कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ईश्वर में निहित वेदों का ज्ञान आदि सृष्टि में ईश्वर से ऋषियों को मिला May 31, 2022 / May 31, 2022 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्यवेद ज्ञान को कहते हैं। वेद इस सृष्टि के आदि काल में प्राप्त ज्ञान हैं। यह संहिता रूप में है जो आज भी उपलब्ध हैं। अनुमान है कि चार वेदों के हिन्दी भाष्य प्रायः सभी सक्रिय आर्य समाज के सदस्यों के पास उपलब्ध हैं। प्रश्न है कि वेदों के ज्ञान को किसने कब […] Read more » The sages got the knowledge of the Vedas contained in God etc. from God in the creation.
धर्म-अध्यात्म लेख मनुष्य की सम्पूर्ण उन्नति का आधार अविद्या नाश और विद्या की वृद्धि May 31, 2022 / May 31, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य के जीवन के दो यथार्थ हैं पहला कि उसका जन्म हुआ है और दूसरा कि उसकी मृत्यु अवश्य होगी। मनुष्य को जन्म कौन देता है? इसका सरल उत्तर यह है कि माता-पिता मनुष्य को जन्म देते हैं। यह उत्तर सत्य है परन्तु अपूर्ण भी है। माता-पिता तभी जन्म देते हैं जबकि ईश्वर […] Read more » The basis of all human progress is the destruction of ignorance and the growth of knowledge. मनुष्य की सम्पूर्ण उन्नति का आधार अविद्या नाश और विद्या की वृद्धि
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म संस्कृत वांग्मय का ह्रास May 29, 2022 / May 29, 2022 | Leave a Comment -आचार्य चतुरसेन गुप्त जी की पुस्तक से--मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।आर्यसमाज के विद्वान कीर्तिशेष आचार्य चतुरसेन गुप्त जी ने कई वर्ष पूर्व एक पुस्तक ‘महान् आर्य हिन्दू-जति विनाश के मार्ग पर’ पर लिखी थी। इस पुस्तक का एक संस्करण 17 वर्ष पूर्व सम्वत् 2062 (सनू् 2005) में श्री घूडमल प्रहलादकुमार आर्य धर्मार्थ ट्रस्ट, हिण्डोन सिटी से […] Read more » decline of sanskrit language संस्कृत वांग्मय का ह्रास
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ईश्वर हमारा सबसे अधिक हितैषी एवं जन्म-जन्मान्तर का साथी है May 24, 2022 / May 24, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम इस बने बनाये संसार में रहते हैं। हमें मित्रों, हितैशियों, सहयोगियों व सुख-दुःख बांटने वालें सज्जन व संस्कारित मनुष्यों की आवश्यकता पड़ती है। हमारे परिवार के लोग हमारे सहयोगी रहते हैं। कुछ यदा-कदा विरोधी भी हो सकते हैं व हो जाते हैं। हमारे माता-पिता, पत्नी एवं बच्चे प्रायः सहयोगी रहते ही हैं। […] Read more » God is our most benevolent and life-long companion ईश्वर हमारा सबसे अधिक हितैषी एवं जन्म-जन्मान्तर का साथी है
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वेदों का आविर्भाव कब, कैसे व क्यों हुआ? May 20, 2022 / May 20, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।संसार में जितने भी पदार्थ है उनकी उत्पत्ति होती है और उत्पत्ति में कुछ मूल कारण व पदार्थ होते हैं जो अनुत्पन्न वा नित्य होते हैं। इन मूल पदार्थों की उत्पत्ति नहीं होती, वह सदा से विद्यमान रहते हैं। उदाहरण के लिए देखें कि हम चाय पीते हैं तो यह पानी, दुग्ध, […] Read more » when how and why did the Vedas appear?
