प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो

प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो

लेखक के कुल पोस्ट: 764

https://www.pravakta.com

लेखक - प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो - के पोस्ट :

कविता

मैं जलता हिंदुस्तान हूं…

| 9 Comments on मैं जलता हिंदुस्तान हूं…

–कुलदीप प्रजापति- मैं जलता हिंदुस्तान हूं, लड़ता, झगता, उबलता, अंगारों सा सुलगता हुआ , फिर भी देश महान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं|   आतंकवाद बना दामाद मेरा, भ्र्ष्टाचार ने चुराया चीर मेरा, हो रहा जो हर धमाका, चीर देता दिल मेरा, कहते हैं जब सोने की चिड़ियां, आंख मेरी रोती हैं, क्योंकि मेरी कुछ संतानें इस युग मैं भूखी सोती हैं, कई समस्याओं से झुन्झता मैं निर्बल-बलवान हूँ , मैं जलता हिंदुस्तान हूं|   नारी की जहां होती हैं पूजा , अब वहां वह दर रही , लूट ना ले कोई भेड़िया , इस डर वो ना निकल रही , प्यार के स्थान पैर बाँट रहे अब गोलियां, कहाँ गई मेरे दो बेटों की, प्यार भरी बोलियां, जाति आरक्षण से टूटता और खोता अपना सम्मान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं|   हैं बदलती रंग टोपियां , भाषा नहीं बदल रही , राजनीति एक की चड़थी, अब दलदल में वो बदल रही, मर्द अब मुर्दा बना बस खड़ा सब देखता , जिसके हाथों में है लाठी, दस की सौ में बेचता , हर समय, हर जगह झेलता अपमान हूं, मैं जलता हिंदुस्तान हूं|

Read more »

