महत्वपूर्ण लेख लेख समाज सार्थक पहल कितना पूरा हुआ बालिका शिक्षा पर सावित्री बाई फुले का सपना? January 3, 2023 / January 3, 2023 | Leave a Comment उपासना बेहार सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, प्रथम शिक्षाविद्, समाज सुधारक और मराठी लेखक व कवियत्री थीं. उन्होंने उन्नीसवीं सदी में अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ स्त्री अधिकारों, छुआछुत, सतीप्रथा, विधवाविवाह, बालविवाह, अंधविश्वास, के खिलाफ संघर्ष किया. सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को […] Read more » How fulfilled is Savitri Bai Phule's dream on girl child education?
महिला-जगत विश्ववार्ता समाज वर्क फ्रॉम होम के दौर में लैंगिक उत्पीडन का बदलता स्वरूप August 12, 2020 / August 12, 2020 | Leave a Comment उपासना बेहार कोरोना वाइरस के कारण देश में सम्पूर्ण लाक डाउन किया गया था जिसने सबको घर के अंदर रहने को बाध्य कर दिया था इस दौर में लोग घर से ऑफिस का काम (work from home) करने लगे. पहले भारत में कम संख्या में वर्क फ्राम होम होता था लेकिन लाक डाउन के कारण […] Read more » Changing nature of sexual harassment Changing nature of sexual harassment during the era of work from home era of work from home लैंगिक उत्पीडन वर्क फ्रॉम होम वर्क फ्रॉम होम के दौर में लैंगिक उत्पीडन
टेक्नोलॉजी लेख डिजिटल शिक्षा और बढ़ती खाई June 10, 2020 / June 10, 2020 | Leave a Comment उपासना बेहार इस तरह दुनिया में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है, इसी के चलते भारत में भी 22 मार्च से लाकडाउन कर दिया गया जिसके चलते सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया. प्राइवेट स्कूलों में मार्च में परीक्षाएं हो जाती है और अप्रैल में फिर ने नयी कक्षाएं शुरू हो […] Read more » Digital education डिजिटल शिक्षा
समाज पहचान और श्रम मूल्य के संकट से जूझती घरेलू कामगार महिलायें March 19, 2018 | Leave a Comment उपासना बेहार घरेलू काम दुनिया के सबसे पुराने रोजगार के साधनों में से एक रहा है। सूखा, खेती में हानि, रोजगार के विकल्प का ना होना, विकास के नाम पर जमीन का अधिगृहण, विस्थापन, दलित वर्ग का उत्पीड़न, चिकित्सा, पानी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं का अभाव जैसे विभिन्न कारणों के चलते गाँव से लोग शहर की ओर पलायन करने को मजबूर हो जाते […] Read more » Featured घरेलू कामगार महिलायें
महिला-जगत विविधा मातृत्व स्वास्थ्य का लक्ष्य और चुनौतियां February 12, 2018 | Leave a Comment उपासना बेहार न्यूयार्क में 24 सितम्बर 2015 को 193 देशों के नेताओं की बैठक हुई जिसे यू. एन. सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट कहा गया। समिट में 2030 तक के लिए एजेंडा तय किया गया है. ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (सतत विकास लक्ष्य) में 17 मुख्य विकास लक्ष्यों तथा 169 सहायकलक्ष्यों को निर्धारित किया गया है. जो P5 (People, Planet, Peace, Prosperous और Partnership पर जोर देता है, इसे ग्लोबल गोल भी कहा जाता है। इसे “हमारी दुनिया का रूपांतरण : सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा” (Transforming Our World : The 2030 Agenda for Sustainable Development) नाम दिया गया है, जिसका आधार सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य(Millinum Development Goal) है और इसकी समयसीमा 2015-30 तक है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के 17 गोल में से गोल 3 का उद्देश्य सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देना है जिसमें मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना प्रमुख लक्ष्य हैं। दुनिया के परिदृश्य में मातृत्व स्वास्थ्य वर्तमान में पूरी दुनिया के परिदृश्य में मातृत्व स्वास्थ्य की स्थिति को देखें तो मातृ मृत्यु दर में 45 प्रतिशत की कमी आई है.। साऊथ एशिया में मातृ मृत्यु दर 1990 से 2013 में 64 प्रतिशत कम हुआ है। इसी दौरान सब सहारन अफ्रीका में मातृ मृत्यु दर 49 प्रतिशत कम हुआहै। नार्थ अफ्रीका में गर्भवती महिला का प्रसव पूर्व जाँच (कम से कम 4 बार) जहाँ 1990 में 50 प्रतिशत था वो 2014 तक 89 प्रतिशत हुआ है। गर्भनिरोधक का उपयोग पूरी दुनिया में बढ़ा है और 2014 में 64 प्रतिशत महिलायें इसका उपयोग कर रही हैं. भारत में मातृत्व स्वास्थ्य 2015 में आई सयुंक्त राष्ट्र एजेंसी और वर्ल्ड बैंक की सांझा रिपोर्ट के अनुसार देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से होने वाली गर्भवती महिलाओं की मृत्यु 1 लाख 36 हजार है। रिपोर्ट के अनुसार देश में 20 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु खून की कमी से और 10 प्रतिशत मौतेंगर्भपात से सम्बंधित जटिलताओं के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आकंड़ों के अनुसार भारत में 1 घंटे में 5 महिलाओं की मौत हो जाती है इसका सबसे बड़ा कारण प्रसव के बाद रक्तस्राव और इस पर नियत्रंण न होना है. ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट, 2017 (जीएनआर) की रिपोर्ट के अनुसार एनीमिया से जूझ रही महिलाओं की लिस्ट में भारत सबसे ऊपर है। प्रजनन उम्र में पहुंचने वाली महिलाओं में से आधी से ज्यादा महिलाओं में (51 प्रतिशत) खून की कमी (एनीमिया) है। ऐसी महिलाएं जबगर्भवती होती हैं, तब जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक होता है. वही प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के रुडो विल्सन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि भारतीय महिलाएं जब गर्भवती होती हैं तो उनमें से 40 फीसदी से अधिक गर्भवती महिलाऐं सामान्य से कम वजन (औसतन 7 कि.ग्रा.) कीहोती हैं, जो गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ-साथ मां के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा होता है। इसी प्रकार यूनिसेफ की रिर्पोट ‘एंडिंग चाइल्ड मैरिज-प्रोग्रेस एंड प्रोस्पेक्ट 2014’ के अनुसार दुनिया की हर तीसरी बालिका वधू भारत में है। बाल विवाह के कारण बच्चियां कम उम्र में गर्भवती हो जाती हैं जिससे उनकी मृत्यु, गर्भपात में वृद्धि, कुपोषित बच्चों का जन्म, मातामें कुपोषण, खून की कमी होना, शिशु मृत्यु दर, माता में प्रजनन मार्ग संक्रमण यौन संचारित बीमारिया बढ़ती हैं। स्वास्थ सुविधाओं की कमी देश में शहरों की तुलना में गावों में स्वास्थ सुविधाएं अच्छी नही है। 2011 के ग्रामीण स्वास्थ्य आंकड़ों को देखें तो गावों में 88 फीसदी विशेषज्ञ डाक्टरों तथा 53 फीसदी नर्सों की कमी है। शहरों में 6 डाक्टर प्रति दस हजार जनसंख्या में हैं वही ग्रामीण में यह 3 डाक्टर प्रतिदस हजार जनसंख्या में है। संस्थागत डिलेवरी की स्थिति देखें तो एन.एफ.एच.एस.-4 के अनुसार 78.9 गर्भवती महिलाओं की संस्थागत डिलेवरी हुई है। […] Read more » Featured Goals and Challenges of maternal health Maternal Health जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम जननी सुरक्षा योजना प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना मातृत्व स्वास्थ्य
लेख शख्सियत फिदेल कास्त्रो : एक किवदंती December 5, 2016 | Leave a Comment फिदेल कास्त्रो का नाम सामने आते ही लोह पुरुष की छबी उभर आती है. इन्हें क्यूबा में कम्युनिस्ट क्रांति का जनक माना जाता है. क्यूबा के इस महान क्रांतिकारी और पूर्व राष्ट्रपति का 90 साल की आयु में 26 नवम्बर 2016 को हवाना में निधन हो गया. फिदेल कास्त्रो ने 49 साल तक क्यूबा में शासन किया जिसमें वे फरवरी 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे. 2008 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया. Read more » Featured Fidel Castro फिदेल कास्त्रो
समाज बाल सुरक्षा की चुनोतियाँ March 27, 2016 | Leave a Comment उपासना बेहार देश में बच्चों की सुरक्षा एक बहुत गंभीर मसला बन कर उभर रहा है। कमजोर, लाचार और वंचित बच्चों को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना आये दिन करना पड़ रहा है। आज बच्चे कही भी सुरक्षित नही हैं। पहले माना जाता था कि बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह उनका घर होता […] Read more » Featured घरेलू काम नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो पोर्नग्राफी बच्चों के साथ अपराध और हिंसा बच्चों को सुरक्षा बंधुआ मजदूरी बाल तस्करी बाल विवाह बाल सुरक्षा बाल सुरक्षा की चुनोतियाँ भिक्षावृति
विविधा शख्सियत समाज सावित्रीबाई फुले जिन्होंने भारतीय स्त्रियों को शिक्षा की राह दिखाई January 3, 2016 | Leave a Comment उपासना बेहार “…..ज्ञान बिना सब कुछ खो जावे, बुद्धि बिना हम पशु हो जावें, अपना वक्त न करो बर्बाद, जाओ, जाकर शिक्षा पाओ……” सावित्रीबाई फुले की कविता का अंश अगर सावित्रीबाई फुले को प्रथम महिला शिक्षिका, प्रथम शिक्षाविद् और महिलाओं की मुक्तिदाता कहें तो कोई भी अतिशयोक्ति नही होगी, वो कवयित्री, अध्यापिका, समाजसेविका थीं. […] Read more » Featured savitribai Phule भारतीय स्त्रियों को शिक्षा सावित्रीबाई फुले
महिला-जगत विविधा भारत में स्तनपान की चिंताजनक स्थिति August 6, 2015 | Leave a Comment उपासना बेहार पूरी दुनिया में 1 अगस्त को विश्व स्तनपान दिवस और अगस्त माह के प्रथम सप्ताह को स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान सरकारों और सामाजिक संस्थानों द्वारा लोगों में स्तनपान से जुडी भ्रान्तियों को दूर करने और माँ के दूध के महत्त्व को बताने का प्रयास किया जाता है। नवजात शिशुओं में रोगों […] Read more » भारत में स्तनपान
समाज एकल महिलाओ को लेकर अदालत का प्रगतिशील फैसला July 15, 2015 / July 16, 2015 | Leave a Comment उपासना बेहार 6 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया जिसमें कहा गया कि अविवाहित मां अपने बच्चे की अकेली अभिभावक बन सकती है। इसमें उसके पिता की रजामंदी लेने की आवश्यकता नहीं है। जिस केस को लेकर यह फैसला सुनाया गया है वो कुछ इस तरह है कि एक अविवाहित […] Read more »