विविधा मदर टेरेसा-नोबेल शांति पुरस्कारों के विवादों में! December 11, 2010 / December 19, 2011 | 2 Comments on मदर टेरेसा-नोबेल शांति पुरस्कारों के विवादों में! हरिकृष्ण निगम कुछ दिनों पहले उन विवादित एवं सर्वत्र चर्चित प्रतिभाओं को जिन्हें पिछले दशकों में स्वीडिश अकादमी ने नोबेल शांति पुरस्कार दिया था जिन्हें एक अमेरिकी सर्वेक्षण में इसके योग्य नहीं माना गया था उनमें एक नाम भारत की परिचित एवं संत की त्याग और करूणा की छवि वाली अल्बानियाई मूल की मदर टेरेसा […] Read more » Mother Teresa मदर टेरेसा
राजनीति सेकुलरवादी विमर्श की आड़ में : परत-दर-परत खुलता राष्ट्रद्रोही चेहरा December 11, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment हरिकृष्ण निगम आज के राजनीतिक विमर्श में हमारे कुछ बुध्दिजीवियों ने एक अजीब तरह की अराजकता को प्रश्रय देकर अंग्रेजी मीडिया के एक बड़े वर्ग में, जहां तक हिंदू की व्याख्या का प्रश्न है, एक विकृत दृष्टि व हठधर्मिता को मात्र हिंदू आस्था का ही अहित कर राजनीतिक पक्ष दिखता है और कभी भी लगता […] Read more » secularism धर्मनिरपेक्षता सेकुलरिज्म
राजनीति वृहद घोटाले करके उसे छिपाने में पूरी तरह नाकाम संप्रग सरकार की फजीहत December 11, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment धाराराम यादव संसद का शीतकालीन सत्र, संप्रग सरकार द्वारा किये गये वृहद घोटालों को छिपाने में नाकाम रहने की भेंट चढ़ रहा है। सम्प्रति तीन बड़े घोटाले एक सप्ताह सें संसद का कामकाज पूरी तरह रोके हुए हैं। इनमें राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में किया गया घोटाल, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला एवं महाराष्ट्र की आदर्श […] Read more » scam कांग्रेस घोटाला यूपीए
राजनीति तुष्टीकरण की नीति से भगवा आतंकवाद का भय December 11, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment डॉ. सूर्य प्रकाश अग्रवाल केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम के द्वारा भगवा आतंकवाद देश में फैलने का भय व्यक्त किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम को ऐसा आभास हो गया है कि 62 वर्ष के देश की स्वतंत्रता के जीवन में जिस प्रकार कांग्रेस सहित अनेक छोटे-मोटे राजनीतिक दलों के राजनेताओं के द्वारा […] Read more » terrorism भगवा आतंकवाद
राजनीति भगवा आतंकवाद की व्याख्या December 11, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment धाराराम यादव गत् 25 अगस्त, 2010 से देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित राज्यों के पुलिस महानिदेशकों एवं महानिरीक्षकों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्धाटन करते हुए गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने यह कहकर सारे देश में सनसनी फैला दी कि इधर कई विस्फोटों में ‘भगवा आतंकवाद’ का हाथ रहा है। विगत् दो दशकों में […] Read more » terrorism भगवा आतंकवाद
धर्म-अध्यात्म सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment ओ. पी. उनियाल मित्रता एवं सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक मजार एवं गुरुध्दारा। जिनका धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व अपने आप में एक उदाहरण हैं। दर्शनार्थी टेकते हैं मत्था और मांगते हैं मन्नतें इन दोनों स्थलों पर। दोस्ती की सालों पुरानी परंपरा को आज भी निभा रहे हैं श्रध्दालु। एक तरफ उत्तराखंड की सीमा तो दूसरी तरफ […] Read more » communal harmony सांप्रदायिक सद्भाव
