जरूर पढ़ें देशद्रोहियों को बचाने वाली रिपोर्ट August 23, 2014 | 1 Comment on देशद्रोहियों को बचाने वाली रिपोर्ट -रमेश शर्मा- सहारनपुर के दंगों पर समाजवादी पार्टी ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सहारनपुर में दंगा भड़काने के लिए भाजपा के सांसद जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में सांसद के अलावा भाजपा के और कुछ दूसरे कार्यकर्ताओं के नाम भी हैं। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में वे ही तमाम बातें हैं जो समाजवादी पार्टी विभिन्न […] Read more » अखिलेश यादव देशद्रोहियों को बचाने वाली रिपोर्ट समाजवादी पार्टी सहारनपुर हिंसा
परिचर्चा शांति की राह में मोदी का तीखा रायता August 23, 2014 | Leave a Comment -जगदीश यादव- नरेन्द्र मोदी के भारत के पीएम बनने के बाद से ही कई मुस्लिम देशों की खास नजर भारत पर है। फिऱ वह देश हमारा पड़ोसी बांग्लादेश हो फिर पाक और आफगान। स्थिती यह है कि तमाम देश भारत को अपने स्तर पर तौल रहे हैं।शायद उक्त देशों में अपवद को छोड़ दें तो […] Read more » नरेंद्र मोदी बांग्लादेश भारत शांति की राह में मोदी का तीखा रायता
कविता मैं जलता हिंदुस्तान हूं… August 21, 2014 | 9 Comments on मैं जलता हिंदुस्तान हूं… –कुलदीप प्रजापति- मैं जलता हिंदुस्तान हूं, लड़ता, झगता, उबलता, अंगारों सा सुलगता हुआ , फिर भी देश महान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| आतंकवाद बना दामाद मेरा, भ्र्ष्टाचार ने चुराया चीर मेरा, हो रहा जो हर धमाका, चीर देता दिल मेरा, कहते हैं जब सोने की चिड़ियां, आंख मेरी रोती हैं, क्योंकि मेरी कुछ संतानें इस युग मैं भूखी सोती हैं, कई समस्याओं से झुन्झता मैं निर्बल-बलवान हूँ , मैं जलता हिंदुस्तान हूं| नारी की जहां होती हैं पूजा , अब वहां वह दर रही , लूट ना ले कोई भेड़िया , इस डर वो ना निकल रही , प्यार के स्थान पैर बाँट रहे अब गोलियां, कहाँ गई मेरे दो बेटों की, प्यार भरी बोलियां, जाति आरक्षण से टूटता और खोता अपना सम्मान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| हैं बदलती रंग टोपियां , भाषा नहीं बदल रही , राजनीति एक की चड़थी, अब दलदल में वो बदल रही, मर्द अब मुर्दा बना बस खड़ा सब देखता , जिसके हाथों में है लाठी, दस की सौ में बेचता , हर समय, हर जगह झेलता अपमान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं| Read more » भारत मैं जलता हिंदुस्तान हूं हिन्दुस्तान
कविता ये जीवन का कौन सा मोड़ है August 19, 2014 | 2 Comments on ये जीवन का कौन सा मोड़ है -राघवेंद्र कुमार- जहां मार्ग में ही ठहराव है। दिखते कुछ हैं करते कुछ हैं, यहाँ तो हर दिल में ही दुराव है। किस पर ऐतबार करें किसे अपना कहें, हर अपने पराए हृदय में जहरीला भाव है। अपना ही अपने से ईर्ष्या रखता है, हर जगह अहम् का टकराव है । अरे “राघव” तू यहाँ […] Read more » जीवन जीवन के मोड़ ये जीवन का कौन सा मोड़ है
परिचर्चा वास्तु से ही हो सकता है इस देश का कायाकल्प! August 17, 2014 | 1 Comment on वास्तु से ही हो सकता है इस देश का कायाकल्प! -राजकुमार झांझरी- नरेन्द्र मोदी गुजरात मॉडल का झुनझुना दिखाकर देश के प्रधानमंत्री बन गये। उन्होंने लोगों में यह उम्मीद जगाई कि गुजरात के विकास हेतु जिस मॉडल का अनुसरण किया गया है, उसी मॉडल से देश को भी विकास के रास्ते पर अग्रसर किया जा सकता है। लेकिन गुजरात मॉडल के झुनझुने से विमुग्ध होकर […] Read more » नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री वास्तु से ही हो सकता है इस देश का कायाकल्प!
