ललित गर्ग

ललित गर्ग

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लेखक - ललित गर्ग - के पोस्ट :

राजनीति

दिल्ली एमसीडी चुनाव एक महासंग्राम है

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एमसीडी चुनाव में जीत को सुनिश्चित करने के लिये ही कुछ महीने पहले बीजेपी ने मनोज तिवारी को राज्य में पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। दिल्ली के पूर्वांचल वोटरों को साधने के साथ ही कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने के लिए मनोज तिवारी को दिल्ली की कमान सौंपी गयी है। देखना यह है कि वे इसमें कितना सफल हो पाते हैं? मौजूदा पार्षदों के टिकट काटने का निर्णय कहीं बीजेपी के खिलाफ न चला जाए, क्योंकि कई दिग्गज नेताओं को घर बैठा देना कहीं बगावती तेवर को हवा न दे- इस तरह की चुनौतियां भी तिवारी के सामने हैं।

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राजनीति

मजबूत लोकतंत्र के लिए सांसदों की हाजिरी जरूरी

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संसदीय व्यवस्था के हालात प्रारंभ से ही ढुलमूल रहे हैं। शुरुआत में जवाहरलाल नेहरू ने स्वयं जागरूक रहकर सांसदों को भी जागरूक बनाया था। अब पीएम मोदी संसदीय व्यवस्था को सुदृढ़ एवं अनुशासित करने में जुटे हैं तो उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। थोड़ी बहुत चुनौतियों के बीच मौजूदा लोकसभा कामकाज के हिसाब से पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। सदन के प्रति सांसदों को जवाबदेह बनाने के लिए मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी ढेरों प्रयास किए हैं। जरूरत है लोकतंत्र प्रशिक्षण के कार्यक्रम की। नये बनने वाले सांसदों के लिये यह प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए, जिसमें एक आदर्श जन-प्रतिनिधि के व्यवहार के साथ-साथ उसकी कार्यशैली, संसदीय व्यवस्था का सघन प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इसके लिये कार्यशाला एवं प्रशिक्षण का प्रबन्ध हो। तभी हम हमारे इस सर्वोच्च मंच की पवित्रता और गरिमा को अक्षुण्ण रख सकेंगे।

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विविधा

भोजन की बर्बादी एक त्रासदी है

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दुनियाभर में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक तिहाई भोजन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे दो अरब लोगों की खाने की जरूरत पूरी हो सकती है। विश्व भर में होने वाली भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एकजुट होकर एक परियोजना शुरू की है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में बढ़ती संपन्नता के साथ ही लोग खाने के प्रति असंवेदनशील हो रहे हैं। खर्च करने की क्षमता के साथ ही खाना फेंकने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। समस्या की शक्ल लेती यह स्थिति चिन्ताजनक है और प्रधानमंत्री इसके लिये जागरूक है, यह एक शुभ संकेत है।

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राजनीति

गुजरात चुनाव एक बड़ी चुनौती है

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इन दिनों गुजरात के आदिवासी समुदाय को बांटने और तोड़ने के व्यापक उपक्रम चल रहे हैं जिनमें अनेक राजनीतिक दल अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए इस तरह के घिनौने एवं देश को तोड़ने वाले प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही प्रयासों ने भिलीस्तान जैसी समस्या को खड़ा कर दिया है। एक आंदोलन का रूप देकर आदिवासी समुदाय को विखण्डित करने की कोशिश की जा रही है। इस भिलीस्तान आंदोलन को नहीं रोका गया तो गुजरात का आदिवासी समाज खण्ड-खण्ड हो जाएगा।

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समाज

मध्यम-वर्ग: नई भोर की आहट

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मध्यमवर्ग भले ही आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न न भी हो, वह शिक्षित भी है, जागरूक भी है और #विकासोन्मुखी भी है लेकिन वह अपनी परम्पराओं और रूढियों से खुद को मुक्त नहीं कर सका। संस्कार और संस्कृति उसकी जेहन में रहते हैं। यही कारण है कि मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा पीड़ित है। मध्यम वर्ग की विडम्बना देखिये कि उसे अपना दर्द व्यक्त करने का मंच भी सुलभ नहीं है। यत्र-तत्र चर्चाओं में भाग लेकर अपना आक्रोश तो प्रकट करता है परन्तु समय, धन व जनबल के आभाव के कारण सत्ता में बैठे लोगों को अपने हित चिंतन के लिए विवश नहीं कर पाता।

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