ओंकारेश्वर पांडेय

ओंकारेश्वर पांडेय

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Editor in Chief, New Observer Post, National Daily (English & Hindi)

लेखक - ओंकारेश्वर पांडेय - के पोस्ट :

विश्ववार्ता

मोदी की श्रीलंका यात्रा -कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

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प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के साथ सांस्कृतिक संबंधों को आधार बनाकर रिश्ते सुधारने की शानदार पहल की है। श्रीलंकाई लोग बहुतायत से जिस बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, उसके प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का जन्मस्थान भारत है। बौद्ध धर्म के संदेश के जरिए मोदी ने तमिल राजनीति की गंदगी से दोनों देशों के बीच के संबंधों को दूर ले जाकर सांस्कृतिक एकता के दायरे में ले आने की कोशिश की है। दोनों देशों के बीच धार्मिक व सांस्कृतिक एकता बढ़ने से न सिर्फ दोनों देशों के बीच 2500 वर्ष से चले आ रहे संबंधों में फिर से गर्मी आएगी, बल्कि भारत खुद को एक ऐसी सौहार्द्रपूर्ण शक्ति के रूप में पेश कर सकता है, जिसे श्रीलंका के सिर्फ विकास और कल्याण में दिलचस्पी है।

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विविधा

तभी सबसे आगे होंगे हिदुस्तानी

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पिछले दिनों जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम की समीक्षा करने के कार्यकारी आदेश पर दस्तखत किये, तो इससे भारतीय आईटी कंपनियों में कोई खास अफरातफरी नहीं मची. उसका एक कारण ये भी है कि फिलहाल नियम जस के तस हैं. लेकिन यह भी सच है ही कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की तरह ट्रंप की बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकननीति का भविष्य में भारतीयों के लिए अमेरिका में शिक्षा और रोजगार के अवसर काफी कम कर सकती है.

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विश्ववार्ता

बात मुद्दे की करो, बकवास न करो चीन

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चीनी सरकार के साथ चीन की मीडिया का भारत के प्रति रुख लगातार धमकाने वाला है, जिससे भारत कतई नहीं डरने वाला। हाल ही में चीन के सरकारी मीडिया ने बीजिंग द्वारा अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों का नाम रखने पर भारत की प्रतिक्रिया को 'बेतुका' कहकर खारिज करते हुए चेताया कि अगर भारत ने दलाई लामा का 'तुच्छ खेल' खेलना जारी रखा तो उसे 'बहुत भारी' कीमत चुकानी होगी। दलाई लामा की अरूणाचल यात्रा से बौखलाये चीन ने इन छह स्थानों के ‘मानकीकृत’ आधिकारिक नामों की घोषणा कर पहले से जटिल चल रही स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है।

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विश्ववार्ता

भारत-नेपाल रिश्तों के कबाब में हड्डी बनता चीन

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आज भी नेपाल में चीन का सालाना निवेश और व्यापार सबसे बड़ा है। वह नेपाल की सेना को प्रशिक्षण तो देता ही है साथ ही युद्ध सामग्री भी मुहैया कराता है। चीन के राष्ट्रपति भले ही नेपाल नहीं गए हों लेकिन चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की पोलिटब्यूरो के कई सदस्य नेपाल आ चुके हैं। इस संदर्भ में नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी की यात्रा में देखना है कि क्या उनकी इस यात्रा में कुछ संधियां होंगी? संधियों पर हस्ताक्षर न भी हों पर भारत-नेपाल के बढ़ते तालमेल के कई प्रमाण दिखने की उम्मीद है।

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