राजनीति क्या समस्या का समाधान आरक्षण…?? September 7, 2015 / September 7, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य मनुष्य के जीवन को पूर्णरूपेण सुख- सम्पन्नतामय बनाने के लिए आर्थिकीय दृष्टि सदैव पर्याप्त नहीं हुआ करती है। कदाचित् इसका यह तात्पर्य लेशमात्र भी नहीं है कि अर्थ का सुख-शान्ति-समृध्दि में कोई स्थान नहीं। संसार भर में बड़े-से-बड़े वेदज्ञों, नीतिशास्त्रवेत्ताओं, विज्ञानविशारदों, सगीतज्ञों आदि मनीषियों को यदि भोजन न मिले तो उनकी सारी […] Read more » आरक्षण
राजनीति असरदार और ताकतवर ढंग से जवाब चाहता है पाकिस्तान July 31, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य भारत एक शान्तिप्रिय व सद्व्यवहार को बढ़ावा देने वाला देश है। जो प्रति क्षण प्रत्येक की उन्नति में स्वयं की उन्नति को स्वीकार करता है। शायद इसी कारण से भारत की ओर से पाकिस्तान के साथ दोनों देशों में शान्ति बनायें रखने के लिए वार्ता करने की कोशिश की जाती रही है। लिखित […] Read more » असरदार और ताकतवर ढंग से जवाब पाकिस्तान
धर्म-अध्यात्म मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था June 10, 2015 | Leave a Comment -शिवदेव आर्य- वर्णाश्रम व्यवस्था वैदिक समाज को संगठित करने का अमूल्य रत्न है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों ने समाज को सुसंगठित, सुव्यवस्थित बनाने तथा व्यक्ति के जीवन को संयमित, नियमित एवं गतिशील बनाने के लिए चार वर्णों एवं चार आश्रमों का निर्माण किया। वर्णाश्रम विभाग मनुष्य मात्र के लिए है, और कोई भी […] Read more » Featured मानवोन्नति की अनन्या साधिका वर्णव्यवस्था वर्ण वेद
धर्म-अध्यात्म बोधत्व राष्ट्र के लिए February 12, 2015 / February 12, 2015 | 1 Comment on बोधत्व राष्ट्र के लिए शिवदेव आर्य संसार में जितने भी पर्व तथा उत्सव आते हैं, उन सबका एक ही माध्यम (उद्देश्य) होता है – हम कैसे एक नए उत्साह के साथ अपने कार्य में लगें? हमें अब क्या-क्या नई-नई योजनाएं बनाने की आवश्यकता है, जो हमें उन्नति के मार्ग का अनुसरण करा सकें। समाज में दृष्टिगोचर होता है […] Read more » बोधत्व राष्ट्र के लिए
जन-जागरण आखिर क्या है वैलेंटाइन डे? February 9, 2015 / February 9, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य भारतीय संस्कृति एवं परम्परा को समाज में इस प्रकार तोड़ा जा रहा है जिसका कोई बखान नहीं कर सकता और यदि लेखनी भारतीयता की व्यथा को व्यक्त करने की कोशिश भी करे तो उसे चारों ओर से कुचलने का प्रयास किया जाता है। पुनरपि ये लेखनी अपने कतव्र्य को कैसे भूल सकती है। […] Read more » ‘वैलेंटाइन डे’
धर्म-अध्यात्म चलें यज्ञ की ओर…. January 22, 2015 / January 22, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य, वेद व यज्ञ हमारी संस्कृति के आधार स्थम्भ हैं। इसके बिना भारतीय संस्कृति निश्चित ही पंगु है। यज्ञ का विधिविधान आदि काल से अद्यावधि पर्यन्त अक्षुण्ण बना हुआ है। इसकी पुष्टि हमें हड़प्पा आदि संस्कृतियों में बंगादि स्थलों पर यज्ञकुण्डों के मिलने से होती है। वैदिक काल में ऋषियों ने यज्ञों पर […] Read more » यज्ञ
हिंद स्वराज देश निर्माण का संकल्प January 20, 2015 / January 20, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य संसार के विभिन्न क्रियाकलापों को देखकर बड़ा आश्चर्य होता है। चित्र-विचित्र इस संसार में परिस्थितियों को देख ऐसा लगता है कि शायद परिस्थितियां पहले से ही विद्यमान है और मनुष्य समाज इन परिस्थितियों का मात्र अनुसरण कर रहा है। कभी ऐसा भी प्रतित होता है कि परिस्थितियों का निर्माण स्वयं मनुष्य करते […] Read more »
समाज लव जिहाद से ध्वस्त होता भारत January 19, 2015 / January 19, 2015 | 3 Comments on लव जिहाद से ध्वस्त होता भारत ब्र. शिवदेव आर्य इस आधुनिकता भरे भौतिकवादी युग की युवतियां पश्चिमी सभ्यता की मैली घिनौनी चादर ओड़कर सही गलत के निर्णय करने में विफल हो रही हैं। भौतिकवादी युग की फिल्मों की चकाचौंध भरी किरणे उनके चित्त पर इस प्रकार प्रस्तारित हो रही है जैसे डीजल में आग। प्यार ;सवअमद्ध शब्द उनमें जीवन की […] Read more » 'लव जिहाद' ध्वस्त होता भारत
जन-जागरण क्या यही हुतात्माओं का भारतवर्ष है? January 15, 2015 / January 15, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य आज हमारे भारतवर्ष को गणतन्त्र के सूत्र में बन्धे हुए 66 वर्ष हो चुकें हैं। इन वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया है। गणतन्त्रता का अर्थ है – हमारा संविधान, हमारी सरकार, हमारे कर्तव्य और हमारा अधिकार। भारत का प्रत्येक नागरिक जब गणतन्त्र दिवस का नाम सुनता […] Read more » हुतात्माओं का भारतवर्ष
जन-जागरण युवाओं के सहयोग के बिना राष्ट्र निर्माण सम्भव नहीं January 14, 2015 / January 14, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य युवा राष्ट्र का प्राण है। वही राष्ट्र की शक्ति है, गति है, स्फूर्ति है, चेतना है, ओज है, तेज है और राष्ट्र की प्रज्ञा है। युवाओं की प्रतिभा, तप, त्याग और बलिदान राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। युवाओं का पथ तथा संकल्प राष्ट्रीय पराक्रम और प्रताप का प्रतीक है। युवा भविष्य […] Read more » राष्ट्र निर्माण
धर्म-अध्यात्म दान का स्वरूप January 12, 2015 / January 12, 2015 | 4 Comments on दान का स्वरूप हमारी वैदिक संस्कृति में त्याग, सेवा, सहायता, दान तथा परोपकार को सर्वोपरि धर्म के रूप में निरुपित किया गया है, क्योकि वेद में कहा गया है – ‘शतहस्त समाहर सहस्त्र हस्त सं किर१ अर्थात् सैकड़ों हाथों से धन अर्जित करो और हजारों हाथों से दान करो। गृहस्थों, शासकों तथा सम्पूर्ण प्राणी मात्र को वैदिक […] Read more » दान का स्वरूप
कहानी भावनाओं का स्वरूप January 12, 2015 / January 12, 2015 | Leave a Comment शिवदेव आर्य भावनाएं बड़ी विशाल होती हैं। भावनाओं के आधार पर ही हम प्राणी परस्पर व्यवहार करते हैं। जो भावनाओं के महत्त्व को समझ गया वह समझो इस बन्धरूपी संसार से मुक्त हो गया। इसलिए हम समझने का प्रयास करेंगे कि भावनाओं में आखिर क्या शक्ति है, जो इस संसार में हमें किसी का प्रिय […] Read more » भावनाओं का स्वरूप