राजनीति असम में जाति माटी भेटी की विजय July 31, 2018 / July 31, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “राज्य से पृथक व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं होता” यही एनआरसी का सार है. राजनीति में ऐसा तब ही संभव हो पाता है जब एक शुद्ध राजनैतिक संगठन के पीछे एक विशुद्ध वैचारिक व सांस्कृतिक संगठन खड़ा हुआ हो. राजनैतिक दल के रूप […] Read more » Featured NRC असम असम में जाति माटी भेटी की विजय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जैन पारसी और ईसाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण बांग्लादेशियों बौद्ध सिख हिंदू
राजनीति अनावश्यक देश के गले पड़े अविश्वास और राहुल July 23, 2018 / July 23, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी देश को और उसकी संसद को एक अनावश्यक अविश्वास प्रस्ताव में झोंका गया. अनावश्यक अंकगणित की दृष्टि से नहीं, क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में अंकगणित से इतर होकर अविश्वास प्रस्ताव को जागरण का एक प्रयास भी माना जाता है. जागरण सरकार का, विपक्ष का, जनता का और मुद्दों का भी. कांग्रेस की काड़ीबाजी से आन्ध्र की तेलगु […] Read more » Featured अनावश्यक देश के गले पड़े अविश्वास और राहुल अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नरेंद्र मोदी नवीन पटनायक नए नितीश कुमार फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
राजनीति हिंदूत्व को कांग्रेसी उपहार: “भगवा आतंकवाद” के बाद “हिंदू पाकिस्तान” July 12, 2018 / July 12, 2018 | Leave a Comment प्रवीन गुनगनी विश्व के सुप्रसिद्ध कूटनीतिज्ञ, राजनयिक, शासक व ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि“इतिहास पढ़िए ,इतिहास पढ़िए . इतिहास में ही राज्य चलाने के सारे रहस्य छिपे हैं”. इस बात को यदि हम हम कांग्रेस की भाषा में कहें तो यह बात कुछ इस तरह प्रस्तुत होगी – “इतिहास पढ़िए, इतिहास पढ़िए तुष्टिकरण कीजिये, तुष्टिकरण कीजिये क्योंकि तुष्टिकरण करके ही मुस्लिमों के एक मुश्त वोट, और उस वोट से सत्ता पाई जा सकती है”. शशि थरूर का यह कहना है कि – […] Read more » Featured अजमेर दरगाह ब्लास्ट कर्नल पुरोहित भगवा आतंकवाद मक्का मस्जिद विस्फोट मालेगांव ब्लास्ट मेजर रमेश उपाध्याय राहुल गांधी समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट साध्वी प्रज्ञा ठाकुर स्वामी असीमानंद हिंदू पाकिस्तान”
धर्म-अध्यात्म समाज किसी मुस्लिम गड़रिये ने नहीं खोजी अमरनाथ गुफा June 30, 2018 / June 30, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी आजकल जबकि प्रतिवर्ष अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर मुस्लिम आतंकवादियों का ख़तरा मंडराता रहता है व यात्रियों पर घातक हमले भी होते रहते हैं तब ऐसे जहरीले वातावरण में एक झूठी मान्यता यह भी प्रायोजित कर दी गई है कि वर्ष 1850 में एक कश्मीरी मुस्लिम बूटा मलिक अपनी भेड़ें चराने के […] Read more » 13600 फीट Featured अमरनाथ यात्रा कश्मीरी त्रिनेत्रधारी शिवशंकर ने जगतजननी माँ पार्वती मुस्लिम आतंकवादियों श्रद्धालुओं स्वामी विवेकानंद हिमखंड
राजनीति कश्मीर की पंचामृत सरकार का विसर्जन June 20, 2018 / June 20, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी सीजफायर केवल सेना व आतंवादियों में नहीं था, भाजपा व पीडीपी में भी था. संघर्ष विराम पिछले रमजान माह मात्र में नहीं था बल्कि साढ़े तीन वर्षों से चल रहा था. सीजफायर छः वर्षों के लिए किया गया था जिसे साढ़े तीन वर्षों में अब योजना बद्ध नीति से तोड़ा गया है. विराम […] Read more » Featured कश्मीर की पंचामृत सरकार का विसर्जन जम्मू-कश्मीर मोदी रमजान माह राम माधव शाह
