विविधा आज के समय में सच्चे लक्षणों वाला गुरु मिलना कठिन व असम्भव July 19, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य भारत की धर्म व संस्कृति वेदों पर आधारित रही है। वेद सबसे पुराने होने से प्राचीनतम ज्ञान-विज्ञान व धर्म-कर्म के ग्रन्थ हैं। अन्य सभी ग्रन्थ कुछ प्राचीन व अधिकांश अर्वाचीन है। वेदों के बाद प्राचीनता की दृष्टि से 4 ब्राह्मण ग्रन्थों का स्थान है। इनके बाद मनुस्मृति, उपनिषद व दर्शन ग्रन्थों एवं […] Read more » Guru poornima सच्चे लक्षणों वाला गुरु मिलना कठिन व असम्भव
धर्म-अध्यात्म सूक्ष्म ईश्वर और जीवात्मा स्थूल आंखों से दिखाई क्यों नहीं देते?’ July 12, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम इस संसार के सभी स्थूल पदार्थों को अपनी आंखों से देखते हैं और उनकी रचना और उससे होने वाले लाभ व हानियों को विचार कर जानते हैं। आंखों से जो पदार्थ हम देखते हैं वह सृष्टि में स्थूल हुआ करते हैं। अनेक सूक्ष्म पदार्थों को आंखें देख नहीं पाती। जल को […] Read more » why dont we see god with naked eyes ईश्वर जीवात्मा सूक्ष्म स्थूल आंखों से दिखाई
शख्सियत समाज ‘सामवदेभाष्यकार आचार्य रामनाथ वेदालंकार का महान व्यक्तित्व’ July 7, 2016 | Leave a Comment आज 102 वी जयन्ती पर -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द की वैदिक विद्वानों की शिष्य मण्डली में आचार्य रामनाथ वेदालंकार जी का मुख्य स्थान है। अपने पिता की प्रेरणा से गुरुकुल कागड़ी, हरिद्वार में शिक्षा पाकर और वहीं एक उपाध्याय व प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवायें देकर तथा अध्ययन, अध्यापन, वेदों पर चिन्तन व […] Read more » आचार्य रामनाथ वेदालंकार सामवदेभाष्यकार आचार्य रामनाथ वेदालंकार
धर्म-अध्यात्म स्वामी शंकराचार्य जी का चिन्तन और राष्ट्रीय दार्शनिक सम्मान July 7, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य परोपकारी मासिक पत्र के विद्वान सम्पादक डा. धर्मवीर जी ने पत्रिका के जुलाई, 2016 अंक में अपने सम्पादकीय में केन्द्रीय संस्कृति राज्य मन्त्री श्री महेश शर्मा के उस बयान पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार संघ के विचारक श्री परमेश्वरन द्वारा स्थापित एन.जी.ओ. संस्था के स्वामी […] Read more » राष्ट्रीय दार्शनिक सम्मान स्वामी शंकराचार्य जी का चिन्तन
धर्म-अध्यात्म परम दयालु, कृपालु और हमारा हितैषी परमेश्वर July 5, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यदि हम यह विचार करें कि संसार में हमारे प्रति सर्वाधिक प्रेम, दया, सहानुभूति कौन रखता है, कौन हमारे प्रति सर्वाधिक सम्वेदनशील, हमारे सुख में सुखी व दुःखी में दुखी, हमारे प्रति दया, कृपा व हित की कामना करने वाला है, तो हम इसके उत्तर में अपने माता-पिता, आचार्य और परमेश्वर को […] Read more » कृपालु परमेश्वर दयालु परमेश्वर हमारा हितैषी परमेश्वर
धर्म-अध्यात्म क्या हम अपने पूर्व जन्म को जान सकते हैं’ July 5, 2016 | 2 Comments on क्या हम अपने पूर्व जन्म को जान सकते हैं’ मनमोहन कुमार आर्य क्या हमें यह पता चल सकता है कि पिछले जन्म में हम क्या थे? इसका उत्तर यह है कि सामान्य श्रेणी हम मनुष्यों को इस प्रश्न का पूर्ण व स्पष्ट उत्तर ज्ञात नहीं हो सकता परन्तु यदि हम ऋषि पतंजलि के योग दर्शन के अनुसार योग को पूर्णतया अपने जीवन में धारण […] Read more » पूर्व जन्म
चिंतन धर्म-अध्यात्म ईश्वर और जीवात्मा का परस्पर सम्बन्ध July 4, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम अनुभव करते हैं कि यह विषय मनुष्यों के विचार करने व जानने हेतु उत्तम विषय है। यह तो हम जानते ही हैं कि ईश्वर इस सृष्टि का कर्ता व रचयिता है व इसका तथा प्राणी जगत का पालन करता है। यह भी जानते हैं कि जब इस सृष्टि की अवधि पूरी […] Read more » ईश्वर और जीवात्मा ईश्वर और जीवात्मा का परस्पर सम्बन्ध
धर्म-अध्यात्म जन्म से पूर्व अतीत व भविष्य से अनभिज्ञ मनुष्य को केवल ईश्वर का ही आधार July 2, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार की सत्तायें हैं, एक चेतन व दूसरी जड़। यह समस्त सृष्टि जिसमें हमारा सौर्य मण्डल सहित असंख्य ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र व आकाश गंगायें आदि रचनायें विद्यमान हैं, वह सभी जड़ सत्ता ‘प्रकृति’ के विकार से बनी है। सृष्टिगत सभी जड़ पदार्थ त्रिगुणात्मक सत्व, रज व तम गुणों वाली […] Read more » ईश्वर
समाज वेदाज्ञा के अनुसार पारिवारिक व्यवहार का स्वरूप July 1, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य चार वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तकें हैं। यह पुस्तकें मनुष्यों द्वारा रचित व लिखित न होकर अपौरुषेय हैं। इन ग्रन्थों में निहित ज्ञान को मनुष्यों को देने वाला परम पिता परमेश्वर ही है। सृष्टि के आरम्भ में ईश्वर ने अपने पुत्र व पुत्रियों के तुल्य जीवों पर दया कर उन्हें कर्तव्याकर्तव्य […] Read more » पारिवारिक व्यवहार का स्वरूप
समाज वैदिक परिवार सुखी व श्रेष्ठ परिवार July 1, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आदर्श परिवार और सन्तान सृष्टि के आरम्भ से ही मनुष्य समाज की प्राथमिक आवश्यकता रही है। हमें लगता है कि ईश्वर ने वेदों का जो ज्ञान दिया है उसमें इस बात को भी ध्यान रखा गया है और इसके सभी समाधान वेद में निहित है, ऐसा मानने के पर्याप्त आधार हैं। सभी […] Read more » वैदिक परिवार सुखी व श्रेष्ठ परिवार
धर्म-अध्यात्म संस्कार विधि में ऋषि दयानन्द के कुछ मन्तव्यों पर पं. युधिष्ठिर मीमांसक जी के विचार July 1, 2016 / July 1, 2016 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द सरस्वती ने आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई में की थी। 41 वर्ष पूर्व दिसम्बर, सन् 1975 में आर्यसमाज की स्थापना शताब्दी दिल्ली के रामलीला मैदान में एक भव्य समारोह आयोजित कर मनाई गई थी जिसमें हमने भी अपने युवा मित्रों एवं स्थानीय समाज के लोगों के […] Read more » संस्कार विधि संस्कार विधि में ऋषि दयानन्द के कुछ मन्तव्य
धर्म-अध्यात्म जनवरी, 1877 का अंग्रेजों का दिल्ली दरबार और महर्षि दयानन्द June 27, 2016 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द के जीवन में दिल्ली दरबार की घटना का विशेष महत्व है। इस दिल्ली दरबार के अवसर पर महर्षि दयानन्द ने वहां अपना एक शिविर लगाया था और दरबार में पधारे कुछ विशेष व्यक्तियों को पत्र लिखकर अपने शिविर में आमंत्रित किया था जिससे देश व मनुष्योन्नति की योजना पर विचार […] Read more » अंग्रेजों का दिल्ली दरबार महर्षि दयानन्द