राजनीति इतिहास विस्मृत करनें वालों को भविष्य विस्मृत कर देता है, शिंदे जी!! November 7, 2012 / November 7, 2012 | Leave a Comment केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील शिंदे ने भारत पाकिस्तान के बीच होने वाली क्रिकेट श्रंखला को लेकर बड़ा आश्चर्यजनक किन्तु दुखद व्यक्तव्य दिया है कि हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए. क्रिकेट का खेल अपने स्थान पर है, खेलभावना भी अपने स्थान पर रहे यह उचित हो सकता है, […] Read more »
राजनीति नरेन्द्र मोदी ने भी प्रेम किया है! November 1, 2012 | 7 Comments on नरेन्द्र मोदी ने भी प्रेम किया है! नरेन्द्र मोदी ने भी प्रेम किया है! भारत माता से किया है!! और मृत्यु पर्यन्त एक बार ही किया है!!!! अपने अभिजात्य और ट्विटर प्रकार के प्रेम प्रदर्शन के स्थान पर कोच्चि टीम और रेन्देवू कंपनी के सत्तर करोड़ी शेयर के आरोप को स्पष्ट करें थुरूर!!! प्रेम केवल वह नहीं होता जो शशि और सुनंदा ने […] Read more »
समाज सार्थक पहल दारुल उलूम का फतवा स्थापित कर सकता है सौहाद्र का नया इतिहास October 26, 2012 / October 26, 2012 | 3 Comments on दारुल उलूम का फतवा स्थापित कर सकता है सौहाद्र का नया इतिहास प्रवीण गुगनानी भारतीय मुसलमानों को छोड़ना चाहिए अंग्रेजों की दी हुई गौमांस की कुटेव गौवंश वध हमारें विशाल लोकतान्त्रिक देश भारत के लिए अब एक चुनौती बन गया है. देश में प्रतिदिन शासन प्रशासन के सामनें गौ वध और अवैध गौ तस्करी के मामलें न केवल दैनंदिन के प्रशासनिक कार्यों के बोझ और चुनौती को […] Read more » ban on cow slaughter दारुल उलूम का फतवा
कविता निहितार्थों का समुद्र October 24, 2012 / October 24, 2012 | 1 Comment on निहितार्थों का समुद्र बहते संबंधों की जलधार में कहीं कुछ था जो अछूता सा था ह्रदय की गहराइयों में नहीं डूब पाया था वो और न ही छू पाया था उन अंतर्तम जलधाराओं को जो बहते चल रही थी मन के समानांतर. मन करता था चर्चाएं तुमसे पता है. पता है यह भी कि शिलाओं पर लिखे जा […] Read more » निहितार्थों का समुद्र
कविता ईश्वर का अंश लिए आँखें चिड़िया की October 20, 2012 / October 20, 2012 | 2 Comments on ईश्वर का अंश लिए आँखें चिड़िया की शहर से बड़ी दूर ढलती शाम में सचमुच ही कोलाहल जहां हो गया था निराकार और निर्विकार कहीं दूर दूर होती ध्वनियों पर बैठ जाया करती थी जहां एक चिड़िया चिड़िया के पंखों पर लटक जाते थे शब्द वे शब्द खो देते थे अपने अर्थों को और हो जाते थे भारहीन. मुझे याद है वो […] Read more »
कविता शब्दों पर क्यों नहीं उगाए पुष्पों के पौधे? October 15, 2012 | 1 Comment on शब्दों पर क्यों नहीं उगाए पुष्पों के पौधे? प्रवीण गुगनानी मेरा रोम रोम ही तो कह रहा था तुम्हीं ने नहीं सुना. न सुना और न महसूसा कि कहीं कुछ घट रहा है पल प्रति पल दिन प्रति दिन हर समय हर कहीं और जो घट रहा है उसे नहीं देखा जा सकता सीधी नंगी आँखों से. उसे तो देखना होगा कहीं प्रतिबिम्बों […] Read more »
