राजनीति जौनसार-बावर और जातिभेद June 3, 2016 | Leave a Comment गत 20 मई को वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड से भा.ज.पा. के राज्यसभा सांसद तरुण विजय पर देहरादून जिले के पर्वतीय क्षेत्र ‘जौनसार-बावर’ में हमला हुआ। उसमें वे बुरी तरह घायल हो गये। उनकी गाड़ी भी कुछ लोगों ने खाई में धकेल दी। विवाद का विषय वहां के एक मंदिर में प्रवेश का था। तरुण विजय […] Read more » attack on MP Tarun Vijay in Dehradun Featured जातिभेद जौनसार-बावर
व्यंग्य साहित्य हम मिले, तुम मिले…. May 29, 2016 | Leave a Comment चिरदुखी शर्मा जी प्रायः दुखी ही रहते हैं; पर जब कभी वे खुश होते हैं, तो यह खुशी ‘इश्क और मुश्क’ की तरह छिपाए नहीं छिपती। उनकी कंजूसी के बारे में पूरा मोहल्ला जानता है; पर कल वे न जाने कहां से ढेर सारी बूंदी ले आये और सबको बांटने लगे। उनके घर के पास […] Read more » satirical article on third front तुम मिले.... हम मिले
व्यंग्य साहित्य स्टाम्प पेपर वाली निष्ठा May 28, 2016 | Leave a Comment आप चाहे कुछ भी कहें साहब, पर मैं हर क्षेत्र में नये विचार और प्रयोगों का पक्षधर हूं। भले ही पुरातनपंथियों को मेरी बात पसंद न आये; पर मैं अपने विचारों पर जितना दृढ़ कल था, उतना ही आज हूं और कल भी रहूंगा। असल में कल शाम को पार्क में इसी विषय पर चर्चा […] Read more » स्टाम्प पेपर वाली निष्ठा
राजनीति उत्तराखंड का भावी परिदृश्य May 24, 2016 | Leave a Comment पांच राज्यों के चुनाव परिणामों से कांग्रेस का मनोबल गिरा है, जबकि भा.ज.पा. का उत्साह बढ़ा है। 2017 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें उत्तराखंड भी है। वहां पिछले दिनों जो उठापटक हुई, उससे हरीश रावत को खुशी मिली है; पर अब आगे क्या होगा, यह उनके तथा कांग्रेस के लिए चिंता का […] Read more » changing political scenario in Uttrakhand Featured उत्तराखंड उत्तराखंड का भावी परिदृश्य
राजनीति अब है असली चुनौती May 21, 2016 | Leave a Comment पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ गये हैं। इनसे भा.ज.पा. का उत्साह बढ़ा है। कांग्रेस के फूटे डिब्बे में दो छेद और बढ़ गये हैं। केरल की जीत पर वामपंथी भले ही खुश हों; पर उनका बंगाली गढ़ ध्वस्त हो गया है। अब वहां उनकी वापसी होना कठिन है। केरल में वाममार्गियों की जीत का […] Read more » Featured uttar pradesh vidhansabha election असली चुनौती
विविधा संघ कार्य में प्रशिक्षण का महत्व May 13, 2016 | Leave a Comment इन दिनों देश भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशिक्षण वर्ग चल रहे हैं। वैसे तो ये वर्ग साल भर में कभी भी हो सकते हैं; पर गरमी की छुट्टियों के कारण अधिकांश वर्ग इन्हीं दिनों होते हैं। 1925 में जब संघ प्रारम्भ हुआ, तो संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार स्वयंसेवकों को सैन्य प्रशिक्षण देना […] Read more » Featured प्रशिक्षण का महत्व संघ कार्य संघ कार्य में प्रशिक्षण का महत्व
राजनीति व्यंग्य साहित्य रंज लीडर को बहुत है मगर… May 8, 2016 | Leave a Comment किसी राजनीतिक विश्लेषक ने कहा है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है; पर काफी समय से कांग्रेस के लिए लखनऊ के ही रास्ते बंद है। ऐसे में अपने बलबूते पर वह दिल्ली कैसे पहुंचे ? जीवन-मरण जैसा यह बड़ा प्रश्न मैडम जी के सामने है। वे कई साल से कोशिश में हैं […] Read more » Featured रंज लीडर को बहुत है मगर...
कहानी साहित्य मन की गांठ April 27, 2016 | 3 Comments on मन की गांठ पिछले दिनों मैं रेलगाड़ी से हरिद्वार से दिल्ली आ रहा था। सर्दी के दिन थे। मेरे साथ बैठे यात्री के मफलर पर ‘नवभारत उद्योग, हरिद्वार’ का लेबल लगा था, जबकि मेरे मफलर पर ‘भारत उद्योग, हरिद्वार’ का। इस सुखद संयोग पर बात छिड़ी, तो उन्होंने ‘भारत’ और ‘नवभारत उद्योग’ की कहानी सुनायी। इसके मुख्य पात्र […] Read more » मन की गांठ
कहानी साहित्य इतिहास की पुनरावृत्ति April 7, 2016 | Leave a Comment कहते हैं कि ‘इतिहास खुद को दोहराता है।’ यद्यपि मेरा इतिहास का अध्ययन बस वहीं तक है, जहां तक कक्षा आठ में पढ़ाया गया था; पर अपने कुछ प्रसंगों को देखकर लगता है कि शायद यह कहावत सच ही है। पिछले दिनों मोदीनगर से मेरे पुराने मित्र आनंद का फोन आया। वहां के मुख्य बाजार […] Read more » इतिहास की पुनरावृत्ति
लेख नर सेवा नारायण सेवा March 25, 2016 | Leave a Comment आज शेरगढ़ में न कोई दुकान खुली थी और न स्कूल। चूंकि आज ‘निरंजन बाबा’ के अस्थिकलश को भूसमाधि दी जाने वाली थी। पूरा गांव वहीं एकत्र था। सबको लग रहा था कि ‘बाबा’ नहीं, उनका कोई सगा-सम्बन्धी ही चला गया है। सचमुच ‘बाबा’ का व्यक्तित्व था ही ऐसा। निरंजन बाबा के पिताजी उस इलाके […] Read more » नर सेवा नारायण सेवा
शख्सियत बहुआयामी प्रतिभा के धनी सूर्यकृष्ण जी March 18, 2016 | 1 Comment on बहुआयामी प्रतिभा के धनी सूर्यकृष्ण जी प्रायः लोग किसी एक काम के विशेषज्ञ होते हैं; पर सूर्यकृष्ण जी ने कई कामों में अपनी विशेषज्ञता सिद्ध कर दिखायी। उनका जन्म 23 मई, 1934 को मिंटगुमरी (पाकिस्तान) में सिंचाई विभाग में ओवरसियर श्री इंद्रनारायण जी एवं श्रीमती विद्यावती जी के घर में हुआ था। उन्होंने ओकारा (पाकिस्तान) से माध्यमिक शिक्षा, नीलोखेड़ी (हरियाणा) से […] Read more » Featured suryakrishna ji from rss सूर्यकृष्ण जी
कहानी साहित्य वर का शिकार March 14, 2016 | 1 Comment on वर का शिकार कुछ लोग कहते हैं कि रिश्ते ऊपर से ही बनकर आते हैं। फिर भी विवाह के विज्ञापनों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। किसी समय उत्तर भारत में हर रेलमार्ग के किनारे दीवारों पर ‘रिश्ते ही रिश्ते’ जैसे विज्ञापन लिखे मिलते थे; पर अब इनकी जगह पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट ने ले ली है। आजकल […] Read more »