विविधा हिन्दी दिवस पर विशेष:कटघरे में हिन्दी…. September 15, 2012 / September 15, 2012 | Leave a Comment लखेश्वर चंद्रवन्शी ‘लखेश’ यॉर ऑनर ! ये जो व्यक्ति मेरे सामने कटघरे में खड़ा है। पांच वर्षों से मेरे पीछे पड़ा है। जहाँ भी जाता हूँ, मेरे पीछे लग जाता है। बार-बार, एक ही बात दोहराता है। हिन्दी बोलना सीख जा… नमस्ते बोलना सीख जा… इसकी हरकतों से हम अपना सिर पीट रहे हैं। हम […] Read more » hindi day special
रेडियो सामाजिक चिन्ताओं से बेखबर है एफएम रेडियो September 12, 2012 / September 12, 2012 | Leave a Comment आदित्य कुमार गिरि मीडिया के विकासमूलक चरित्र की सारी परिकल्पनाएं अब झूठी साबित हो रही हैं।जिन मूल्यों की स्थापना और जैसे मूल्यों के विरोध की जमीन तैयार करने की उम्मीदें उससे की गई थी,वह सब निराशा के गर्त में जा चुकी हैं। बल्कि दूसरी संस्थाओं द्वारा उठाए मुद्दों को भी हल्का करने का काम मीडिया […] Read more » एफएम रेडियो
व्यंग्य मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो September 9, 2012 / September 10, 2012 | 12 Comments on मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो राम कृष्ण खुराना मैडम मोरी मैं नहीं कोयला खायो ! विपक्षी दल सब बैर पडे हैं, बरबस मुख लिपटायो ! चिट्ठी-विट्ठी इन बैरिन ने लिखी, मोहे विदेस पठायो ! मैं बालक बुद्धि को छोटो, मोहें सुबोध कांत फसायो ! हम तो कुछ बोलत ही नाहीं, सदा मौन रह जायो ! इसीलिए मनमोहन सिंह से मौन […] Read more » colgate scam
जन-जागरण महाराष्ट्र में भाषार्इ सांप्रदायिकता का उभार September 9, 2012 | Leave a Comment संदर्भ- राज ठाकरे का बयान – प्रमोद भार्गव महाराष्ट्र में आंचलिक भाषार्इ सांप्रदायिकता उभार पर है। इसे खाद – पानी विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष भी दे रहा है। इसीलिए जिस दिन महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे कहते हैं कि अमर जवान स्मारक को खंडित करने वाले आरोपी को बिहार जाकर गिरफतार […] Read more » भाषार्इ सांप्रदायिकता का उभार
साक्षात्कार साक्षात्कार / देश को असली विपक्ष चाहिए : गोविन्दाचार्य September 7, 2012 / September 7, 2012 | 9 Comments on साक्षात्कार / देश को असली विपक्ष चाहिए : गोविन्दाचार्य श्री के.एन. गोविन्दाचार्य की गिनती जहां एक ओर देश के तेज-तर्रार राजनीतिज्ञों में की जाती है, तो वहीं उनकी छवि एक चिंतक, विचारक एवं आंदोलनकारी की भी है। दलगत राजनीति से मुक्त होने के बाद उन्होंने सामाजिक जीवन के विविध क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। पिछले दिनों भारतीय पक्ष की ओर से विमल कुमार […] Read more » गोविन्दाचार्य
प्रवक्ता न्यूज़ रुचि और हुनर के अनुसार हो काम September 3, 2012 / September 3, 2012 | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य रुचि और हुनर के अनुसार हो काम तभी मिल पाती है सफलता दुनिया का कोई सा काम हो, उसकी सफलता के लिए जो जरूरी कारक होते हैं उनमें सबसे पहली और बड़ी बात है रुचि और मौलिक हुनर के मुताबिक काम का होना। दुनिया के हर व्यक्ति का अपना एक मौलिक हुनर […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ चण्डीदत्त शुक्ल वर्ष के श्रेष्ठ कथाकार सम्मान से सम्मानित September 1, 2012 | Leave a Comment पिछले दिनों लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में युवा पत्रकार, कवि, कथाकार और अहा ! ज़िंदगी के फीचर संपादक चण्डीदत्त शुक्ल को वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (कथा-कहानी) के तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011 से अलंकृत किया गया। चर्चित साहित्यकार मुद्राराक्षस, कहानीकार ने चण्डीदत्त को अंतरराष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मान से नवाजा। इस अवसर पर कथाकार शिवमूर्ति और रंगकर्मी […] Read more » चंडीदत्त शुक्ल कथाकार सम्मान
विविधा अपने ही घर में बेगानी है छत्तीसगढ़ी भाषा August 31, 2012 | Leave a Comment सूर्याकांत देवांगन भोजपुरी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने की कवायद तेज होने के साथ ही एक बार फिर देश में भाषाई कशमकश उजागर हो गई है। पूर्वी भारत के एक बड़े हिस्से के साथ साथ विश्वो के उन देशों में भी भोजपुरी बोली जाती है, जहां अंग्रेजों ने इस क्षेत्र के […] Read more » छत्तीसगढ़ी भाषा
विविधा विकास के नए परिवेश में ढलते गांव August 30, 2012 | Leave a Comment पुरूषोत्तम लाल निषाद किसी भी राज्य के विकास का पैमाना उसके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास से ही तय किया जाता रहा है। औद्योगिक विकास के बावजूद आज भी भारत को गांवों का देश ही माना जाता है क्योंकि इसकी एक बड़ी आबादी अब भी शहरों से ज्यादा गांव-देहात में ही निवास करती है। ऐसे […] Read more »
आर्थिकी देश के पांच दामाद August 29, 2012 / August 29, 2012 | Leave a Comment विकास गुप्ता देश के हालात बहुत बद्तर हो चुके है। इसे हम घटिया भी कहे तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। हमारे समाज में सब चलता है। आप गुटखा खाईये , आपके दांत खराब हो रहे हैं, चलता है। लोग कैंसर से मर रहे है कोई बात नहीं जनसंख्या में कमी हो रही है। विदेशी कंपनीयों […] Read more » देश के पांच दामाद
कविता जनतंत्र के रंगमंच पर August 29, 2012 / August 29, 2012 | Leave a Comment प्रभा मुजुमदार दृश्यपटल पर तेजी से अंक बनते है और बिगड़ते है. समीकरणों की दायीं और बायीं इबारते लिखी/मिटायी जा रही है यह नीलामी /मोलभाव मान मनौव्वल/ ब्लैकमेलिंग धमकी और प्रलोभनो का दौर है. चारा डालने और जाल फेंकने का इम्तिहान है. कितने रंग बदल पायेगा गिरगिट भी ये बेशर्मी और बेईमानी के रंग है. […] Read more »
आर्थिकी क्या प्रधानमंत्री का पद संविधान से बड़ा होता है? August 29, 2012 / August 29, 2012 | Leave a Comment सिद्घार्थ मिश्र अपने दूसरे कार्यकाल के आने तक केन्द्र के प्राय: सभी मंत्री अपनी विष्वसनीयता खो चुके हैं । आमजन की रही सही आशा प्रधानमंत्री के कैग रिपोर्ट की लपेट में आने से खो चुकी है । इसमें दो राय नहीं भ्रष्टाचार का दलदल बन चुके संप्रग गठबंधन की आखिरी उम्मीदें साफ सुथरी छवि वाले […] Read more » क्या प्रधानमंत्री का पद संविधान से बड़ा होता है?