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म ईश्वरोपासना अर्थात् सन्ध्या क्यों करें? May 15, 2022 / May 15, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यसन्ध्या भली भांति ईश्वर का ध्यान करने को कहते हैं। यही ईश्वर की पूजा कहलाती है। इससे भिन्न प्रकार से यदि ईश्वर की पूजा आदि करते हैं तो जो लाभ ईश्वर के सत्यस्वरूप का ध्यान व चिन्तन करने से मिलता है, वह अन्य प्रकार से या तो मिलता नहीं या बहुत कम मिलता […] Read more » Ishwaropasana i.e. Sandhya? ईश्वरोपासना सन्ध्या क्यों करें
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म की दृष्टि में सभी प्राणी समान हैं May 11, 2022 / May 11, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यआर्यसमाज की शिरोमणि सभा सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के लगभग चार दशक पूर्व मंत्री रहे श्री ओम्प्रकाश पुरुषार्थी जी ने एक लघु पुस्तक ‘आर्यसमाज और अस्पर्शयता निवारण’ (कार्य प्रणाली और सफलतायें) लिखी है। इस पुस्तक के द्वितीय संस्करण का प्रकाशन सन् 1987 में हुआ था। पुस्तक की भूमिका सभा के तत्कालीन प्रधान […] Read more » All beings are equal in the view of Vedic religion वैदिक धर्म की दृष्टि में सभी प्राणी समान
लेख स्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि होती है May 5, 2022 / May 5, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य शरीर में एकदेशी, अल्प परिमाण, सूक्ष्म व चेतन आत्मा का निवास होता है। चेतन पदार्थ का गुण-धर्म ज्ञान प्राप्ति व ज्ञानानुरूप कर्मों को करके अपनी उन्नति करना होता है। जीवात्मा व मनुष्य पर यह बात लागू होती है। संसार में जीवात्माओं से भिन्न एक परम सत्ता ईश्वर की भी है जो सत्य, […] Read more » स्वाध्याय से लाभ
कला-संस्कृति महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ के व्यक्तित्व विषयक कुछ संस्मरण May 1, 2022 / May 1, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमहात्मा दयानन्द वानप्रस्थ (जन्म 18-1-1912 मृत्यु 20-1-1989) वैदिक धर्म, ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज के निष्ठावान अनुयायी एवं वेद, यज्ञ एवं साधना के प्रचारक थे। उनका जीवन धर्म, संस्कृति के प्रचार एवं यज्ञ-योग-साधना को समर्पित था। उन्होंने वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के द्वारा देश के विभिन्न भागों में जाकर यज्ञ एवं योग आदि […] Read more » Some memoirs about the personality of Mahatma Dayanand Vanprastha
कला-संस्कृति मनुष्य जीवन की उन्नति में पालन करने योग्य कुछ आवश्यक कर्तव्य May 1, 2022 / May 1, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम मनुष्य कहलाते हैं। इसका कारण यह है कि परमात्मा ने हमें सत्य व असत्य का विचार करने के लिए बुद्धि दी है। परमात्मा ने ही मनुष्येतर सभी प्राणियों को बनाया है परन्तु उनको मनुष्यों जैसी सत्यासत्य का विवेचन करने वाली बुद्धि नहीं दी है। वह सत्य व असत्य का विचार नहीं कर […] Read more »
कला-संस्कृति आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है April 22, 2022 / April 22, 2022 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यहम अपने पूर्वजन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि (कर्म करने व फल भोगने […] Read more » The holding of Aryatva makes a man a superior and successful human being.
लेख शख्सियत साक्षात्कार देश, धर्म और संस्कृति को समर्पित जीवनदानी महात्मा हंसराज April 20, 2022 / April 20, 2022 | Leave a Comment महात्मा हंसराज की 158वी जयन्ती 19 अप्रैल पर--मनमोहन कुमार आर्यलगभग 5,100 वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध की समाप्ति से देश का पतन आरम्भ हुआ व लगातार चलता रहा। इस प्रकार चलते चलते उन्नीसवीं शताब्दी का सन् 1825 आ गया जब गुजरात प्रदेश के मोरवी राज्य के टंकारा नामक ग्राम में पं. करषन जी तिवारी के यहां […] Read more » महात्मा हंसराज