समाज कट्टरता का हल और अधिक कट्टरता ? July 29, 2017 | Leave a Comment सन 2014 में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार बनने के बाद यूनिफार्म सिविल कोड, तीन तलाक और मदरसों पर नियंत्रण जैसे मुद्दे विवादित रूप से विमर्श में बने हुए हैं। धार्मिक आक्रामकता में वृद्धि हुई है। भीड़ के धार्मिक और जातीय व्यवहार की उग्रता ने मासूमों को मृत्यु के मुख में धकेला है। […] Read more » Featured इस्लाम और मुस्लिम समुदाय विश्व के लिए बड़ा खतरा कश्मीर में सामूहिक हिंसात्मक पत्थरबाजी ट्रिपल तलाक ट्रिपल तलाक का समर्थन यूनिफार्म सिविल कोड यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध
विविधा डॉक्टर्स डे: कठिन है चुनौती June 29, 2017 | Leave a Comment भारत रत्न डॉ बिधान चंद्र रॉय के जन्म एवं निर्वाण दिवस 1 जुलाई को मनाए जाने वाले डॉक्टर्स डे के अवसर पर एक चर्चित प्रसंग याद आ रहा है,संभवतः सन 1933 में मई माह में जब हरिजनों के हितों की रक्षा के लिए महात्मा गाँधी पूना में 21 दिन के उपवास पर थे,उनकी अवस्था चिंताजनक […] Read more » Featured डॉक्टर्स डे
जन-जागरण समाज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस June 19, 2017 / June 19, 2017 | Leave a Comment पतंजलि और उसके संस्थापक श्री रामदेव की जीवनी आज के युवाओं को और प्रेरणास्पद तथा निर्विवाद लगती यदि वे स्टीव जॉब्स या मार्क जुकरबर्ग या रतन टाटा और मुकेश अंबानी जैसे कॉर्पोरेट लीडर होते। एक अतिसामान्य किसान परिवार के युवक का सामान्य आर्थिक-शैक्षिक पृष्ठभूमि को पीछे छोड़कर शिखर पर पहुंचना और उसका बहादुरी से स्वीकारना कि ब्रांडिंग और पैकेजिंग के इस युग में उसने योग की उपयुक्त ब्रांडिंग-पैकेजिंग द्वारा उक्त सफलताएँ प्राप्त की हैं, व्यक्तित्व विकास की पाठ्य पुस्तकों में स्थान पाने योग्य है। Read more » Featured अंतराष्ट्रीय योग दिवस
समाज परपीड़क पुरुष समाज और नारीवादी विमर्श June 13, 2017 | Leave a Comment अमेज़न का यह प्रोडक्ट गहरे दार्शनिक प्रश्नों को छेड़ता है- क्या नारी की मुक्ति जेंडर इक्वलिटी में निहित है? क्या नर और नारी एक समान का नारा सही है? क्या यूनिसेक्स वस्त्र पहनकर, न्यूडिस्ट क्लब ज्वाइन कर अनेक पुरुषों को अपनी मर्जी के अनुसार सेक्स करने के हेतु बाध्य कर नारी अपनी मुक्ति पा सकती है? क्या यह पुरुषवादी पितृसत्तात्मक समाज द्वारा फैलाया गया भ्रम है कि नारी शारीरिक रूप से पुरुष से कमजोर होती है, Read more » Featured नारीवादी नारीवादी विमर्श परपीड़क पुरुष समाज
विविधा किसान आंदोलन: अंततः विमर्श में रक्त और रोटी June 9, 2017 / June 9, 2017 | Leave a Comment डॉ राजू पाण्डेय किसान आंदोलन का हिंसक हो जाना उसे सुर्खियां दे गया। इसलिए नहीं कि हम इस हिंसा से आहत हैं या पुलिस कार्रवाई में हुई किसानों की मौत को लेकर हममें गुस्सा है। बल्कि इसलिए कि हिंसा की आंच अब राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए सम्यक तापमान पर पहुँच गई है। दोषारोपण का […] Read more » farmer agitation किसान आंदोलन
राजनीति प्रबंधन कौशल के तीन वर्ष May 24, 2017 / May 24, 2017 | Leave a Comment अनेक अनोखे तर्क विमर्श में हैं जिनमें एक यह भी है कि अविवाहित और परिवार त्यागी व्यक्ति आखिर किस लिए भ्रष्टाचार करेंगे। अथवा देश में पहली बार हिन्दू धर्म की विजय पताका फहराने वाला सशक्त नेता सत्ता में है,उसका विरोध किया तो आजीवन बहुसंख्यक होने के बावजूद अल्पसंख्यक की भांति रहना होगा। नोट बंदी और डिजिटल इकॉनॉमी आम नागरिक के लिए भ्रष्टाचार के अवसर कम करने के उपाय हैं किंतु नॉन परफार्मिंग एसेट्स की रीस्ट्रक्चरिंग तो वह अनूठी सूझ है जो कॉर्पोरेट्स की सहूलियत के लिए गढ़ी गई है। Read more » Featured राष्ट्रवादी शासकीय नियंत्रण सांस्कृतिक राष्ट्रवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा