कविता अव्यक्त चाँद July 8, 2013 | Leave a Comment अपनी पूरी व्याकुलता और बैचेनी के साथ किसी पूर्णिमा में चाँद उतर आता था साफ़ नर्म हथेली पर अपनी बोल भर लेनें की क्षमता के साथ. चाँद अभिव्यक्त भी न कर पाता था अपनें आप को कि उसकी मर्म स्पर्शी आँखों में होनें लगती थी स्पर्श की कसैली सुरसुराहट दबे पाँव उसकी व्याकुलता भी […] Read more » अव्यक्त चाँद
शख्सियत शांति के नोबेल से सम्मानित आज भी अपनी भूमि से वंचित July 6, 2013 / July 5, 2013 | Leave a Comment ६ जुलाई, दलाई लामा के जन्म दिवस पर विशेष: विश्व के हाल ही के इतिहास के महान नेताओं का उल्लेख करना हो तो महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग, जार्ज वाशिंगटन, अब्राहम लिंकन, विंस्टन चर्चिल, केनेडी आदि नेताओं के बाद नेलसन मंडेला और दलाई लामा ही ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनकों आज समूचा विश्व आदर भरी दृष्टि […] Read more » शांति के नोबेल से सम्मानित आज भी अपनी भूमि से वंचित
कविता साहित्य बादलों पर गीतों के टुकड़े July 2, 2013 | 1 Comment on बादलों पर गीतों के टुकड़े नहीं होती बात जब कुछ कहने को मैं यूँ ही कोई गीत गुनगुना देता हूँ । बादल अक्सर उड़ते हुए यहाँ वहाँ पकड़ लेते हैं मेरे गीतों के टुकडों को और बैठा लेते है अपने ऊपर । बादलों को अच्छा लगता होगा गीतों को लेकर उड़ना शायद उन्हें भी पता होगा कि इससे कुछ […] Read more » बादलों पर गीतों के टुकड़े
राजनीति नमो का कांग्रेस मुक्त भारत: अर्थ बहु आयामी, बहु प्रतीक्षित हैं! June 21, 2013 | 5 Comments on नमो का कांग्रेस मुक्त भारत: अर्थ बहु आयामी, बहु प्रतीक्षित हैं! भारतीय जनता पार्टी के गोवा सम्मेलन में नरेन्द्र मोदी ने जब चुनाव समिति के अध्यक्ष बननें का अश्वमेघ अनुष्ठान सफलता पूर्ण संपन्न किया तब उन्होंने कहा कि वे “ विश्वास को फलीभूत करेंगे और कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करेंगे.” राजनीति में या सार्वजनिक जीवन में कई अवसर ऐसे आते हैं और समाज या […] Read more » नमो का कांग्रेस मुक्त भारत: अर्थ बहु आयामी बहु प्रतीक्षित हैं!
राजनीति घोर अनास्था के युग में संघ-आस्था भाजपा का संकट हल कर गई!! -प्रवीन गुगनानी June 12, 2013 / June 12, 2013 | Leave a Comment “आज के परिदृश्य यह अविश्सनीय किन्तु सत्य है कि भाजपा संकट के सागर में गहरे धंस जाने के बाद तेजी से वापिस आई और शीघ्र ही सागर की सतह पर शांत-एकाग्र होकर राजयोग हेतु पद्मासन भी लगा चुकी है.” अन्ततोगत्वा तमाम प्रकार के संघर्षों को पार पाकर नरेन्द्र मोदी भारतीय जनता पार्टी की चुनावी समिति […] Read more » घोर अनास्था के युग में संघ-आस्था भाजपा का संकट हल कर गई!!