जरूर पढ़ें सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा यूपी August 16, 2014 | Leave a Comment -निशा शुक्ला- अंग्रेजों को देश से खदेड़ने कि लिए हिन्दू-मुस्लिम एक की इबारत लिखने वाला उत्तर प्रदेश आज खुद सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा है। कभी साथ मिल कर राम-रहीम की कसमें खाने वाले हिन्दू-मुसलमान भाई आज एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। आज एक दूसरे के खिलाफ नफरत का आलम […] Read more » उत्तर प्रदेश यूपी में हिंसा यूपी हिंसा सांप्रदायिकता की आग में झुलस रहा यूपी
परिचर्चा बचपन की आजादी का सवाल August 16, 2014 | Leave a Comment -रामकुमार विद्यार्थी- भारतीय आजादी की 67 वीं वर्षगांठ मनाते हुए हमें यह भी देखना होगा कि देश में बच्चों की सुरक्षा और विकास के संदर्भ में हम कहां तक पहुंचे हैं ? खासकर शहरी गरीब बस्तियों में रहने वाले बच्चों को बढ़ते शहरीकरण के बीच सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण मिलना एक बड़ी चुनौती है। बच्चों […] Read more » 15 अगस्त बचपन की आजादी का सवाल स्वतंत्रता दिवस
जरूर पढ़ें आजादी के 67 वर्ष और चुनौतियां August 14, 2014 | Leave a Comment (भारतीय स्वतंत्रता दिवस- 15 अगस्त के उपलक्ष्य में) -निर्भय कुमार कर्ण- आजादी के 67 वर्षों के गहरे उतार- चढ़ाव में भारत ने कई सफलताओं को अर्जित करते हुए विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। भारत ने अपनेआपको इतना महत्वपूर्ण साबित करा दिया है कि कोई भी देश इसकी अनदेखी नहीं कर सकता। यही कारण है कि दुनिया के लगभग सभी देश भारत से दोस्तानारिश्ता कायम करने के लिए लालायित रहता है। आजादी हमने किस परिस्थिति में हासिल किया और किन परेशानियों को देशवासियों ने झेलते हुए आजादी कासुनहरा मुकाम हासिल किया, कभी भुलाया नहीं जा सकता। तब से लेकर अब तक हमने सभी क्षेत्र में तरक्की की चाहे कृषि, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, तकनीकीया अन्य लेकिन दूसरी ओर हमें कई मोर्चेे पर कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। साल दर साल रक्षा बजटों में लगातार इजाफा होता रहा है। हमारी सेना और भी दिन प्रति दिन सशक्त होती जा रही है। हम भी परमाणु बम से लैस हो गएहैं जिसके कारण कोई भी देश भारत को आंख दिखाने से पहले दस बार सोचता है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी छदम हरकतों से बाज नहीं आ रहा और अपनेधरती से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। दूसरी ओर चीन की नियति एवं नीति में भी खोट नजर आती है। जहां चीन एकतरफ भारत से दोस्ताना रिश्ता कायमरखना चाहता है तो दूसरी ओर चारों ओर से हमें घेरने की नीति पर भी लगाताार काम कर रहा है। कभी अरूणाचल प्रदेश पर दावा करता है तो कभी अन्य क्षेत्रों पर।इसलिए हमें विदेश नीति को दुरूस्त कर फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। आजादी के समय की तुलना में आज कृषि उपज साढ़े तीन गुना बढ़ी है लेकिन राष्ट्रीय आय में इसका हिस्सा निरंतर घटता चला गया। जहां आजादी केसमय 1947 में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 65 प्रतिशत था वही 2007 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया और इसके 2022 तक घटकर 6 प्रतिशत पर आ जानेकी संभावना है। देखा जाए तो, कृषि प्रधान भारत के विकास की जिम्मेदारी औद्योगिक क्षेत्र को सौंप दी गई जिसके कारण भारतीय कृषि को इस उदासीनता का दंशझेलना पड़ रहा है। वहीं आजादी के बाद से अब तक देश में राष्ट्रीय राजमार्गाें की लंबाई तिगुनी हो गई है। इनकी लंबाई 1947 में 23,000 किमी थी, जो अब बढ़कर70,000 किमी से ज्यादा हो चुकी है। अतीत का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 15 अगस्त, 1947 को भारत न सिर्फ विदेशी कर्जों से मुक्त था, बल्कि उल्टे ब्रिटेन पर भारत का 16.62करोड़ रूपए का कर्ज था। लेकिन आज देश पर 390 अरब डाॅलर से भी ज्यादा का विदेशी ऋण है। दूसरी ओर भारत इतना सक्षम भी हो गया कि प्रत्येक वर्ष दूसरे देशोंके विकास के लिए अरबों रूपए कर्ज