसास होते ही त्रिदेशीय मजहबी आधार को तुरन्त हटाया जाता; नहीं तो सर्वदलीय बैठक या संसद का विशेष सत्र बुलाया […] Read more » CAA CAB NRC नागरिकता जी
कविता सबसे लम्बी रात का सुपना नया… December 24, 2019 / December 24, 2019 | Leave a Comment अरुण तिवारी सबसे लम्बी रात का सुपना नया देह अनुपम बन उजाला कर गया। रम गया, रचता गया रमते-रमते रच गया वह कंडीलों को दूर ठिठकी दृष्टि थी जो पता उसका लिख गया सबसे लम्बी रात का सुपना नया… रमता जोगी, बहता पानी रच गया कुछ पूर्णिमा सी कुछ हिमालय सा रचा औ हैं रची […] Read more » सबसे लम्बी रात का सुपना नया