व्यंग्य चुनावी मौसम बड़ा सुहाना लगे March 15, 2014 | Leave a Comment -नजमून नवी खान- प्रकति के बनाये हूये तीन मौसम हमें मिले जिन्हें हम सर्दी, गर्मी और बरसात के नाम से जानते हैं, इनके अलावा हम इंसानों ने भी एक मौसम बनाया है जिसे हम सभी चुनावी मौसम के नाम से जानते हैं। ये सबसे सुहाना मौसम होता है जिसमें ना कोई छोटा है ना कोई […] Read more » satire on electoral system and leaders चुनावी मौसम बड़ा सुहाना लगे
चुनाव भारतीय जनतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव! March 15, 2014 | Leave a Comment -फखरे आलम- भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म का सबसे बड़ा उत्साह, उल्लास और उत्सव जिस प्रकार से होली है। ठीक उसी प्रकार से भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आम चुनाव है। होली के ठीक पूर्व जिस प्रकार से रंगों का खुमार चढ़ने लगा है। मतदान से पूर्व और चुनाव की घोषणा और परिणाम से […] Read more » big festival of Indian democracy भारतीय जनतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव!
विविधा आम चुनाव से पूर्व का हलचल! March 11, 2014 / March 11, 2014 | Leave a Comment फखरे आलम 2014 आम चुनाव से कापफी पहले ही राजनीति गहमागहमी देखने को मिलने लगी थी। मगर चुनाव की घोषणा से पूर्व का कोलाहल बड़ा चिलचस्प है। अब बारी है जनता की! देखने और दिखलाने का! जिस प्रकार से राजनीति दलों ने जनता की नहीं सुनी, जनता की मूलभूत सुविधओं को अनदेखी की, जनता की […] Read more »
विविधा अखिलेश जी, बहुत हुआ तुष्टीकरण!!! March 11, 2014 / March 11, 2014 | Leave a Comment सचिन शर्मा दो मार्च को मीरपुर में खेले गये भारत-पाक मैच के दौरान पाकिस्तान की जीत पर मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में कश्मीर छात्रों द्बारा पाकिस्तान जिदाबाद का नारे लगाना न केवल अक्षम्य है बल्कि ये देशद्रोह की श्रेणी में भी आता है। इस मामले में पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करते हुये कश्मीरी […] Read more »
आर्थिकी ‘मुहावरा रह गई दाल-रोटी’ February 28, 2014 | Leave a Comment -भरतचंद्र नायक- हर मुल्क का आत्मदर्शन, प्रतिबद्धताएं और वर्जनाएं होती हैं जो कौम की दिशा निर्देश बनती है। भारत में दाल रोटी की पूर्ति करने के लिए आजीविका चलते रहना हमारे परम संतोष का विषय रहा है। इसलिए खेती को आजीविका के बजाय धर्म और संस्कृति के रूप में आत्मसात किया गया है। आाजदी के […] Read more » ‘मुहावरा रह गई दाल-रोटी’ Agriculture condition in India
राजनीति अपने ही देश में बेगाने हिंदू February 27, 2014 / February 27, 2014 | 10 Comments on अपने ही देश में बेगाने हिंदू -सचिन शर्मा- कांग्रेसनीत संप्रग -2 सरकार व छद्म सेक्यूर पार्टियों ने लगता है कि देश से हिंदुओं के सफाये का मन पूरी तरह बना लिया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तमाम हिंदू विरोधी कार्य किये गये मसलन दंगा रोधी बिल, कश्मीर घाटी से पंडितों की वापसी का प्रयास न करना, असम व पूर्वोत्तर […] Read more » Hindu in our country अपने ही देश में बेगाने हिंदू