कविता आज जब बादल छाए June 10, 2013 / June 10, 2013 | 1 Comment on आज जब बादल छाए कैसे होगा बादल कभी और नीचे और बरस जायेगा , फुहारों और छोटी बड़ी बूंदों के बीच मैं याद करूँगा तुम्हे और तुम भी बरस जाना . .(२)…………………………………………….. कुछ बूंदों पर लिखी थी तुम्हारी यादें जो अब बरस रही है , सहेज कर रखी इन बूंदों पर से नहीं धुली तुम्हारी स्मृतियाँ न ही नमी […] Read more » आज जब बादल छाए
शख्सियत शांति के नोबेल से सम्मानित आज भी अपनी भूमि से वंचित June 5, 2013 / July 5, 2013 | Leave a Comment विश्व के हाल ही के इतिहास के महान नेताओं का उल्लेख करना हो तो महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग, जार्ज वाशिंगटन, अब्राहम लिंकन, विंस्टन चर्चिल, केनेडी आदि नेताओं के बाद नेलसन मंडेला और दलाई लामा ही ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनकों आज समूचा विश्व आदर भरी दृष्टि से देखता हैं। विश्व शान्ति के साथ साथ मानवता […] Read more » शांति के नोबेल से सम्मानित आज भी अपनी भूमि से वंचित
कविता हवाओं में बसी देहगंध May 25, 2013 | 1 Comment on हवाओं में बसी देहगंध कहाँ से आ रही है हवा ? ये पता नहीं बस इसमें बसी देह गंध पहचान आती है. तभी तो पहचाना कि तुम बहती हवा की दिशा में हो. नहीं है इसमें वो सब कुछ जो एक पहाड़ पर होता है शिखर, गरिमा,संपदा, और थोड़ी जड़ता भी बस है तनिक सहजता जो सदा उँगलियों […] Read more » हवाओं में बसी देहगंध
विश्ववार्ता चीन का 1954 का समझौता और 1962 का हमला याद रखना होगा हमें!! May 22, 2013 | 1 Comment on चीन का 1954 का समझौता और 1962 का हमला याद रखना होगा हमें!! भारत चीन के सम्बन्ध में हम हमारी राष्ट्रीय स्मृतियों और अनुभवों के पन्नो को यदि हम पलटाये तो स्पष्ट तौर यह देखनें में आता है कि चीन एक विस्तार वादी और क्रूर प्रवृत्ति वाला देश है. हमारें इस अनुभव को ठप्पा लगानें के लिए वह समझौता पर्याप्त है जो 29 अप्रैल, सन् 1954 को किया […] Read more » indo china relations चीन का 1954 का समझौता
कविता “गुलाब भरा आँगन” May 19, 2013 | Leave a Comment सहजता सिमटता हवा का झोंका सहज होनें का करता था भरपूर प्रयास. बांवरा सा हवा का वह झोंका गुलाबों भरे आँगन से चुरा लेता था बहुत सी गंध और उसे तान लेता था स्वयं पर. गुलाब वहां ठिठक जाते थे हवा के ऐसे अजब से स्पर्श से किन्तु हो जाते थे कितनें ही विनम्र मर्म […] Read more » “गुलाब भरा आँगन”
टॉप स्टोरी सर्वदलीय निंदा, लानत हो और बर्खास्त हो “वन्दे-मातरम्” का अपमान कर्ता सांसद May 13, 2013 | 6 Comments on सर्वदलीय निंदा, लानत हो और बर्खास्त हो “वन्दे-मातरम्” का अपमान कर्ता सांसद महान कवि और लेखक बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा रविवार, कार्तिक सुदी नवमी, शके १७९७ (७ नवम्बर १८७५) को पूर्ण किये गए अप्रतिम, भावपूर्ण और सुन्दर गीत वन्देमातरम के विषय में कौन सच्चा भारतीय गौरव भान और आदर भाव नहीं रखना चाहेगा यह अविश्वसनीय सवाल है!! भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण, जीवट भूमिका निभानें वाले […] Read more » बर्खास्त हो “वन्दे-मातरम्” का अपमान कर्ता सांसद शफी कुर्ररहमान सांसद शफी कुर्ररहमान
कविता अबोध सितारें May 10, 2013 / May 10, 2013 | Leave a Comment उस रात में कहीं कुछ घट रहा था जो दिन भर की तपिश के बाद शीतलता को साथ लिए निकल पड़ी थी अपने मूर्त-अमूर्त सपनों की बारात लिए. उस रात के आँचल में जड़ें सितारें और उसके पीछे चलते कितनें ही रहस्यमय घनें अन्धेरें स्पष्ट करते चलते थे परस्पर एक दुसरें की परिभाषाओं को. […] Read more »