लेख साहित्य लाल और नीली कटोरी : वामपंथ तथा अम्बेडकरवाद का प्रतीक March 10, 2016 | 2 Comments on लाल और नीली कटोरी : वामपंथ तथा अम्बेडकरवाद का प्रतीक इन दिनों दिल्ली का जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (ज.ने.वि.) काफी चर्चा में है। गत नौ फरवरी को वहां छात्रों तथा कुछ बाहरी लोगों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद, भारत तेरे टुकड़े होंगे: इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह तथा भारत की बरबादी तक जंग चलेगी.. जैसे देशद्रोही नारे लगाये। वे अफजल गुरु, मकबूल बट तथा याकूब मेनन जैसे देशद्रोही […] Read more » Featured अम्बेडकरवाद अम्बेडकरवाद का प्रतीक कन्हैया कुमार जेएनयू नीली कटोरी लाल कटोरी वामपंथ वामपंथ का प्रतीक
कहानी साहित्य पांच रुपये February 16, 2016 | 3 Comments on पांच रुपये नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार सर विद्यासागर नयपाल के बारे में मैंने सुना है कि वे जहां भी जाते हैं, वहां के आंतरिक भागों की यात्रा प्रायः रेलगाड़ी में एक सामान्य व्यक्ति की तरह करते हैं। उनका मानना है कि आम जनजीवन को जानने और समझने का यह सबसे अच्छा तरीका है। मैं भी इसका समर्थक […] Read more » Featured story by vijay kumar पांच रुपये
कहानी सत्संग February 15, 2016 | Leave a Comment सोहन ने कक्षा दस तक की पढ़ाई तो अपने गांव में ही की; पर फिर पढ़ने के लिए वह मेरठ आ गया। वहां उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। श्याम भी उसकी कक्षा में ही पढ़ता था। अतः दोनों में मित्रता हो गयी। कुछ ही दिन में यह मित्रता इतनी बढ़ी कि दोनों ने […] Read more » सत्संग
कहानी साहित्य उलझन February 4, 2016 | Leave a Comment शोभा का मन न जाने कैसा हो रहा था। जब से उसे अपनी जेठानी पूर्णिमा की मृत्यु का समाचार मिला था, उसका मन बार-बार चिन्तित और व्याकुल हो उठता था। क्या होगा अब पांच साल के मोहन और नवजात राधिका का ? पूर्णिमा और शोभा क्रमशः पांच साल के अन्तर से इस घर […] Read more » उलझन
कहानी साहित्य बरकत February 2, 2016 | 1 Comment on बरकत कल शाम देहरादून से जितेन्द्र का फोन आया, ‘‘20 अक्तूबर को तुम्हारे भतीजे का विवाह है। कार्ड तो जब छपेगा, तब भेज दूंगा; पर तारीख लिख लो। भाभी जी और बच्चों को भी आना है।’’ मैंने कहा, ‘‘हां भाई, ऐसे खुशी के मौके बार-बार थोड़े ही आते हैं। हम सब जरूर आएंगे। कोई चीज […] Read more » Featured बरकत
व्यंग्य साहित्य पता नहीं साहब…. January 26, 2016 | 1 Comment on पता नहीं साहब…. बचपन में एक कहानी पढ़ी थी। शायद आपने भी पढ़ी या सुनी होगी। कहानी इस प्रकार है। एक विदेशी पर्यटक भारत घूमने के लिए आया। दिल्ली में उसने लालकिला देखकर तांगे वाले से पूछा, ‘‘इसे किसने बनाया ?’’ तांगे वाले ने कहा, ‘‘पता नहीं साहब।’’ इसके बाद वह कुतुबमीनार और बिड़ला मंदिर देखने गया। […] Read more » पता नहीं साहब....
राजनीति व्यंग्य खोई ताकत की तलाश में January 18, 2016 | Leave a Comment आप इस शीर्षक से भ्रमित न हों। मैं किसी खानदानी शफाखाने का एजेंट नहीं हूं, जो खोई ताकत की कुछ दिन या कुछ महीनों में वापसी का दावा करूं। हुआ यों कि कल शर्मा जी पार्क में आये और सबको मिठाई बांटने लगे। पूछने पर बोले कि राहुल बाबा नये वर्ष की छुट्टी विदेश में […] Read more » Featured satire on rahul gandhi's foreign trip खोई ताकत की तलाश में
शख्सियत समाज अविश्रांत कार्यकर्ता लक्ष्मणराव पार्डीकर January 6, 2016 | Leave a Comment संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री लक्ष्मण शामराव पार्डिकर का जन्म एक जनवरी, 1946 को नागपुर के एक जनजातीय बुनकर परिवार में हुआ था। उनके पिता हथकरघे पर साड़ी बनाते थे। उनसे छोटे दो भाई और एक बहिन हैं। तीसरे भाई गंगाधर जी 1983 से प्रचारक हैं। गरीबी के कारण लक्ष्मणराव की पढ़ाई मैट्रिक तक ही […] Read more » Featured karyakarta laxmanrao pardikar अविश्रांत कार्यकर्ता लक्ष्मणराव पार्डीकर
कहानी साहित्य खुशी December 26, 2015 | Leave a Comment मेरे घर के पास ही रविवार को पटरी बाजार लगता है। मैं अपनी जरूरत का अधिकांश सामान वहीं से खरीदने की कोशिश करता हूं। वहां से न मिले, तो फिर किसी छोटी दुकान को प्राथमिकता देता हूं। हो सकता है आप इसे सस्ते-महंगे या और किसी कसौटी पर परखें; पर इसके पीछे एक घटना है। […] Read more » Featured खुशी
कहानी जरूरत December 15, 2015 | 1 Comment on जरूरत शराब को प्रायः सभी जगह बुरा माना जाता है; पर क्या यह किसी की जरूरत भी हो सकती है ? शायद हां, शायद नहीं। अब तक तो मैं इसे खराब ही नहीं, बहुत खराब समझता था; पर कल जग्गू ने मुझे इसके दूसरे पक्ष पर सोचने को मजबूर कर दिया। जग्गू यानि जगमोहन हमारे मोहल्ले […] Read more » जरूरत
कहानी बच्चों का पन्ना साइकिल December 13, 2015 | Leave a Comment राजू कई दिन से साइकिल सीखने की जिद कर रहा था। उसके साथ के कई लड़के साइकिल चलाते थे; पर उसके घर वालों को लगता था कि वह अभी छोटा है, इसलिए चोट खा जाएगा। अतः वे हिचकिचा रहे थे। यों तो घर में एक साइकिल थी, जिसे पिताजी चलाते थे; पर वह बड़ी थी। […] Read more » साइकिल
महिला-जगत विविधा नारी शक्ति का सदुपयोग November 27, 2015 / November 27, 2015 | Leave a Comment नारियांे का परिवार और देश के विकास में योगदान कैसे हो, इस पर लोगों के अलग-अलग मत हैं। कुछ उनका स्थान घर बताते हैं, तो कुछ ‘लड़का-लड़की एक समान’ की बात कहते हैं। पिछले दिनों महिलाओं को वायुसेना में लड़ाकू विमान उड़ाने की अनुमति मिली है। यद्यपि विमान तो वे काफी समय से उड़ा रही […] Read more » Featured usefulness of women power नारी शक्ति नारी शक्ति का सदुपयोग