राजनीति प्रणब मुखर्जी का संघ मुख्यालय जाना June 5, 2018 / June 5, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुनगानी इन दिनों संघ के प्रति उत्सुकता जिज्ञासा को शत प्रतिशत बढ़ा दिया है पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ! हुआ कुछ यूं कि संघ के व्यवस्थापकों ने नागपुर में प्रति वर्ष अपने नागपुर मुख्यालय में होने वाले संघ के तृतीय वर्ष के समापन आयोजन में, जिसे दीक्षांत समारोह भी कहा जा सकता है; […] Read more » 'राष्ट्र प्रथम'भावना Featured इलेक्ट्रानिक कन्याकुमारी में 'विवेकानंद शिला स्मारक' प्रणब मुखर्जी का संघ मुख्यालय जाना प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू प्रिंट मिडिया
राजनीति टीपू सुल्तानी सोच व हिंदू -लिंगायत विभाजन की पराजय May 16, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी कर्नाटक बना दक्षिण में भाजपा का स्वागत द्वार कर्नाटक विधानसभा चुनाव के संदर्भ में एक बात बड़ी ही स्पष्ट दिख रही थी; और वह यह थी कि कांग्रेस इस चुनाव को अपना अंतिम किला बचाने की लड़ाई के रूप में देख रही थी और भाजपा इस चुनाव में कर्नाटक को अपने दक्षिणी राज्यों […] Read more » Featured अभिनेता प्रकाश राज कन्नड़ बनाम हिंदी कुत्सित राजनीति केम्पेगौडा दक्षिणी मणिपुर महिमामंडित सिद्धारमैया
राजनीति कर्नाटक में कांग्रेस का कुटिल दांव – हिंदू लिंगायत विभाजन May 14, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी भारत में हिंदू को अल्पसंख्यक बनाने के षड्यंत्र पूर्वक प्रयास पिछले कई दशकों से चल रहें हैं. प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष चलने वाले इन षड्यंत्रों को कई रूपों में अलग अलग प्रकार से चलाया जाता है. मुस्लिम व ईसाई जनसंख्या को वभिन्न माध्यमों से बढ़ाने के अतिरिक्त एक और अन्य तरीका अपनाया गया है हिन्दूओं को […] Read more » Featured अल्पसंख्यक घोषित कम्युनिस्टों कांग्रेसियों व तथाकथित सेकुलरों भारत लिंगायत समुदाय वामपंथियों हिंदू
धर्म-अध्यात्म रामराज: आधुनिक भारत की सर्वोपरि आवश्यकता March 26, 2018 | Leave a Comment राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट. ये वाक्य न जानें कहनें वाले ने किन अर्थों में किस आव्हान को करते हुए कहा था किन्तु वर्तमान भारत में यह आव्हान चरितार्थ और सुफलित होता दिखाई पड़ रहा है. तथ्य है कि भारत में जब यहाँ के एक सौ तीस करोड़ लोग बात करतें […] Read more » Featured Ramraj The Most Important Need of Modern India रामराज
शख्सियत समाज संत रैदास: धर्मांतरण के आदि विरोधी – घर वापसी के सूत्रधार January 31, 2018 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी लगभग सवा छः सौ वर्ष पूर्व 1398 की माघ पूर्णिमा को काशी में जन्में संत रविदास यानि संत रैदास को निस्संदेह हम भारत में धर्मांतरण के विरोध में स्वर मुखर करनें वाली और स्वधर्म में घर वापसी करानें के प्रथम या प्रतिनिधि संत कह सकतें है. धर्मांतरण हिन्दुस्थान में सदियों से एक चिंतनीय विषय रहा […] Read more » Featured घर वापसी के सूत्रधार धर्मांतरण के आदि विरोधी संत रैदास