विविधा साम्यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्प है एकात्म मानवतावाद December 10, 2010 / December 19, 2011 | 3 Comments on साम्यवाद एवं पूंजीवाद का विकल्प है एकात्म मानवतावाद -राजीव मिश्र स्वतंत्रता के उपरांत के अपने आर्थिक इतिहास के खतरनाक दौर में हम पहूंच गए हैं जबकि सारी व्यवस्था ही टूटती हुई दिखायी पड़ रही है। आज भारत एवं संपूर्ण विश्व एक चौराहे पर किंकर्तव्यविमूढ़ सा खड़ा है उसे मार्ग नहीं दिख रहा है। उसके सामने यह यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि वास्तविक […] Read more » communism एकात्म मानववाद पूंजीवाद साम्यवाद
विज्ञान महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment -मृत्युंजय दीक्षित भारतीय मान्यता के अनुसार वनस्पति को भी चेतन और प्राणमय बताने वाले तथा अपने अरुसंधान कार्यों द्वारा संसार को आश्चर्यचकित कर देने वाले महान वैज्ञानिक सर जगदीश चंद बसु का जन्म 20 नवम्बर, 1858 को ढाका के विक्रमपुर कस्बे के राढीखाल नाम के गांव में हुआ था। उनके पिता भगवान चन्द बसु फरीदपुर […] Read more » Scientist जगदीश चन्द्र बसु
धर्म-अध्यात्म आस्था निर्माण की कार्यवाही December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment -हृदयनारायण दीक्षित प्रत्यक्ष स्वयं प्रमाण होता है। इसे सिध्द करने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन सारा प्रत्यक्ष देखा और जाना नहीं जा सकता। सृष्टि विराट है। इंद्रियबोध की सीमा है। यों प्रत्यक्ष का सीधा अर्थ प्रति-अक्ष यानी आंख के सामने होता है। भारतीय विवेक में ‘अक्ष’ का अर्थ इंद्रियां है। इंद्रियबोध की समझ ही यहां […] Read more » Faith आस्था
साहित्य साहित्य में लोकमंगल की आराधना December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment -हृदयनारायण दीक्षित शब्द ब्रह्म है। ब्रह्म संपूर्णता है। संपूर्ण और ब्रह्म पर्यायवाची हैं लेकिन संपूर्ण शब्द में ब्रह्म का विराट वर्णन करने की सामर्थ्य नहीं है। उपनिषद् के ऋषि ने इसीलिए ‘पूर्णमिदं पूर्णमदः’ शब्द प्रयोग किये। उपनिषद् में कहा गया कि यह पूर्ण है, वह पूर्ण है। यह पूर्ण उस पूर्ण से निकला है। यहां […] Read more » Sahitya साहित्य
विविधा उल्लासधर्मा है भारत का मन December 10, 2010 / December 19, 2011 | Leave a Comment हृदयनारायण दीक्षित भारत का मन उल्लासधर्मा है। व्यक्ति की तरह राष्ट्र का भी अंतर्मन होता है। भारत का मन हजारों वर्ष प्राचीन संस्कृति के अविरल प्रवाह का सुफल है। संस्कृति के निर्माण में वेद, उपनिषद्, पुराण, महाकाव्य और सतत् जिज्ञासा वाले वैज्ञानिक दृष्टिकोण की खास भूमिका है। वेदों में भरा पूरा समाज है। ‘ऋग्वेद’ विश्व […] Read more » India भारत
विविधा भारतीय चिंतन में रसानुभूति December 10, 2010 / December 19, 2011 | 1 Comment on भारतीय चिंतन में रसानुभूति हृदयनारायण दीक्षित मनुष्य आनंद अभीप्सु है। भक्तों के अनुसार प्रभु का भजन ही आनंद का स्रोत है। भक्त मुक्ति या मोक्ष नहीं मांगते। प्रभु प्रीति में ही आनंद सागर देखते हैं। महात्मा बुध्द संसार को दुखमय देखते थे। उन्होंने दुखों का कारण ‘अविद्या’ बताया और विद्या को मुक्ति का उपाय। मुक्ति ही आनंद है। बाकी […] Read more » Indian रसानुभूति