कविता पागल लड़की April 12, 2021 / April 12, 2021 | Leave a Comment तुम चीजों कोढूंढ़ने के लिए रोशनी काइस्तेमाल करती होऔर वो गाँव की पागल लड़कीचिट्ठी कावो लिपती हैनीले आसमान कोऔर बिछा लेती हैधूप को जमीन पर वो अक्सर चाँद को सजा देती हैरात भर जागने कीवो बनावटी मुस्कान लिए,नाचती हैजब धानुक बजा रहे होते है मृदंग वो निकालती है कुतिया का दूधइतनी शांति से की बुद्ध […] Read more » पागल लड़की
कविता वो उतना ही पढ़ना जानती थी? April 12, 2021 / April 12, 2021 | Leave a Comment वो उतना ही पढ़ना जानती थी?जितना अपना नाम लिख सकेस्कूल उसको मजदूरो के कामकरने की जगह लगती थी!जहां वे माचिस की डिब्बियोंकी तरह बनाते थे कमरे,तीलियों से उतनी ही बड़ी खिड़कियांजितनी जहां से कोईजरुरत से ज्यादा साँस न ले सके!पता नहीं क्यों?एक खाली जगह और छोड़ी गयी थी!जिसका कोई उद्देश्य नहीं,इसलिए उसका उपयोगहम अंदर बहार […] Read more » वो उतना ही पढ़ना जानती थी?
कविता कलाइयों पर ज़ोर देकर ? April 11, 2021 / April 11, 2021 | Leave a Comment लोगइतने सारे लोगजैसे लगा होलोगो का बाजारजहां ख़रीदे और बेचेजाते है लोगकुछ बेबस,कुछ लाचारलेकिन सब हैहिंसक, जो चीखना चाहते हैज़ोर से, लेकिनभींच लेते है अपनीमुट्ठियां कलाइयों पर ज़ोर देकरताकि कोईदेख न सकेबस मेहसूस कर सकेहिंसा कोजो चल रही हैलोगो कीलोगो के बीच, मेंलोगो से? एक हिंसा तय हैलोगो के बीचजो खत्म कर रही हैकिसी तंत्र […] Read more » कलाइयों पर ज़ोर देकर ?
कविता हे राम… April 11, 2021 / April 11, 2021 | Leave a Comment राम तुम वन में रहो!राम तुम कौशल्या की कोख़ में रहो!राम तुम पिता के स्वभिमान में रहो!राम तुम सीता के तन-मन में रहो!राम तुम लक्ष्मण के अभिमान में रहो!राम तुम हनुमान के हृदय में रहो!राम तुम रावण के प्रतिशोध में रहो!राम तुम वानरो के दल में रहो!हे राम तुम “रामायण” में रहो!हे राम तुम “राम […] Read more » हे राम
कविता डॉक्टर और साहित्यकार April 9, 2021 / April 9, 2021 | 1 Comment on डॉक्टर और साहित्यकार सब बीमारियांअलसा कर बूढी हो गयी हैसब दवाईयाँ स्वर्ग चली गयी हैऔरकुछ डॉक्टरसाहित्यकार बन गए हैवो बीमारियों की किताब से चुराते हैअलंकारिक शब्दऔरमरी हुई कविता का करते हैपोस्टमार्टमऔर अपने शब्दों का भूसाभर कर के रिपोर्ट बना देते है औरकुछ साहित्यकारडॉक्टर बन गए हैजो अपनी प्रेम कविताओं से करते हैमौत का इलाजजरुरत के हिसाब से शरीर […] Read more » Doctor and litterateur डॉक्टर और साहित्यकार
कविता मानव सभ्यताएं April 9, 2021 / April 9, 2021 | Leave a Comment उसकी आँखे खुली थी या बंदये कह पाना मुश्किल सा ही थाक्योकि उसकी आँखो के बाहरबड़ी बड़ी तख्तियां लटक रही थीजिस पर लिखा था मानव सभ्यताएंउसकी नाक के नथुने इतने बड़े थेकी पूरी पृथ्वी समां जायेउसका मुँह ऐसा थाजैसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की सभ्यताओंको यही से निगला गया होआप उसकी गर्दन को लम्बा कहेंगेतो आपको नर्क […] Read more » मानव सभ्यताएं
कविता मॉब लिंचिंग में मारी गयी पहली औरत April 8, 2021 / April 8, 2021 | 2 Comments on मॉब लिंचिंग में मारी गयी पहली औरत वो तो बस यू ही खड़ी थीवो न हिन्दू थी न मुसलमानऔर न ही किसी और समाज सेवो तो बस एक औरत थीजो खड़ी थीवो न तो कुछ चुरा कर भाग रही थीऔर न ही कुछ छिपा करवो तो बस अपने सपनों कोजगा कर भाग रही थीवो न तो अपने पसंद केमर्द के साथ भाग […] Read more » First woman killed in mob lynching मॉब लिंचिंग में मारी गयी पहली औरत