भी देता है। आजादी के समय जहां एक रूपए के बराबर एक डाॅलर होता था वहीं अब एक डाॅलर की कीमत 60 रूपए के इर्द-गिर्दरहता है। जिसके कारण महंगाई पर से सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा और समय-समय पर सत्ता हस्तांतरित भी होता रहा जिसका ताजा उदाहरण नरेंद्र मोदी केनेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का सरकार में आना है। भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक दंगे, घोटाले, जातिवादी और कट्टरपंथी धार्मिक राजनीतिक हथकंडे, दलित उत्पीड़न, महिलाओं केखिलाफ हिंसा, आदि देश को चारों ओर से पीछे धकेलने का काम कर रहा है। एक तरफ तो हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन ये दूसरे मोर्चा हमें अंदर ही अंदर खोखला भीकर रहा है। भ्रष्टाचार इस तरह से हर विभाग में कब्जा कर रखा है कि चाहकर भी इससे निजात नहीं मिल रहा। बिना पैसे का कोई काम हो पाना मुश्किल है। गरीबऔर गरीब होते जा रहे हैं और धनी और धनी। देखा जाए तो, एक हद तक हमें राजनीतिक आजादी तो मिली लेकिन आत्मनिर्भरता के लिए सफल प्रयास नहीं होनेके कारण हम आर्थिक रूप से गुलाम होते जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी आजादी की तुलना में हमने काफी सफलता अर्जित की है। जहां 1951 में साक्षरता दर 18.33 प्रतिशत था जो धीरे-धीरे बढ़कर 2011 में 74.04 प्रतिशत हो गया। इसके बावजूद हमारे युवा शिक्षित होने के बाद भी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन युवाओंका सही इस्तेमाल देश के विकास के लिए नहीं हो पा रहा है जिसके कारण युवाओं में हताशा जैसी भावनाओं का समावेश होना स्वाभाविक है। भारत में नित नएघोटाला होना आम बात हो गयी है। अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाए तो देश का एक भी युवक बेरोजगार नहीं रह सकेगा। 15 अगस्त, 1947 को हमने राजनीतिकआजादी प्राप्त की थी, लेकिन भय, भूख और भ्रष्टाचार से आजाद होना शेष है। इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने की जिम्मेदारी अब मोदी सरकार के कंधों पर है। अब देखा जाना शेष है कि जिस उम्मीद और आशा पर भाजपा सरकार रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज कर सत्ता में आयी है, उन उम्मीदों को पूरा कर पाती है या नहीं? Read more » आजादी आजादी के 67 वर्ष और चुनौतियां स्वतंत्रता दिवस
राजनीति मोदी और बीजेपी August 13, 2014 | 2 Comments on मोदी और बीजेपी -सतीश शर्मा- पिछले कुछ दिनों से ये सोच रहा था कि 2014 लोकसभा चुनावों से पहले और चुनावों के बाद से बीजेपी में क्या परिवर्तन आया है, क्या नरेंद्र दामोदर दास मोदी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में क्या कुछ फर्क है। फर्क बीजेपी में तो आया है, और 100 प्रतिशत आया है, क्योंकि चुनावों से […] Read more » नरेंद्र मोदी बीजेपी भाजपा मोदी और बीजेपी
कविता अब भुगतो! August 13, 2014 | Leave a Comment -क़ैस जौनपुरी- हां, हम समझ गए क़ि कयामत आएगी हमें आग में जलाएगी हम डर गए अब, बस करो ना इतना ही कब्ज़े में रखना था तो बनाया ही न होता किसने कहा था, हमें बनाओ खुराफ़ात तो आप ही को सूझी थी ना अब भुगतो! Read more » अब भुगतो! कविता हिन्दी कविता
कविता लहू में घुले कांटे August 9, 2014 | Leave a Comment -मनु कंचन- हवा टकरा रही थी, मानो मुझे देख मुस्कुरा रही थी, सूखे पत्ते जो पड़े थे, संग अपने उन्हें भी टहला रही थी, मेरे चारों ओर के ब्रह्माण्ड को, कुछ मादक सा बना रही थी, मैं भूला वो चुभे कांटे, जो पांव में कहीं गढ़े थे, अब तो शायद, वो लहू के संग रगों […] Read more » लहू कविता लहू में घुले कांटे हिन्दी कविता
विविधा किक मार August 7, 2014 | Leave a Comment – जयप्रकाश मील- आजादी के 67 साल बाद भी लगता है किक ने सिर्फ बेड़ागर्क ही किया है। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को फुटबॉल की तरह खेलकर सत्ता में आई मोदी सरकार की ‘किक’ भी कमजोर नहीं है। मोदीजी की सरकार ने पूरे ठोक-बजाकर पूरे जोर से पहली किक रेलगाड़ी के रूप […] Read more » किक मार भारतीय स्वतंत्रता स्वतंत्रता