शख्सियत समाज स्वामी विवेकानंद: भारतीय संस्कृति के वैश्विक उद्घोषक January 11, 2018 / January 11, 2018 | Leave a Comment स्वामी विवेकानंद जी ने भारत को व भारतत्व को कितना आत्मसात कर लिया था यह कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर के इस कथन से समझा जा सकता है जिसमें उन्होनें कहा था कि – “यदि आप भारत को समझना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद को संपूर्णतः पढ़ लीजिये”. नोबेल से सम्मानित फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने स्वामी जी के […] Read more » Featured Global Announcer of Indian Culture Indian Culture Swami Vivekananda भारतीय संस्कृति विवेकानंद वैश्विक उद्घोषक स्वामी विवेकानंद
राजनीति बांग्लादेशी घुसपैठियों पर निर्णायक मूड में नमो सरकार January 4, 2018 | Leave a Comment अंततः संघ परिवार की नीतियों के अनुरूप बांग्लादेशी घुसपैठियों के संदर्भ में असम की सर्वानंद सरकार ने व केंद्र कीनमो सरकार ने अपना राष्ट्रवादी मास्टर प्लान लागू कर दिया है. 22 फरवरी 2014 को, लोस चुनाव के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने असम के सिलचर में कहा था- ‘बांग्लादेश से दो तरह के लोगभारत में आए हैं. एक शरणार्थी हैं जबकि दूसरे घुसपैठिये. अगर हमारी सरकार बनती है तो हम बांग्लादेश से आएहिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने के साथ ही घुसपैठियों को यहां से बाहर खदेड़ने का भी वादा करते हैं.’ भाजपा नेअसम में लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनावों में “जाति, माटी, भेटी” यानि जाति, जमीन और अस्तित्व की रक्षा करनेके नाम पर वोट मांगे थे. सत्ता में आने के बाद 19 जुलाई 2016 को नमो सरकार के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ‘नागरिकता(संशोधन) विधेयक,2016’ पेश किया. यह विधेयक 1955 के उस ‘नागरिकता अधिनियम’ में बदलाव के लिए था, जिसकेजरिए किसी भी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता तय होती है. इस विधेयक में प्रावधान था कि अफगानिस्तान, बांग्लादेशऔर पकिस्तान से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को ‘अवैध प्रवासी’ नहीं माना जाएगा.’इसका सीधा सा अर्थ ये था कि इसके जरिए बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जानी थी. अब इस दिशा मेंठोस कदम के रूप में NRC यानि नैशनल रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिजन का पहला ड्राफ्ट 31 दिसंबर की रात सामने आयाहै. इस ड्राफ्ट में असम के कुल 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को जगह दी गई और उन्हें कानूनी तौर परभारत का नागरिक मान लिया गया है. वहीं बचे हुए लोगों का प्रमाणीकरण हो रहा है, जिसके बाद उनका नाम इसलिस्ट में शामिल किया जाएगा. जो व्यक्ति इस लिस्ट में अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाएंगे या उनके पास इसके लिएज़रूरी कागजात नहीं होगें, उन्हें असम का नागरिक नहीं माना जाएगा और उन्हें देश के बाहर जाना पड़ेगा. 1971 मेंजब पाकिस्तान विभाजन ले पश्चात बांग्लादेश अस्तित्व में आया, उसके बाद से ही असम घुसपैठियों के विषय चर्चितरहने लगा था. असम के रास्ते घुसपैठिये देश में घुसकर देश के प्रत्येक हिस्से में जाकर बसने लगे थे. बांग्लादेश के निर्माणके दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई व वहां की एक बड़ी आबादी भारत आकर बस गई थी, इसमें हिंदुओं के अलावामुस्लिमों की भी बड़ी आबादी थी. 1971 के इस दौर में लगभग 10 लाख बांग्लादेशी असम में ही बस गए. 1971 के बादभी बड़े पैमाने पर बांग्लादेशियों का असम में आना जारी रहा. बांग्लादेश के लोगों की बढ़ती जनसंख्या ने असम केस्थानीय लोगों में भाषायी, सांस्कृतिक व सामाजिक असुरक्षा की स्थितियां उत्पन्न कर दी. घुसपैठिये असम में नाना प्रकारसे अशांति, अव्यवस्था, अपराध व उत्पात मचाने लगे. 