राजनीति सजायाफ्ता जन प्रतिनिधियों को क्यूँ मिले सरकारी पेंशन… November 20, 2016 | Leave a Comment उल्लेखनीय है कि किसी आपराधिक मामले में दो साल से आधिक सजा हो जाने पर कानूनन कोई भी नेता सजा ख़तम होने के छ: साल बाद तक चुनाव लड़कर संसद या विधानसभा में नहीं आ सकता। इन कड़े प्रावधानों के बावजूद अपनी पिछली कथित जनसेवा और विधायी सदन में काटे गये कार्यकाल के एवज में वही नेता आराम से उसी जनता की गाढ़ी कमाई को पेंशन के रूप में हड़प सकता है जिसपर कथित आपराधिक अत्याचार के लिए वह सजायाफ्ता घोषित होता है। Read more » Featured सजायाफ्ता जन प्रतिनिधि सरकारी पेंशन
व्यंग्य आजादी…क्यों मजाक करते हो भाई… August 17, 2012 / August 16, 2012 | Leave a Comment हिमांशु डबराल ‘क्या आज़ादी तीन थके हुए रंगों का नाम है जिन्हें एक पहिया ढोता है? या इसका कोई ख़ास मतलब होता है’ धूमिल की ये पंक्तियाँ आज भी ज़हन में कई सवाल छोड़ जाती….आज़ादी…हम आज़ाद है, ये कहने पर एक बंधू बोल पड़े – क्यों मजाक करते हो भाई? सच में कई बार मजाक […] Read more » आजादी
मीडिया अब भाई तुम्हारी निजता के चलते सोशल मीडिया बंद करदें…??? April 26, 2012 / April 26, 2012 | 1 Comment on अब भाई तुम्हारी निजता के चलते सोशल मीडिया बंद करदें…??? हिमांशु डबराल सोच के देखिये की भारत में स्वतंत्र प्रेस न हो तो क्या होगा? चाइना जैसा हाल…? सोच के भी अजीब लग रहा है… सोशल मीडिया पर पाबन्दी और निगरानी की बात चल रही है…बड़े बड़े लोगों के बयान आ रहे है की इस पर पाबन्दी लगनी चाहिए…अब प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर पाबन्दी […] Read more » ban on social media Social Media सोशल मीडिया
वर्त-त्यौहार मौज-मस्ती से कहीं गहरा है होली का महत्व… March 20, 2011 / December 14, 2011 | 1 Comment on मौज-मस्ती से कहीं गहरा है होली का महत्व… पूरे साल बेसब्री से इंतजार कराने वाला होली का त्योहार सिर्फ रंग-उमंग तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारतीय समाज और जनमानस में इसका बहुत गहरा महत्व है। इस त्योहार का महत्व हर तबके के लिए अलग-अलग है। युवाओं के लिए जहां यह रंग-बिरंगी मौज-मस्ती का पर्व है वहीं किसानों के लिए इसका महत्व उनकी […] Read more » Holi
वर्त-त्यौहार ‘दिवाली तो दिवाला निकाल देगी’ November 6, 2010 | 1 Comment on ‘दिवाली तो दिवाला निकाल देगी’ -हिमांशु डबराल ‘दीपावली’ अर्थात दिपों की पंक्ति, एक पावन त्यौहार जिसे दिपोत्सव नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर दीप जलाकर अंधेरे को दूर किया जाता हैं, खुशियां मनायी जाती हैं, तरह-तरह की मिठाईयां, पकवान, पटाखे और नये कपड़े खरीदे जाते हैं, घरों की सफाई की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली के […] Read more » दीपावली
विविधा भिखारियों का महाकुंभ April 13, 2010 / December 24, 2011 | Leave a Comment एक बार फिर बिहार सरकार और छात्र आमने सामने है। इस बार सरकार के साथ छात्रों का संघर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर है। हालांकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने समय समय पर ऐसे कई राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर आन्दोलन किये है लेकिन इस बार का आन्दोलन अभिनव है। परिषद् जिस सरकार के खिलाफ जंग में […] Read more » Begger भिखारियों