कविता अपलक देखतें सपनें October 7, 2012 | 1 Comment on अपलक देखतें सपनें आँखों में था पूरा ही आकाश तब भी और अब भी और थे उसमें से झाँकतें निहारतें कृतज्ञता के ढेरों सितारें. और थे उसमें आशाओं के कितने ही कबूतर जिन्हें उड़ना होता था बहुत और नीचें धरती पर होता था सेकडों मील मरुस्थल और आशाओं निराशाओं के फलते फलियाते फैलते दावानल. सम्बन्धों की […] Read more » अपलक देखतें सपनें
राजनीति शख्सियत दादा आप तो राष्ट्रपति भवन जाकर भी “प्रणब दा” ही रहे !!! October 3, 2012 / October 3, 2012 | Leave a Comment • महामहिम जैसे शब्दों और औपनिवेशिक व्यवहार को समाप्त करने का आव्हान से एक नया वातावरण बनेगा ! • राजनीतिज्ञों को लेना होगी सीख और होना होगा जनतंत्र के अनुरूप • अभी हाल ही में घटे घटनाक्रम में हमारें राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी जी नें एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उनकें सम्मिलित होने के अवसर पर […] Read more » pranav mukherjee
आर्थिकी राजनीति आखिर क्या हैं पैसे पेड़ पर नहीं उगते के निहितार्थ ? September 24, 2012 / September 24, 2012 | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी * अभावपूर्ण मध्यमवर्ग के लिए मनमोहनसिंह का उच्चवर्गीय, निर्मम व भावहीन भाषण * खाद के मूल्य, गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे अनेक विषय क्यों दूर रहे मनमोहन सिंह के भाषण से!!! घोर, घनघोर भौतिकता की ओर तेजी से बढती इस दुनिया में भारत ही उन बचे देशों में प्रमुख है जहां भौतिकतावाद के स्थान […] Read more » adress of Manmohan singh to india
शख्सियत सुदर्शन जी की चिंता का मुख्य विषय था गौवंश September 19, 2012 | Leave a Comment भाजपा के आगामी चुनावी घोषणापत्र में स्पष्ट होना चाहिए गौवंश वध पर पूर्ण प्रतिबन्ध की बात ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी. भारत में गौवंश वध और उसका सरंक्षण एक राष्ट्रीय, चिंता, बहस और सामाजिक सरोकार का ज्वलंत विषय सदा से रहा है और वर्तमान में यह विषय और अधिक महत्वपूर्ण व ज्वलंततम होता जा रहा […] Read more » कुप्प्.सी.सुदर्शन गोवंश
राजनीति कृष्णा भारत विभाजन की खुशी में बनें मीनारे पाकिस्तान पर क्यों गए? September 12, 2012 / September 21, 2012 | 1 Comment on कृष्णा भारत विभाजन की खुशी में बनें मीनारे पाकिस्तान पर क्यों गए? प्रवीण गुगनानी विदेशमंत्री बताएं पाकिस्तान को लेकर देश की आशंकाओं का क्या जवाब मिला? आडवाणी,जसवंत को कोसने वालें अब क्यों चुप हैं? पाकिस्तानी विदेशमंत्री हिना की जुबाँ पर यह सच आ ही गया कि “आतंकवाद उनके अतीत का मन्त्र था” पिछले दिनों अपने भारतीय विदेश मंत्री एस एम कृष्णा पाकिस्तान यात्रा से लौट आयें है. […] Read more » s.m.krishna s.m.krishna visit to Pakistan एस एम कृष्णा पाकिस्तान यात्रा
गजल जो कह चूका गीत उसे भी न भूल जाओ September 11, 2012 / September 11, 2012 | Leave a Comment जो कह चूका गीत उसे भी न भूल जाओ तुम्हे मेरे सपनो में अब भी देखा करता हूँ कभी भी यहाँ वहाँ पहले की ही तरह अब भी भटका करता हूँ .. नहीं होते हैं चलती साँसों मैं पेंच अब उस तरह के पर हर साँस से मैं गिरते फूलो को थामा करता हूँ.. साँसों […] Read more » gazal by praveen gugnani