धर्म-अध्यात्म विविधा क्या फलित हो पाया है आजादी का सपना? August 15, 2015 / August 15, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग पन्द्रह अगस्त हमारे राष्ट्र का गौरवशाली दिन है, इसी दिन स्वतंत्रता के बुनियादी पत्थर पर नव-निर्माण का सुनहला भविष्य लिखा गया था। इस लिखावट का हार्द था कि हमारा भारत एक ऐसा राष्ट्र होगा जहां न शोषक होगा, न कोई शोषित, न मालिक होगा, न कोई मजदूर, न अमीर होगा, न कोई गरीब। […] Read more » आजादी का सपना?
विविधा शख्सियत मिसाइलमैन कैसे अहिंसा के प्रति आकर्षित हुए? July 30, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग- मिसाइलमैन के नाम से प्रसिद्ध एवं बच्चों के चेहते डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अब हमारे बीच नहीं रहे। एक सच्चा देशभक्त हमसे जुदा हो गया। देह से विदेह होने के क्षणों को भी इस महापुरुष ने कर्ममय रहते हुए बिताया। वे जन-जन के प्रेरणास्रोत थे, विजनरी थे। उन्होंने राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के […] Read more » मिसाइलमैन
धर्म-अध्यात्म सबके लिये जीने का सुख? July 15, 2015 / July 15, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग खुशी एवं मुस्कान जीवन की एक सार्थक दिशा है। हर मनुष्य चाहता है कि वह सदा मुस्कुराता रहे और मुस्कुराहट ही उसकी पहचान हो। क्योंकि एक खूबसूरत चेहरे से मुस्कुराता चेहरा अधिक मायने रखता है, लेकिन इसके लिए आंतरिक खुशी जरूरी है। जीवन में जितनी खुशी का महत्व है, उतना ही यह महत्वपूर्ण […] Read more » सबके लिये जीने का सुख?
राजनीति सांसदों के वेतन की तटस्थ समीक्षा जरूरी July 6, 2015 | Leave a Comment ललित गर्ग सांसदों के वेतन और भत्तों के लिये बनी संसदीय समिति ने जो सिफारिशें की हैं, उन्हें सरकार ने पूरी तरह मानने से इन्कार कर दिया। इन सिफारिशों के अनुसार सांसदों का वेतन एवं भत्तों की राशि लगभग डबल होने जा रही थी। भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने लम्बी […] Read more » सांसदों के वेतन
जरूर पढ़ें रूको, भीतर झांको और जीवन को बदलो- यही हो योग दिवस का उद्घोष June 18, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत भूमि अनादिकाल से योग भूमि के रूप में विख्यात रही है। यहां का कण-कण, अणु-अणु न जाने कितने योगियों की योग-साधना से आप्लावित हुआ है। तपस्वियों की गहन तपस्या के परमाणुओं से अभिषिक्त यह माटी धन्य है और धन्य है यहां की हवाएं, जो साधना के शिखर पुरुषों की साक्षी हैं। इसी […] Read more » Featured जीवन भीतर झांको और जीवन को बदलो- यही हो योग दिवस का उद्घोष योग रूको
चिंतन समस्याओं का मूल कहां है ? June 17, 2015 / June 17, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- हर मनुष्य सफल होना चाहता है और सफलता के लिये जरूरी है समस्याओं से संघर्ष। समस्याओं रूपी चुनौतियों का सामना करने, उन्हें सुलझाने में जीवन का उसका अपना अर्थ छिपा हुआ है। समस्याएं तो एक दुधारी तलवार होती है, वे हमारे साहस, हमारी बुद्धिमता को ललकारती है और दूसरे शब्दों में वे हममें […] Read more » Featured जिंदगी जीवन परेशानी बुद्धि समस्याओं का मूल कहां है ? समाधान हल
चिंतन वैष्णव जन तो तैने कहिये, जे पीर पराई जाने रे June 4, 2015 / June 4, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? यह तय होना जरूरी है, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे-जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है-जिंदगी […] Read more » Featured इंसान जिंदगी जीवन जे पीर पराई जाने रे मनुष्य वैष्णव जन तो तैने कहिये
धर्म-अध्यात्म मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश June 2, 2015 / June 2, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग – भारतीय संस्कृति में विविध मांगलिक प्रतीकों का विशिष्ट महत्व है। विशेषतः हिन्दू धर्म में इन मांगलिक प्रतीकों का बहुत प्रचलन है। हर मांगलिक कार्य चाहे नया व्यापार, नववर्ष का आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान, विवाह, जन्म संस्कार आदि सभी में इन मांगलिक प्रतीकों का उपयोग होता है, इनके बिना कोई […] Read more » Featured कलश मांगलिकता एवं समृद्धि का प्रतीक है कलश
विविधा भ्रष्टाचार का गरलः निजात नहीं सरल May 29, 2015 / May 29, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- चाणक्य ने कहा था कि जिस तरह अपनी जिह्ना पर रखे शहद या हलाहल को न चखना असंभव है, उसी प्रकार सरकारी कोष से संबंधित व्यक्ति राजा के धन का उपयोग न करे, यह भी असंभव है। जिस प्रकार पानी के अन्दर मछली पानी पी रही है या नहीं, जानना कठिन है, उसी […] Read more » Featured भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का गरलःनिजात नहीं सरल महंगाई
धर्म-अध्यात्म मां गायत्री है वेदों की जननी May 29, 2015 / May 29, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत भूमि की यह विशेषता है कि यह भूमि कभी भी संतों, महापुरुषों, देवज्ञों, विद्वानों से खाली नहीं हुई, रिक्त नहीं हुई। स्वामी विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, टैगोर और गांधी सरीखे महापुरुष हमारे आदर्श रहे हैं। उनके कर्म अनुकरणीय हैं। उन्होंने क्या हमारा मार्गदर्शन नहीं किया ? सत्य और अहिंसा का पाठ […] Read more » Featured मां गायत्री मां गायत्री है वेदों की जननी वेद
परिचर्चा स्वयं से रू-ब-रू होने का लक्ष्य बनाएं May 29, 2015 | Leave a Comment – ललित गर्ग – जीवन में व्यक्ति और समाज दोनों अपना विशेष अर्थ रखते हैं। व्यक्ति समाज से जुड़कर जीता है, इसलिए समाज की आंखों से वह अपने आप को देखता है। साथ ही उसमें यह विवेक बोध भी जागृत रहता है ‘मैं जो भी हूं, जैसा हूं’ इसका मैं स्वयं जिम्मेदार हूं। उसके अच्छे […] Read more » Featured जीवन लक्ष्य स्वयं से रूबरू होने का लक्ष्य बनाएं
चिंतन मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने May 21, 2015 | Leave a Comment -ललित गर्ग- मानव धर्म का हार्द है मनुष्य का मनुष्य के प्रति तादात्म्य भाव, एक-दूसरे के प्रति संवेदनशीलता और नैतिक एवं चारित्रिक उज्ज्वलता। जो धर्म मनुष्य को दुर्गति, हीनता और चारित्रिक भ्रष्टता से मुक्त करता है, जो हर इंसान की आत्मा को तेजोदीप्त बनाता है, हर हृदय को परदुःखकातर और संवेदनशील बनाता है, उसे मानव […] Read more » Featured जिंदगी मनुष्य मनुष्य की वास्तविक पहचान के मायने