विविधा देहरादून के एक एटीएम का दृश्य और सामयिक चर्चायें November 18, 2016 | Leave a Comment हमें यह भी अनुभव हुआ कि हमारे जो भाई व बहिने देश भर में नोट बन्दी के बाद बैंक व एटीएम से पैसे निकालने में असुविधा अनुभव कर रहे हैं, उनकी असुविधा उचित होते हुए भी हमने टीवी पर उनके विचारों को सुना कि वह सभी न तो दुःखी हैं और न ही सरकार के फैसले से कुपित ही हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश व सभी लोग सरकार के निर्णय को सराह रहे हैं। आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद, कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी, हवाला आदि पर अंकुश लगने विषयक सामने आये परिणामों ने सरकार के निर्णय को सही सिद्ध किया है। Read more » देहरादून देहरादून के एक एटीएम का दृश्य
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य और उनके अनुसार मनुष्य का कर्तव्य November 18, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व विख्यात ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ के अन्त में ‘स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश’ के अन्तर्गत अपने निजी मन्तव्यों का प्रकाश किया है। अपना निजी मन्तव्य बताते हुए वह लिखते हैं कि ‘मैं अपना मन्तव्य उसी को जानता हूं कि जो तीन काल में सबको एक सा मानने योग्य है। मेरा कोई नवीन […] Read more » ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के अनुसार मनुष्य का कर्तव्य ऋषि दयानन्द के दो मुख्य मन्तव्य
शख्सियत समाज अमर शहीद लाला लाजपत राय जी के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलिं November 18, 2016 / November 18, 2016 | Leave a Comment भारत का पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी इंश्योरेंस कम्पनी के संस्थापक भी लाला लाजपत राय जी ही हैं। आपने अपनी माता जी की स्मृति में एक अस्पताल भी स्थापित किया था जो विभाजन होने के कारण पाकिस्तान में चला गया। लाला जी में क्रान्ति के विचार उत्पन्न करने का श्रेय लाला साईंदास, ऋषि दयानन्द के सत्यार्थप्रकाश और आर्याभिविनय आदि ग्रन्थों को मुख्य है। वह आर्यसमाज को अपनी माता और ऋषि दयानन्द जी को अपना पिता मानते थे। Read more » Featured अमर शहीद लाला लाजपत राय जी बलिदान दिवस श्रद्धांजलि
समाज वर्ण पर आधारित जन्मना जाति व्यवस्था या मरण व्यवस्था November 18, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल तक वेदों का प्रचार प्रसार रहा और देश व भूमण्डल पर यत्र-तत्र ऋषियों के होने की सम्भावना भी प्रतीत होती है। महाभारत काल के बाद वैदिक धर्म व संस्कृति का सूर्य का प्रकाश कुछ कम हो गया जिसके परिणामस्वरुप, एक ओर जहां देश में अविद्या व अन्धविश्वासों का प्रसार हुआ […] Read more » जाति व्यवस्था मरण व्यवस्था वर्ण पर आधारित जन्मना वर्ण पर आधारित जन्मना जाति व्यवस्था वर्ण पर आधारित जन्मना मरण व्यवस्था
धर्म-अध्यात्म ‘जाने चले जाते हैं कहां दुनियां से जाने वाले’ का वैदिक समाधान November 17, 2016 | Leave a Comment जाने चले जाते हैं कहां? दुनियां से जाने वाले’ प्रश्न का उत्तर केवल वैदिक साहित्य में ही सुलभ होता है। ऐसा ही एक प्रश्न यह भी हो सकता है ‘जाने चले आते हैं कहांसे दुनियां में आने वाले।’ इन दो प्रश्नों में से एक प्रश्न का उत्तर मिल जाये तो दूसरे का उत्तर स्वतः मिल जायेगा। Read more »
विविधा शुभ व सत कर्म होने से मोदी जी का कालेधन पर प्रहार सफल होगा November 17, 2016 / November 17, 2016 | 4 Comments on शुभ व सत कर्म होने से मोदी जी का कालेधन पर प्रहार सफल होगा विश्व में लोकप्रिय एवं आदरणीय भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने ढाई वर्षों के स्वल्प शासन काल में ऐसे अनेक कार्य किये हैं जिनकी पूर्व व वर्तमान समय के किसी राजनेता से अपेक्षा नहीं की जा सकती थी। Read more » Featured कालेधन पर प्रहार कालेधन पर प्रहार सफल मोदी जी का कालेधन पर प्रहार
