राजनीति विश्ववार्ता याद रखें, चीनी कब्जा सीमित और स्थानीय समस्या नहीं है!! May 7, 2013 / May 7, 2013 | 5 Comments on याद रखें, चीनी कब्जा सीमित और स्थानीय समस्या नहीं है!! सन्दर्भ: हमारें विदेश मंत्री की ९ मई से प्रारम्भ हो रही चीन यात्रा. चीनी सेना द्वारा धृष्टता और दुष्टता पूर्वक भारतीय भूभाग पर19 किमी तक घुस कर कब्जा कर लेनें हमारें प्रधानमन्त्री मन मोहन सिंह द्वारा इस कब्जे को सीमित और स्थानीय समस्या का विशिष्ट दर्जा देनें के बाद उल्लेखनीय तथ्य है कि हमारें विदेश […] Read more » चीनी कब्जा
कविता चंद शब्दों के अंश May 4, 2013 / May 4, 2013 | Leave a Comment कुछ कहानियां और किस्से गाँव से बाहर के हिस्से में पुरानें बड़े दरख्तों पर टंगे हुए. कुछ कानों और आँखों में कही बातें जो थी किसी प्रकार कोमल स्निग्ध पत्तों पर टिकी और चिपकी हुई और चंद शब्दों के अंश जो टहनियों पर बचा रहें थे अपना अस्तित्व. यही कुछ तो था जो […] Read more » poem by praveen gugnani चंद शब्दों के अंश
कविता धुप पर सवार लय April 29, 2013 / April 29, 2013 | Leave a Comment कहीं से एक लय सुनाई दे रही थी और दूर कहीं एक ताल जैसे उस लय को खोजती हुई तेज गर्मियों की धुप पर सवार होकर अपनें अस्तित्व के इकहरे पन को ख़त्म कर लेना चाहती थी. लय और ताल अपनी इस यात्रा में अपनें अस्तित्व को साथ लिए चलते थे किन्तु उनका ह्रदय […] Read more » धुप पर सवार लय
राजनीति परिपक्व शरद यादव और नीतीश की बन्दर टोपी April 16, 2013 / April 16, 2013 | Leave a Comment बचपन में पढ़ी सुनी वह कहानी कमोबेश सभी की स्मृति में होगी जिसमें एक राहगीर व्यापारी बंदरों द्वारा चोरी की गई अपनी टोपियों को चतुराई से वापिस लेनें का प्रयास करता है. देश में धर्मनिरपेक्षता की अजीबोगरीब और अनगढ़ परिभाषाओं के चलते बिहारी मुख्यमंत्री नीतीश भी इस अल्पसंख्यक टोपी को लेकर वैसी ही कोई नई […] Read more » परिपक्व शरद यादव और नीतीश की बन्दर टोपी
राजनीति भारत का इतिहास रहा है संत शक्ति से प्रेरणा लेनें का April 13, 2013 / April 13, 2013 | 1 Comment on भारत का इतिहास रहा है संत शक्ति से प्रेरणा लेनें का राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चे यानि एन डी ए के घटक के तौर पर जनता दल यूनाइटेड जो कि पिछले दस वर्षों से भाजपा के साथ बिहार में अपना आधार विस्तारित करते हुए आज सत्ता सुख भोग रहा है को अचानक आवश्यक- अनावश्यक, उचित –अनुचित और बिना सोचे व्यक्तव्य जारी करनें की रपत पड़ गई लगती है. […] Read more »
कविता झिरिया April 12, 2013 | Leave a Comment झंकृत होती दुनियावीं कामनाओं के स्वर और अपुष्ट अप्रकटित कुछ पुरानी इक्छायें, ढूँढते हुए अपनें मूर्त आकार को आ गईं थी इस गली के मुहानें तक। अपनें दबें कुचलें रूप के साथ कुछ उपलब्धियों का असहज बोझ उठायें उन सब का गली से अन्तरंग होना और उससे तारतम्य में हो लेना एक रूपक ही […] Read more »
कविता विरत करते घनेरें वन April 7, 2013 / April 7, 2013 | Leave a Comment कही कुछ था जो घट रहा था सतत, निरंतर। अहर्निश चल रहीं श्वासों में सतत उपजतें जा रहें थे कुछ घनेरें वन किन्तु जीवन की अविरलता में उन अनचाहें उपजें वनों को देखना उन वनों के निर्ब्रह्म रूप के साथ एकाकार हो जानें जैसा होता था। निरंजन रूपों में अवतरित होतें वे घनेरें वन बहुत […] Read more »
विश्ववार्ता मनमोहन सिंह क्यों मौन रहे चीन के सामनें? April 4, 2013 | Leave a Comment सन्दर्भ: हाल ही में ब्रिक सम्मलेन में भारत-चीन नेतृत्व की बैठक. पिछले दिनों हमारें प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने डरबन में ब्रिक्स शिखर सम्मलेन में आये चीन नव नियुक्त के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से भेंट की. चीन में नेतृत्व परिवर्तन के बाद दोनों देशों […] Read more »
कविता शांत झील —- March 23, 2013 / March 23, 2013 | Leave a Comment उस शांत झील को जब देखा था निर्झर तब वह नदी होकर कहीं कलकल बह निकलनें के प्रयास में थी। उन पहाड़ी सीमाओं में नदी उकता गई थी। आस पास खड़े सभी ऊँचें चीढ़ और देवदार उसकी इक्छाओं को देते रहते थे आकार और उठाये रहते थे उन्हें अपने ऊपर बिना अनथक। वे अनथक ऊँचें […] Read more » शांत झील
राजनीति यहाँ विदेश मंत्री खुर्शीद ने झुक कर दी मुर्ग रोगन जोश की दावत March 18, 2013 | Leave a Comment वहां पाकी प्र.म. परवेज ने फिर की भारतीय संसद की अदावत पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने अपना निश्चित चरित्रगत और आचरण बद्ध काम किया. इस दोनों राष्ट्रों ने जो किया उससे आबाल वृद्ध किसी को भी आश्चर्य या हैरानी नहीं होनी चाहिये. इन में से पाकिस्तान ने जो किया वह है अफजल […] Read more » यहाँ विदेश मंत्री खुर्शीद ने झुक कर दी मुर्ग रोगन जोश की दावत
गजल “हुई पहली फुहार भरी बारिश तो तेरी याद आई” March 15, 2013 | Leave a Comment हुई पहली फुहार भरी बारिश तो तेरी याद आई निंदिया से पहले सपनों की बारात और साथ में कुछ हलके-हौले से बीत जानें की बोझिल सी बात भी आई. हर बूँद के साथ बरसा जो वो सिर्फ पानी न था. तेरे यहीं कहीं होने का अहसास भी था उसमें और तेरी बातों के चलते रहनें […] Read more » “हुई पहली फुहार भरी बारिश तो तेरी याद आई”
कविता ब्रह्मनाद और स्मृतियाँ March 8, 2013 / March 8, 2013 | Leave a Comment एक शिरा दो धमनियां तीन स्पंदन इन सभी का एक छोटा सा बुलबुला और तुम्हारें मेरें प्यार के बड़े होते संसार में बची कुछ अनुभूतियाँ. जिजीविषा के साथ जीवन को जी लेती स्मृतियां और इन सभी के सान्निध्य को लिए कहीं दूर से होते, आते, पुकारतें आकाश गंगा के जैसे अनवरत, अक्षुण्ण, अनाकार, अनंत ब्रह्मनाद. […] Read more » ब्रह्मनाद और स्मृतियाँ