1978 में असम के मांगलोडी लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव केदौरान चुनाव आयोग के ध्यान में आया कि इस चुनाव में वोटरों की संख्या में कई गुना वृद्धि हो गई है. चुनावी गणित वतुष्टिकरण की नीति के चलते सरकार ने 1979 में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिक बना लिया.असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) और असम गण संग्राम परिषद के नेतृत्व में बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सरकारी नीति के विरोध में आन्दोलन हुआ और असम भड़क गया. आसू व अगप को असम की स्थानीय जनता ने बहुतप्यार व समर्थन दिया. छात्र संगठन आसू ने असम आंदोलन के दौरान ही 18 जनवरी 1980 को केंद्र सरकार को एकNRC अपडेट करने हेतु ज्ञापन दिया. इस बड़े व हिंसक आन्दोलन की परिणति 1985 में असम में राजीव गांधी के साथ “असम समझौते” के रूप में हुई. 1999 में वाजपेयी सरकार ने इस समझौते की समीक्षा की और 17 नवंबर 1999 कोतय किया गया कि असम समझौते के तहत NRC को अपडेट किया जाना चाहिए. अटल जी की सरकार जाने के बाद2005 में मनमोहन सरकार भी इस निर्णय पर कायम रही व NRC की समीक्षा हेतु बारपेटा और चायगांव में पायलटप्रोजेक्ट शुरू किया गया. असम के कुछ संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया और वहां हिंसा हो गई और असम कीगोगोई सरकार इसमें बेतरह विफल रही. इसके बाद नेता सर्वानंद सोनोवाल ने 2013 में बांग्लादेश के घुसपैठ के मुद्दे कोसुप्रीम कोर्ट में उठाया और न्यायालय ने NRC 1951 को अपडेट करने का आदेश दिया जिसमें 25 मार्च, 1971 से पहलेबांग्लादेश से भारत में आने वाले लोगों को स्थानीय नागरिक माने जाने की बात कही गई थी और उसके बाद के असम मेंपहुंचने वालों को बांग्लादेश वापस भेजने के आदेश दे दिए गए थे. सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद ही NRC कीसमीक्षा व अपडेशन का कार्य प्रारम्भ हुआ और 1951 की जनगणना में शामिल अल्पसंख्यकों को राज्य का नागरिक मानलिया गया. 1951 से 25 मार्च, 1971 के बीच असम में आने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों के पास वैध कागजात नहीं थे.एनआरसी को अपडेट करने के दौरान पंचायतों की ओर से जारी नागरिकता प्रमाणपत्र को मान्यता नहीं दी जा रही थी.इसके बाद मामला असम हाईकोर्ट में पहुंच गया. हाई कोर्ट ने लगभग 26 लाख लोगों के पहचान के दस्तावेज अवैध करारदे दिए. इसके बाद मामला एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. असम की सर्वानंद सरकार ने न्यायालय केआदेशानुसार 31 दिसंबर 2017 को नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) का पहला ड्राफ्ट जारी कर दिया जिसमेंअसम के कुल 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को कानूनी तौर पर भारत का नागरिक माना गया. यद्दपिरजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेष ने ड्राफ्ट को जारी करते हुए कहा है कि लोगों कलो घबराना नहीं चाहिए व इसकेबाद और वेरिफिकेशन होगा व और ड्राफ्ट भी जारी होगा. लिस्ट जारी होने के बाद असम सरकार के वित्त मंत्री औरनागरिकता रजिस्टर के इंचार्ज हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि जिन लोगों का नाम एनआरसी रजिस्टर में नहीं है, उन्हें हरहाल में देश छोड़ना होगा. अब देखना यह है कि हमारा देश एक दीर्घ प्रतीक्षा के बाद किस प्रकार और कब बांग्लादेशीघुसपैठियों की समस्या से मुक्ति पायेगा. 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