कविता साहित्य बेबसी July 31, 2017 | Leave a Comment लाचार, बेबस था वो उसकी आँखों मे स्पष्ट झलक रहा था उस दिन सड़क किनारे वो दिखा देखकर आदिमानव सी छवि उभर आई बढ़ी हुई दाढ़ी उलझे बाल मुह से लार टपकती थी हाथ मे कुछ पैसे पकड़े हुए और कुछ दुकानों से गिरी सब्जियां ये सब तो प्रति दिन होता है पर… उस दिन […] Read more » बेबसी
कहानी साहित्य पागल June 10, 2017 | Leave a Comment गाँव में उन दिनों खूब आंधी चल रही थी जिससे वहां की बालू रेत भी खूब उड़ रही थी। सारा माहौल कुछ मटमैले रंग का प्रतीत हो रहा था। एक तो आंधी ऊपर से ये तेज धूप, कोई अपने घरों से दोपहर को बाहर तक नहीं निकलता था। कौन खामखां आंधी में परेशानी उठाए भला। […] Read more » पागल
प्रवक्ता न्यूज़ अंगू… एक याद May 31, 2017 / May 31, 2017 | Leave a Comment तेजू जांगिड़ अंगू भोला भाला सा था । वो पांचवी तक मेरे साथ शाला चलता था, हालांकि जब मैं पांचवी में था तब अंगू पहली में था अर्थात् वो एक वर्ष मेरे साथ शाला गया। फिर मैंने गाँव में ही दूसरे विद्यालय में प्रवेश ले लिया। फिर भी अंगू मेरा दोस्त था और इसी कारण […] Read more » अंगू