मॉब लिंचिंग में मारी गयी पहली औरत

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वो तो बस यू ही खड़ी थी
वो न हिन्दू थी न मुसलमान
और न ही किसी और समाज से
वो तो बस एक औरत थी
जो खड़ी थी
वो न तो कुछ चुरा कर भाग रही थी
और न ही कुछ छिपा कर
वो तो बस अपने सपनों को
जगा कर भाग रही थी
वो न तो अपने पसंद के
मर्द के साथ भाग रही थी
न ही उसके पास कोई गौ माँस था
या उसके जैसा कुछ और
उसके जिस्म पर भी
आम बोल चाल वाली
औरतो की तरह ही कपड़े थे
न तो वो सबरीमाला में
घुसने की कोशिश कर रही थी
न ही बुर्क़ा पहनने से इंकार
वो तो बस यू ही खड़ी थी
फिर भी भीड़ ने
मॉब लिंचिंग में उसे मार दिया

एक भीड़ का झुण्ड
रैला बना आ रहा था
जिसमे टोपी और चोटी
वाले दोनों थे
और चीख कर बोल रहे थे
ऐसा नहीं होने देंगे
वहाँ कई सारे लोग
खड़े होकर देख रहे थे
कुछ ने अपनी आत्माएं
अपनी जेब में रख ली
तो कुछ ने अपनी आत्माएं
सुनार को गिरवी रख दी

प्रशासन ने पूछा
तुम अपनी आत्मा के साथ
खुले मे घूम रहे थे
साहब मेरी आत्मा
तो मेरी जेब में ही थी
पर भीड़ ने बताया
उस वक़्त तुम्हारी आत्मा
तुम्हारी जेब से झाँक रही थी
क्या तुम?
उस औरत को जानते थे
नहीं साहब
तुमने किसी को कुछ बोलते
देखा या सुना
नहीं साहब
बस महसूस किया
पर पता नहीं क्यों साहब
जब उस औरत को याद करता हूँ
तो वो कभी माँ जैसी दिखती है
तो कभी पत्नी जैसी
कभी बहन तो कभी बेटी जैसी
पर मैं उसे नहीं जानता
वो तो बस यू ही खड़ी थी

वो महसूस करा रहे थे
ऐसा नहीं होने देंगे
ऐसा नहीं होने देंगे
और मैं उस भीड़ के झुण्ड
में शामिल हो गया
अच्छा ठीक है
हम लोकतंत्र में रहते है
सख्त कार्यवाही होगी
उस खड़ी औरत के खिलाफ
क्या कोई बता सकता है
क्या वो किसी कानून या हिंसा
के ख़िलाफ खड़ी थी
नहीं साहब
पता नहीं
ठीक है तो रिपोर्ट में लिखो
वो औरत खड़ी थी
अपने पसंद के मुसलमान मर्द
के इंतज़ार में गौ मांस लिए
और भाग जाना चाहती थी
निकाह करने के लिए
किसी अदृश्य शक्ति ने
आकर उसे मार दिया

नहीं साहब
ऐसा नहीं था
वो भीड़ थी
सभी के चेहरों पर मुखोटे थे
सभी के मुखौटो से खून टपक रह था
और बोल रहे थे
ऐसा नहीं होने देंगे
क्या किसी ने उनके हाथों में
तेज धारदार हथियार देखा
नहीं साहब
लेकिन सभी की जुबान
किसी तेज धारदार हथियार से कम न थी
और वो बोल रहे थे
ऐसा नहीं होने देंगे

नहीं, नहीं ऐसा कुछ नहीं था
तुम्हारी आत्मा तो
उस वक़्त तुम्हारी जेब में थी
कही ऐसा तो नहीं साहब
वो मॉब लिंचिंग में मारी गयी
पहली औरत हो!

2 COMMENTS

  1. बहुत ही जरूरी कविता ‘मॉब लिंचिंग में मारी गई पहली औरत’ रोज कोई न कोई औरत हर घर में मारी जा रही है।

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