राजनीति कुछ सवाल अरविन्द केजरीवाल से February 26, 2014 | 4 Comments on कुछ सवाल अरविन्द केजरीवाल से अरविन्द केजरीवाल यह हमेशा भूल जाते हैं कि जब आप एक ऊंगली दूसरे की ओर उठाते हैं, तो तीन ऊंगलियां अपने आप स्वयं की ओर उठ जाती हैं। आजकल उनके निशाने पर नरेन्द्र मोदी हैं। लेकिन क्या वे इन सवालों का उत्तर दे सकते है जिनकी अपेक्षा स्वच्छता और पारदर्शिता में विश्वास रखने वाला […] Read more » कुछ सवाल अरविन्द केजरीवाल से
धर्म-अध्यात्म विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार February 19, 2014 | 1 Comment on विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार -आनंद जी. शर्मा- शक्ति स्त्रीलिंग शब्द है – नारी अर्थात स्त्री शक्ति का प्रतीक नहीं अपितु शक्ति-स्वरूपा है। साक्षात शक्ति है – संभवतः इसी कारण से प्राचीन भारतीय संस्कृति में स्त्री को शक्ति-युक्त करने की कल्पना नहीं की गयी| जो स्वयं शक्ति है, उसे शक्ति प्रदान करने की कल्पना मूर्खतापूर्ण थी। अतः भारतीय मनीषियों ने […] Read more » foreign thoughts about Indian women Indian women विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार
राजनीति बंगाल, भाजपा और मोदी February 15, 2014 | Leave a Comment -ललित कुमार- ज़ेहन में जब भी भाजपा का नाम बंगाल को लेकर याद किया जाता है तो यह मन से इसलिए नहीं उतरता क्योंकि बंगाल में भाजपा चारों खाने चित है । इस संगठन को यहां मजबूती देना वाला कोई है नहीं। अगर भाजपा बंगाल में मोदी के आसरे केसरिया फहराना चाहती है तो […] Read more » Narendra Modi West Bengal BJP बंगाल भाजपा और मोदी
राजनीति आखिरकार संसद के इस अंतिम सत्र से कौन खिलवाड़ कर रहा है? February 8, 2014 | 1 Comment on आखिरकार संसद के इस अंतिम सत्र से कौन खिलवाड़ कर रहा है? -फखरे आलम- भगवान करे कि यह संसद का अंतिम सत्रा ही हो! और भारत की राजनीति भविष्य में फिर ऐसा कभी न हो एवं ऐसी परिस्थिति कभी न उत्पन्न हो! मगर वर्तमान गतिरोध और प्रतिरोध एवं असहयोग का प्रभाव आगामी सरकार के अधीन भी सत्र में अवश्य ही पड़ेगा! आखिरकार ऐसी स्थिति कौन उत्पन्न […] Read more » parliament last session आखिरकार संसद के इस अंतिम सत्र से कौन खिलवाड़ कर रहा है?
गजल मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले February 6, 2014 / February 6, 2014 | 1 Comment on मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले -बदरे आलम खां- मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले मेरे जनाजे के साथ बनकर वो बाराती निकले रिश्तेदारों ने भी रिस्ता तोड़ दिया उस वक़्त जब दौलत कि तिजोरी से मेरे हाथ खली निकले मेरे किस्मत ने ऐसे मुकाम पर लाकर छोड़ दिया ग़ैर तो गैर मेरे अपने साये भी सवाली निकले […] Read more » ghazal मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले
कविता मानवता के स्वप्न अब तक अधूरे हैं February 4, 2014 / February 5, 2014 | Leave a Comment -विजय कुमार- स्वप्न मेरे, अब तक वो अधूरे हैं; जो मानव के रूप में मैंने देखे हैं ! मानवता के उन्हीं स्वप्नों की आहुति पर आज विश्व सारा; एक प्राणरहित खंडहर बन खड़ा है ! आज मानवता एक नए युग-मानव का आह्वान करती है; क्योंकि, आदिम-मानव के उन अधूरे स्वप्नों को, इस नए युग-मानव […] Read more » poem मानवता के स्वप्न अब तक अधूरे हैं