हरिहर शर्मा

हरिहर शर्मा

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पूर्व अध्यक्ष केन्द्रीय सहकारी बेंक, शिवपुरी म.प्र.

लेखक - हरिहर शर्मा - के पोस्ट :

राजनीति

कश्मीर समस्या, प्रजातंत्र, जिहाद और नेहरू |

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उसके बाद जमात-ए-इस्लामी के विभिन्न धड़ों ने एकजुट होकर यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट बनाकर 1987 के चुनाव में भागीदारी की | आम मान्यता है कि 1987 के चुनाव कश्मीर के चुनावी इतिहास के सबसे काले चुनाव थे. बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया गया और नेशनल कॉन्फ्रेंस को 40 तथा कांग्रेस को 26 सीटें मिलीं जबकि मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट को केवल 4 | भारी पैमाने पर प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर मतदान प्रतिशत 75 तक पहुंचा दिया गया, इस बात को बाद में स्वयं फारूख अब्दुल्ला ने भी एक टीवी इंटरव्यू में स्वीकार किया | और उसके बाद शुरू हुआ 1990 का हिंसक दौर, जिसमें कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन बना दी गई | हिंसा का दौर तो अब खत्म हो गया है और एक नया दौर शुरू हुआ है, जिसमें कश्मीर के नौजवान लड़ रहे हैं इस्लाम के नाम पर।

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राजनीति

प्रधान मंत्री के खिलाफ “राजनैतिक जिहाद” का फतवा – कठमुल्ले मानते हैं देश में आज भी मुग़ल सल्तनत !

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सत्ताधीशों की लगातार कुर्सीपरस्त तुष्टीकरण की राजनीति के कारण भारत के कतिपय कट्टरपंथियों के मन में यह धारणा घर कर चुकी है कि अंग्रेजों के जाने के बाद अब भारत पर उनका ही शासन है ! जीहाँ इसका ताजा तरीन उदाहरण है कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के बदनाम इमाम सैयद नूरउररहमान बरकाती का वह […]

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राजनीति

कैसी राजनीति ? कैसी पत्रकारिता ? क्या संघ स्वयंसेवक भारत के दोयम दर्जे के नागरिक हैं ?

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मंगलवार को गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह व मंत्री गौरीशंकर बिसेन व दमोह सांसद प्रहलाद पटेल जबलपुर के जामदार हास्पिटल के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती यादव को देखने पहुंचे। गृहमंत्री ने कहा कि निर्दयतापूर्ण ढंग से पुलिस ने पीटा है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सक्रिय हुए संघद्रोही, बनी रणनीति आरएसएस के जिला प्रचारक के साथ हुई मारपीट के बाद पुलिस

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शख्सियत समाज

जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख – एक तुलनात्मक विश्लेषण

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नानाजी अक्सर राजा राम की तुलना में वनवासी राम की अधिक प्रशंसा करते थे । उनका कहना था कि राजा के रूप में राम इसलिए अधिक सफल हुए, क्योंकि उन्होंने वन में रहते हुए गरीबी को जाना, समझा | इसीलिए नानाजी ने भी राजनीति से विराम लेकर गरीब वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन खपाने का निर्णय लिया । दीन दयाल शोध संस्थान भी बनाया तो चित्रकूट में, जहाँ वनवास के दौरान भगवान राम ने अपना समय व्यतीत किया । अपने चित्रकूट प्रवास के दौरान नानाजी ने वहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा और अंधविश्वास में डूबी जनता का मूक रुदन अनुभव किया ।

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