आर्थिकी विविधा प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का काले धन पर प्रहार और हमारा देश November 16, 2016 / November 16, 2016 | Leave a Comment मोदी जी के इस निर्णय के कारण पाकिस्तान में छपने वाली फेक करंसी का प्रचलन सर्वथा समाप्त हो जाने के कारण पाकिस्तान सहित सभी आतंकवादी, अलगाववादी, कश्मीर में सेना पर पत्थरों की वर्षा करने वाले लोग, नक्सलवादी, हवाला कारोबारी व जमीन की खरीद-फरोक्त जिसमें काले धन का अधिकाधिक प्रयोग होता है, का कारोबार पूरी तरह से ध्वस्त व समाप्त होकर रुक गया है जो मोदी जी की इस मुहिम की बहुत बड़ी सफलता है। Read more » Featured modi surgical strike on black money प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का काले धन पर प्रहार मोदी जी का काले धन पर प्रहार हमारा देश’
चिंतन धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य November 15, 2016 | Leave a Comment मनुष्य का जन्म माता-पिता व सृष्टिकर्ता ईश्वर के द्वारा होता है। ईश्वर द्वारा ही सृष्टि की रचना सहित माता-पिता व सन्तान का जन्म दिये जाने से ईश्वर प्रथम स्थान पर व माता-पिता उसके बाद आते हैं। आचार्य बालक व मनुष्य को संस्कारित कर विद्या व ज्ञान से आलोकित करते हैं। अतः अपने आचार्यों के प्रति भी मनुष्यों का कर्तव्य है कि वह अपने सभी आचार्यों के प्रति श्रद्धा का भाव रखंे और उनकी अधिक से अधिक सेवा व सहायता करें। Read more » पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य सभी मनुष्यों के करणीय पाचं सार्वभौमिक कर्तव्य
चिंतन धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के जीवन के अन्तिम प्रेरक शिक्षाप्रद क्षण November 15, 2016 | Leave a Comment स्वामी दयानन्द जी का जीवन आदर्श मनुष्य, महापुरुष व महात्मा का जीवन था। उन्होने अपने पुरुषार्थ से ऋषित्व प्राप्त किया और अपने अनुयायियों के ऋषित्व प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त किया। एक ऋषि का जीवन कैसा होता है और ऋषि की मृत्यु किस प्रकार होती है, ऋषि दयानन्द का जीवनचरित उसका प्रमाणिक दस्तावेज हैं जिसका अध्ययन व मनन कर सभी अपने जीवन व मृत्यु का तदनुकूल वरण व अनुकरण कर सकते हैं। हम आशा करते हैं कि पूर्व अध्ययन किये हुए ऋषि भक्तों को इसे पढ़कर मृत्यु वरण के संस्कार प्राप्त होंगे। इसी के साथ यह चर्चा समाप्त करते हैं। ओ३म् शम्। Read more » death of Swami dayanand Featured ऋषि दयानन्द ऋषि दयानन्द के भक्तों की प्रशंसा पुराणों की आलोचना पौराणिक छात्र को फटकार
समाज क्या वैदिक वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक है? November 6, 2016 | 1 Comment on क्या वैदिक वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक है? मनमोहन कुमार आर्य वैदिक वर्ण व्यवस्था क्या है? वैदिक वर्ण व्यवस्था वह सामाजिक व्यवस्था है जिसमे समाज के सभी मनुष्यों को उनके गुण, कर्म व स्वभाव के अनुसार चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र में वर्गीकृत किया गया है। यह व्यवस्था वर्तमान की जन्मना जाति व्यवस्था अर्थात् मनुष्य के जन्म पर आधारित व्यवस्था से […] Read more » Featured वर्णव्यवस्था वर्तमान युग में व्यावहारिक वैदिक वर्णव्यवस्था
धर्म-अध्यात्म आर्यसमाज के प्रति आकर्षित करने का अभिनव सफल प्रयोग November 3, 2016 / November 3, 2016 | Leave a Comment स्वामी श्रद्धानन्द जी का जालन्धर की सडको पर भजन गाकर लोगों को आर्यसमाज के प्रति आकर्षित करने का अभिनव सफल प्रयोग मनमोहन कुमार आर्य यह प्रेरणादायक घटना हम स्वामी श्रद्धानन्द जी की आत्म कथा ‘कल्याण मार्ग का पथिक’ से दे रहे हैं जिसे वयोवृद्ध मूर्धन्य आर्य विद्वान डा. भवानीलाल भारतीय जी ने ‘बिखरे मोती’ नाम […] Read more » स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म कुमारिल आचार्य द्वारा नास्तिक मतों के खण्डनार्थ स्वामी शंकाराचार्य जी के लिए सड़क बाधंना November 3, 2016 | Leave a Comment जो कार्य कुमारिल आचार्य और स्वामी शंकराचार्य जी ने अपने अपने समय में किया, लगभग वही और उससे भी कहीं अधिक कठिन व जटिल कार्य स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज बनाकर उन्नीसवीं शताब्दी में सफलतापूर्वक किया। संसार से अज्ञान व अविद्या हटा कर धर्म व संस्कृति को सत्य और विद्या की आधारशिला पर स्थापित करने का अपूर्व और महनीय कार्य उन्होंने किया है। Read more » कुमारिल आचार्य