प्रवक्ता न्यूज़ ‘जनवाणी’ से ‘सत्ता की वाणी’ तक का सफर… March 15, 2010 / December 24, 2011 | Leave a Comment मीडिया पर आये दिन सवाल खड़े हो रहे हैं, विश्वसनीयता भी कम हुई है। बाजारीकरण का मीडिया पर खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। खबरों और मीडिया के बिकने के आरोपों के साथ-साथ कई नए मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में पत्रकारिता को किसी तरह अपने बूढे क़न्धों पर ढो रहे पत्रकारों के […] Read more » media मीडिया की विश्वसनीयता
विविधा प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया… February 15, 2010 / December 25, 2011 | Leave a Comment किस मोड़ पे तो नहीं, हां लेकिन एक ऐसे मोड़ पर लाकर जरूर खड़ा कर दिया है, जहां मोहब्बत बाज़ारी नज़र आ रही है। वेलनटाइन वीक चल रहा है, बाज़ार प्यार के तोहफों से लदा हुआ है, हर आदमी की जेब के हिसाब से तोहफे बिक रहे है। ऐसे में एक नया ट्रेण्ड शुरू हो […] Read more » Valentine Day प्यार प्रेम वैलेनटाइन डे
विधि-कानून कानून सिर्फ गरीबों के लिये अमीरों के लिये नहीं.. January 20, 2010 / December 25, 2011 | 2 Comments on कानून सिर्फ गरीबों के लिये अमीरों के लिये नहीं.. ठंड का मौसम, पसरा हुआ कोहरा, सर्द हवाएं, खुला आसमान और उस पर तन पर ना के बराबर कपड़े। जरा सोचिये ऐसी स्थिति में कोई भी आदमी कैसे रह सकता है। लेकिन भारत में लाखों लोग ऐसे है जो इस तरह जीने पर मजबूर है। सर्दी से बचने के नाम पर उनके पास सिर्फ चन्द […] Read more » Cold गरीब ठंड
राजनीति 26/11 को एक साल November 28, 2009 / December 25, 2011 | Leave a Comment एक साल पहले दहल गया था ‘पूरा देश’। मुम्बई में हुए सिलसिलेवार आंतकी हमलों ने पूरे देश में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। मौत का ऐसा मंजर किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। लाशों के ढेर में पसरा सन्नाटा और उस सन्नाटे में गूंजती गोलियों की आवाजें। पूरा देश आतंकियों के […] Read more » 26/11 को एक साल Mumbai Attack
कविता इल्जाम October 21, 2009 / December 26, 2011 | 2 Comments on इल्जाम वो इस कदर गुनगुनाने लगे है, के सुर भी शरमाने लगे है… हम इस कदर मशरूफ है जिंदगी की राहों में, के काटों पर से राह बनाने लगे है… इस कदर खुशियाँ मानाने लगे है, के बर्बादियों में भी मुस्कुराने लगे है… नज्म एसी गाने लगे है, की मुरझाए फूल खिलखिलाने लगे है… चाँद ऐसा […] Read more » Himanshu Dabral Ilzam इल्जाम हिमांशु डबराल
प्रवक्ता न्यूज़ दिवाली या दिवाला ? October 17, 2009 / December 26, 2011 | 2 Comments on दिवाली या दिवाला ? ‘दीपावली’, एक पावन त्यौहार। जिसके आते ही दीप जलाये जाते हैं, खुशियां मनायी जाती हैं, तरह-तरह की मिठाईयां, पकवान, पटाखे और नये कपड़े खरीदे जाते हैं, घरों को साफ किया जाता है। लेकिन आज दिवाली आने पर आम लोगों के चेहरे उतरे नजर आ रहे हैं। कारण है महंगाई, महंगाई ने आज आम आदमी की […] Read more » Diwali दिवाली