जन-जागरण समाज सफलता के लिये अच्छाई का निवेश जरूरी है April 16, 2016 | Leave a Comment ललित गर्ग अच्छाई और सफलता की कसौटी क्या है? इनका कोई लेबल नहीं, न कोई आवरण है। व्यक्ति की कार्यशैली, व्यवहार, कर्म, वाणी, रहन-सहन, प्रकृति और स्वभाव ही उसका मापदंड है। सफलता भाग्य की फसल और पुरुषार्थ की निष्पत्ति है। हर किसी को वह नसीब नहीं होती, यह सतत जागरूकता, जीवन के प्रति सकारात्मकता एवं […] Read more » Featured success
शख्सियत समाज महावीर हैं जीवन की सार्थकता के प्रतीक April 13, 2016 | Leave a Comment महावीर जयंती 19 अप्रैल, 2016 पर विशेषः ललित गर्ग महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती हम मनाते हैं। समस्त विश्व में जैन समाज […] Read more » महावीर जयंती
धर्म-अध्यात्म त्रिनेत्र गणेश मन्दिर March 16, 2016 | Leave a Comment आस्था और चमत्कार का अद्भुत संगम है ललित गर्ग हमारे देश में भगवान श्री गणेश के मन्दिरों की समृद्ध शृंखला में रणथंभौर दुर्ग के भीतर भव्य त्रिनेत्र गणेश मन्दिर का महत्व न केवल राजस्थानवासियों के लिये हैं बल्कि सम्पूर्ण देश में यह मन्दिर चर्चित एवं लोकप्रिय है। सवाई माधोपुर जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर […] Read more » Featured ganesh mandir त्रिनेत्र गणेश मन्दिर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेशजी
स्वास्थ्य-योग स्वस्थता के लिये जरूरी है हंसना February 26, 2016 | Leave a Comment ललित गर्ग आज का जीवन मशीन की तरह हो गया है। अधिक से अधिक पाने की होड़ में मनुष्य न तो स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाता और न ही फुर्सत के क्षणों में कुछ आमोद-प्रमोद के पल निकाल पाता। तनाव भरी इस जिंदगी में मानो खुशियों के दिन दुर्लभ हो गये हैं! कई चेहरों को […] Read more » Featured स्वस्थता के लिये जरूरी है हंसना
राजनीति जरूरत है सक्षम एवं सफल राजनीतिक नेतृत्व की December 30, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग- नये वर्ष की शुरूआत के साथ ही राजनीति के लिये शुभ और मंगलकारी होने की ज्यादा जरूरत है। इसके लिये एक ऐसे राजनीतिक उभार एवं प्रभावी राजनीति नेतृत्व की जरूरत तीव्रता से महसूस की जा रही है। क्योंकि राजनीति की दूषित हवाओं ने स्वार्थों की धमाचैकड़ी मचा रखी है। एक ईमानदार और सक्षम […] Read more » Featured जरूरत है सक्षम एवं सफल राजनीतिक नेतृत्व की राजनीतिक नेतृत्व
धर्म-अध्यात्म सुख और दुःख जीवन में साथ चलते हैं December 29, 2015 | Leave a Comment दुनिया का हर इंसान सुख चाहता है। दुःख कोई नहीं चाहता। वह दुःख से डरता हैं इसलिए दुःख से छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के प्रयत्न करता है। मतलब दुःख को खत्म करने और सुख को सृजित करने के लिए हर इंसान अपनी क्षमता के मुताबिक हमेशा कुछ-न-कुछ करता है। सुख और दुःख धूप- छाया […] Read more » सुख और दुःख जीवन में साथ चलते हैं
विविधा अनुभव और संकल्प से नया रचें December 24, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग- नए साल की शुरूआत पर कुछ नया सोचें, नया लिखें, नया करें, नया कहें और नया रचें। प्रश्न है नया हो क्या? क्या कलेण्डर बदल देना ही नयापन है? पर मूल में तो सबकुछ कल भी वही था, आज भी वही है और कल भी वही होगा। जीवन का भी यही अन्दाज है-जो […] Read more » Featured अनुभव और संकल्प से नया रचें
पर्व - त्यौहार विविधा रोशनी पवित्रता का जीवन रक्त है November 11, 2015 / November 12, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग विद्या, बुद्धि और कला-संपन्न व्यक्ति वही होता है, जो सहनशील, नम्र और मधुर व्यवहार वाला होता है। व्यवहार रेगिस्तान में नहीं पनपता। वह तो एक फूल है,जिसे खिलने के लिये उद्यान की जरूरत होती है। लोग सोचते है कि उन्हें व्यवहार करना आता है। लेकिन उन्हें व्यवहार करना सीखना होगा। सीखने की संभावना […] Read more » Deepawali Diwali Featured रोशनी रोशनी पवित्रता का जीवन रक्त है
शख्सियत समाज कीर्तिमान गढने में उम्र बाधक नहीं November 6, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग – सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं होता। अपने कार्य के प्रति समर्पण और उसके प्रति प्यार-ये दो ऐसे प्रमुख कारण हंै जो किसी भी व्यक्ति को सफल बना सकते हैं। सफलता और पुरस्कार ही जीवन की सार्थकता नहीं हो सकती। हां, इनका महत्व इतना जरूर है कि ये दोनों चीजें जीवन में आगे […] Read more » Featured कीर्तिमान गढने में उम्र बाधक नहीं
समाज हर समर्थ आदमी अपने से कमजोर का सहायक बने October 16, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग – पुराने जमाने की बात है। एक राजा था। उसे अपने विशाल साम्राज्य और धन-संपत्ति पर बहुत अभिमान था। एक दिन एक साधु उसके पास आया। उसने राजा को देखकर ही भांप लिया कि वह धन और सत्ता के मद में चूर है, लेकिन अंदर से खोखला है। राजा ने साधु से पूछा, […] Read more » हर समर्थ आदमी अपने से कमजोर का सहायक बने
धर्म-अध्यात्म मैत्री का विराट् दर्शन है क्षमापना दिवस September 18, 2015 | Leave a Comment गणि राजेन्द्र विजय भारतीय संस्कृति में पर्वों का अत्यधिक महत्व एवं प्रभाव रहा है। समय-समय पर सर्वत्र-दीवाली, होली, रक्षाबंधन, दशहरा आदि अनेक भौतिक पर्व मनाये जाते हैं। किन्तु जैनधर्म त्याग प्रधान धर्म है। इसके पर्व भी त्याग-तप की प्रभावना के पर्व हैं। जैनधर्म में तीन पर्वों को विशेष महत्व दिया जाता है। 1. अक्षय तृतीया, […] Read more » Featured क्षमापना दिवस मैत्री का विराट् दर्शन है
वर्त-त्यौहार विविधा समाज इतिहास के आइने में रक्षाबंधन का पर्व August 28, 2015 / August 29, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। सात्विकता एवं पवित्रता का सौंदर्य लिए यह त्यौहार सभी जन के हृदय को अपनी खुशबू संवेदनाओं से महकाता है। इस दिन सभी बहने अपने भाइयों की कलाई पर […] Read more »