वर्त-त्यौहार यह कैसी दीवाली ? October 25, 2011 / December 5, 2011 | 1 Comment on यह कैसी दीवाली ? विजय कुमार दीवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत का विजय पर्व है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। भारतवासी ज्ञान के पुजारी हैं। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ कहकर प्रकाश का स्वागत और अभिवंदन किया है। जन-जन के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी द्वारा रावण वध के बाद अयोध्या आने पर अयोध्या के […] Read more » Diwali दीवाली
विविधा डॉ. अम्बेडकर का मत परिवर्तन और बौद्ध धर्म October 14, 2011 / December 5, 2011 | 6 Comments on डॉ. अम्बेडकर का मत परिवर्तन और बौद्ध धर्म 14 अक्तूबर पर विशेष वर्तमान भारत में जब-जब भगवान बुद्ध को स्मरण किया जाता है, तब-तब स्वाभाविक रूप से बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर का भी नाम लिया जाता है। क्योंकि स्वतंत्रता के बाद बहुत बड़ी संख्या में एक साथ डा0 अम्बेडकर के नेतृत्व में ही मत परिवर्तन हुआ था। 14 अक्तूबर, 1956 को नागपुर […] Read more » Bhimrao Ambedkar buddhism दीक्षा बौद्ध धर्म भीमराव अंबेडकर
विविधा दिशा शूल October 12, 2011 / December 5, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार कल मैं दफ्तर से आकर बैठा ही था कि शर्मा मैडम का फोन आ गया। उनकी आवाज से लग रहा था कि वे किसी संकट में हैं। पूछने पर पता लगा कि संकट में वे नहीं, उनके पति हैं। शर्मा जी मेेरे पुराने मित्र हैं। वे संकट में हों, तो मेरा घर में […] Read more »
विविधा पारदर्शिता के पक्षधर October 12, 2011 / December 5, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी हमारे मोहल्ले के एक जागरूक नागरिक हैं। देश में कोई भी घटना या दुर्घटना हो, उसका प्रभाव उनके मन-वचन और कर्म पर जरूर दिखाई देता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को वे मोहल्ले में झंडारोहण कराते हैं। कहीं बाढ़ या तूफान से जनहानि हो जाए, तो वे चंदा जमा करने […] Read more » favoraa of transparency पारदर्शिता
व्यंग्य वक्तव्य की तैयारी September 28, 2011 / December 6, 2011 | 1 Comment on वक्तव्य की तैयारी विजय कुमार भारत सरकार चाहती है कि देश में शांति रहे। देश में भले ही न रहे; पर दिल्ली में अवश्य रहे, चूंकि राजधानी होने के कारण यहां की राई को भी मीडिया वाले पहाड़ बनाकर पूरे देश और दुनिया में दिखा देते हैं। बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के आंदोलन से हुई छीछालेदर के […] Read more »
विविधा मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना August 29, 2011 / December 6, 2011 | 1 Comment on मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना विजय कुमार अन्ना हजारे के आंदोलन से छात्र हो या अध्यापक, किसान हो या मजदूर, व्यापारी हो या उद्योगपति; सब प्रभावित हैं। यह बात दूसरी है कि कानून बनाने वाले अभी कान में तेल डाले बैठे हैं। शर्मा जी का खाद बनाने का एक छोटा सा कारखाना है। पिछले बीस साल से वे इससे ही […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे
विविधा खुजली के पुराने मरीज August 27, 2011 / December 7, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार खुजली एक जाना-पहचाना चर्म रोग है। कहते हैं कि यह किसी को हो जाए, तो आसानी से पीछा नहीं छोड़ता। छोड़ भी दे, तो फिर कब उभर आयेगा, यह निश्चित नहीं है। शारीरिक खुजली की तरह ही कुछ वैचारिक और मानसिक खुजली भी होती है। वन्दे मातरम्, भगवा ध्वज, अखंड भारत, हिन्दी, हिन्दू, […] Read more »
विविधा व्यंग्य व्यंग / आवाज दो, हम एक हैं August 24, 2011 / December 7, 2011 | 1 Comment on व्यंग / आवाज दो, हम एक हैं विजय कुमार यों तो भारत की राजधानी दिल्ली में नार्थ और साउथ ब्लाक मानी जाती हैं; पर अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण पिछले कुछ दिनों से वह रामलीला मैदान में पहुंच गयी है। नार्थ और साउथ ब्लाक में बड़े अधिकारी और मंत्री बैठते हैं। आम आदमी का प्रवेश वहां वर्जित है; पर रामलीला मैदान […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे भ्रष्टाचार
विविधा प्रश्न नीति का नहीं, नीयत का भी है August 19, 2011 / August 19, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार किसी भी काम या अभियान की सफलता में नीति और नीयत दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना हजारे द्वारा चलाये जा रहे जन आंदोलन पर सरकार की प्रतिक्रिया को इन दोनों कसौटियों पर कसने का प्रयास होना चाहिए। नीति का अर्थ है नियम। राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो संविधान के […] Read more » अन्ना हजारे बाबा रामदेव भष्टाचार
राजनीति मनमोहन सिंह का सुराज चिंतन August 17, 2011 / December 7, 2011 | 1 Comment on मनमोहन सिंह का सुराज चिंतन विजय कुमार 15 अगस्त हमारा स्वाधीनता दिवस है। इस दिन प्रधानमंत्री महोदय लालकिले से भाषण देते हैं। इसमें वे देश और विदेश की नीति तथा अपनी उपलब्धियों की चर्चा करते हैं। इस भाषण के बारे में चिंतन-मनन काफी पहले से होने लगता है। पिछले दिनों इसी चिंतन में डूबे मनमोहन जी को बैठे-बैठे झपकी लग […] Read more » Manmohan Singh डॉ. मनमोहन सिंह
राजनीति शिक्षा वहां, राजनीति यहां August 8, 2011 / August 8, 2011 | 1 Comment on शिक्षा वहां, राजनीति यहां विजय कुमार भारत में अधिकांश राजनेता धरती की राजनीति करने का दावा करते हैं, फिर भी धरातल की समस्याएं नहीं सुलझतीं। इसमें एक बड़ा दोष तो वंशवादी लोकतंत्र का है; पर उसके साथ ही उनके घरेलू संस्कार और शिक्षा का भी कुछ दोष हो सकता है। भारत के प्रायः सभी बड़े एवं स्थापित नेताओं के […] Read more » शिक्षा
विविधा व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय चरित्र July 28, 2011 / December 8, 2011 | 1 Comment on व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय चरित्र विजय कुमार पिछले दिनों अमरीका में ‘कश्मीर अमेरिकन सेंटर’ चलाने वाले डा0 गुलाम नबी फई तथा उसका एक साथी पकड़े गये हैं, जो कुख्यात पाकिस्तानी संस्था आई.एस.आई के धन से अवैध रूप से सांसदों एवं अन्य प्रभावी लोगों से मिलकर कश्मीर पर पाकिस्तान के पक्ष को पुष्ट करने का प्रयास (लाबिंग) करते थे। इसके लिए […] Read more » national character राष्ट्रीय चरित्र