जरूर पढ़ें

आजादी के 67 वर्ष और चुनौतियां

| Leave a Comment

(भारतीय स्वतंत्रता दिवस- 15 अगस्त के उपलक्ष्य में) -निर्भय कुमार कर्ण- आजादी के 67 वर्षों के गहरे उतार- चढ़ाव में भारत ने कई सफलताओं को अर्जित करते हुए विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। भारत ने अपनेआपको इतना महत्वपूर्ण साबित करा दिया है कि कोई भी देश इसकी अनदेखी नहीं कर सकता। यही कारण है कि दुनिया के लगभग सभी देश भारत से दोस्तानारिश्ता कायम करने के लिए लालायित रहता है। आजादी हमने किस परिस्थिति में हासिल किया और किन परेशानियों को देशवासियों ने झेलते हुए आजादी कासुनहरा मुकाम हासिल किया, कभी भुलाया नहीं जा सकता। तब से लेकर अब तक हमने सभी क्षेत्र में तरक्की की चाहे कृषि, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, तकनीकीया अन्य लेकिन दूसरी ओर हमें कई मोर्चेे पर कठिन चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। साल दर साल रक्षा बजटों में लगातार इजाफा होता रहा है। हमारी सेना और भी दिन प्रति दिन सशक्त होती जा रही है। हम भी परमाणु बम से लैस हो गएहैं जिसके कारण कोई भी देश भारत को आंख दिखाने से पहले दस बार सोचता है। इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी छदम हरकतों से बाज नहीं आ रहा और अपनेधरती से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। दूसरी ओर चीन की नियति एवं नीति में भी खोट नजर आती है। जहां चीन एकतरफ भारत से दोस्ताना रिश्ता कायमरखना चाहता है तो दूसरी ओर चारों ओर से हमें घेरने की नीति पर भी लगाताार काम कर रहा है। कभी अरूणाचल प्रदेश पर दावा करता है तो कभी अन्य क्षेत्रों पर।इसलिए हमें विदेश नीति को दुरूस्त कर फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। आजादी के समय की तुलना में आज कृषि उपज साढ़े तीन गुना बढ़ी है लेकिन राष्ट्रीय आय में इसका हिस्सा निरंतर घटता चला गया। जहां आजादी केसमय 1947 में राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का हिस्सा 65 प्रतिशत था वही 2007 में घटकर 17 प्रतिशत रह गया और इसके 2022 तक घटकर 6 प्रतिशत पर आ जानेकी संभावना है। देखा जाए तो, कृषि प्रधान भारत के विकास की जिम्मेदारी औद्योगिक क्षेत्र को सौंप दी गई जिसके कारण भारतीय कृषि को इस उदासीनता का दंशझेलना पड़ रहा है। वहीं आजादी के बाद से अब तक देश में राष्ट्रीय  राजमार्गाें की लंबाई तिगुनी हो गई है। इनकी लंबाई 1947 में 23,000 किमी थी, जो अब बढ़कर70,000 किमी से ज्यादा हो चुकी है। अतीत का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 15 अगस्त, 1947 को भारत न सिर्फ विदेशी कर्जों से मुक्त था, बल्कि उल्टे ब्रिटेन पर भारत का 16.62करोड़ रूपए का कर्ज था। लेकिन आज देश पर 390 अरब डाॅलर से भी ज्यादा का विदेशी ऋण है। दूसरी ओर भारत इतना सक्षम भी हो गया कि प्रत्येक वर्ष दूसरे देशोंके विकास के लिए अरबों रूपए कर्ज भी देता है। आजादी के समय जहां एक रूपए के बराबर एक डाॅलर होता था वहीं अब एक डाॅलर की कीमत 60 रूपए के इर्द-गिर्दरहता है। जिसके कारण महंगाई पर से सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा और समय-समय पर सत्ता हस्तांतरित भी होता रहा जिसका ताजा उदाहरण नरेंद्र मोदी केनेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का सरकार में आना है। भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक दंगे, घोटाले, जातिवादी और कट्टरपंथी धार्मिक राजनीतिक हथकंडे, दलित उत्पीड़न, महिलाओं केखिलाफ हिंसा, आदि देश को चारों ओर से पीछे धकेलने का काम कर रहा है। एक तरफ तो हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन ये दूसरे मोर्चा हमें अंदर ही अंदर खोखला भीकर रहा है। भ्रष्टाचार इस तरह से हर विभाग में कब्जा कर रखा है कि चाहकर भी इससे निजात नहीं मिल रहा। बिना पैसे का कोई काम हो पाना मुश्किल है। गरीबऔर गरीब होते जा रहे हैं और धनी और धनी। देखा जाए तो, एक हद तक हमें राजनीतिक आजादी तो मिली लेकिन आत्मनिर्भरता के लिए सफल प्रयास नहीं होनेके कारण हम आर्थिक रूप से गुलाम होते जा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी आजादी की तुलना में हमने काफी सफलता अर्जित की है। जहां 1951 में साक्षरता दर 18.33 प्रतिशत था जो धीरे-धीरे बढ़कर 2011 में 74.04 प्रतिशत हो गया। इसके बावजूद हमारे युवा शिक्षित होने के बाद भी रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन युवाओंका सही इस्तेमाल देश के विकास के लिए नहीं हो पा रहा है जिसके कारण युवाओं में हताशा जैसी भावनाओं का समावेश होना स्वाभाविक है। भारत में नित नएघोटाला होना आम बात हो गयी है। अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाए तो देश का एक भी युवक बेरोजगार नहीं रह सकेगा। 15 अगस्त, 1947 को हमने राजनीतिकआजादी प्राप्त की थी, लेकिन भय, भूख और भ्रष्टाचार से आजाद होना शेष है। इन सभी समस्याओं से निजात दिलाने की जिम्मेदारी अब मोदी सरकार के कंधों पर है। अब देखा जाना शेष है कि जिस उम्मीद और आशा पर भाजपा सरकार रिकार्ड तोड़ जीत दर्ज कर सत्ता में आयी है, उन उम्मीदों को पूरा कर पाती है या नहीं?

Read more »