व्यंग्य व्यंग्य : नेता जी का डी.एन.ए July 27, 2011 / July 27, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार कम उम्र में ही घरेलू झंझटों में उलझ जाने के कारण मैं अधिक पढ़ नहीं सका, इसलिए मैं डी.एन.ए का अर्थ दीनानाथ अग्रवाल या दयानंद ‘अलबेला’ ही समझता था; पर पिछले दिनों अखबार में पढ़ा कि वैज्ञानिकों ने आलू के डी.एन.ए की खोज कर ली है। मुझे बहुत गुस्सा आया। क्या जरूरत थी […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य : इस देश का यारों क्या कहना.. July 20, 2011 / December 8, 2011 | 1 Comment on व्यंग्य : इस देश का यारों क्या कहना.. विजय कुमार छात्र जीवन से ही मेरी आदत अति प्रातः आठ बजे उठने की है; पर आज सुबह जब कुछ शोर-शराबे के बीच मेरी आंख खुली, तो घड़ी में सात बज रहे थे। आंख मलते हुए मैंने देखा कि मोहल्ले में बड़ी भीड़ थी। कुछ पुलिस वाले भी वहां दिखाई दे रहे थे। मोहल्ले की […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य: तिहाड़ मंत्रिमंडल July 16, 2011 / December 8, 2011 | 2 Comments on व्यंग्य: तिहाड़ मंत्रिमंडल विजय कुमार लिखने-पढ़ने का स्वभाव होने से कई लाभ हैं, तो कई नुकसान भी हैं। मोहल्ले-पड़ोस में किसी बच्चे को कोई निबन्ध लिखना हो या किसी वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना हो, तो उसके अभिभावक अपना सिर खपाने की बजाय उसे मेरे पास भेज देते हैं। कल भी ऐसा ही हुआ। बाल की खाल निकालने […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार
धर्म-अध्यात्म गुरुपूर्णिमा (15 जुलाई) पर विशेष July 13, 2011 / December 9, 2011 | Leave a Comment तस्मै श्री गुरवे नमः भारतीय जीवन परम्परावादी है। हमारे ऋषि-मुनियों ने बहुत सोच विचार कर, ज्ञान, विज्ञान और समय की कसौटी पर सौ प्रतिशत कस कर कुछ परम्पराओं का निर्माण किया। इन्हीं के कारण हजारों सालों के विदेशी और विधर्मी आक्रमण के बाद भी भारत बचा हुआ है। ऐसी ही एक परम्परा है श्री गुरुपूर्णिमा […] Read more » Guru poornima गुरुपूर्णिमा
व्यंग्य ठोकपाल विधेयक June 27, 2011 / December 9, 2011 | 2 Comments on ठोकपाल विधेयक विजय कुमार चिरदुखी शर्मा जी हर दिन की तरह आज भी चौराहे पर मिले, तो उनका गुस्सा छिपाए नहीं छिप रहा था। मिलते ही उन्होंने बगल में दबा अखबार मेरे हाथ में थमा दिया। – लो पढ़ो। मैं तो पहले से यही कह रहा था। – क्या बात हो गयी शर्मा जी, इन दिनों दिल्ली […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार लोकपाल
राजनीति डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान June 22, 2011 / December 11, 2011 | 14 Comments on डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान बलिदान दिवस 23 जून पर विशेष विजय कुमार डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पिता श्री आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के संस्थापक उपकुलपति थे। उनके देहांत के बाद केवल 23 वर्ष की अवस्था में श्यामाप्रसाद जी को वि0वि0 की प्रबन्ध समिति में ले लिया गया। 33 वर्ष की छोटी अवस्था में ही वे कलकत्ता वि0वि0 के उपकुलपति […] Read more » bjp जनसंघ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भाजपा
राजनीति राजनीतिक सफलता के सूत्र June 18, 2011 / December 11, 2011 | 1 Comment on राजनीतिक सफलता के सूत्र विजय कुमार जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के अलग-अलग सूत्र हैं। राजनीतिक क्षेत्र में सफलता का अर्थ चुनावी जीत है। चुनाव में सर्वाधिक महत्व मुद्दों का है। हर चुनाव में कोई एक मुद्दा जनता के मन में बैठ जाता है। इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ के नारे पर 1971 का चुनाव जीता था; पर […] Read more » Congress कांग्रेस भाजपा राजनीति
धर्म-अध्यात्म संतों के सामाजिक सरोकार June 17, 2011 / December 11, 2011 | 7 Comments on संतों के सामाजिक सरोकार विजय कुमार बाबा रामदेव के अनशन से जिनके स्वार्थों पर आंच आ रही थी, ऐसे अनेक नेताओं ने यह टिप्पणी की, कि बाबा यदि संत हैं, तो उन्हें अपना समय ध्यान, भजन और पूजा में लगाना चाहिए। यदि वे योग और आयुर्वेद के आचार्य हैं, तो स्वयं को योग सिखाने और लोगों के इलाज तक […] Read more » Sant संत
राजनीति हर मर्ज में अमलतास, मर्ज की जड़ कांग्रेस घास June 10, 2011 / December 11, 2011 | 4 Comments on हर मर्ज में अमलतास, मर्ज की जड़ कांग्रेस घास विजय कुमार दिल्ली में गरमी बढ़ने के साथ ही कांग्रेस वालों को भी पागलपन के दौरे पड़ने लगे हैं। मैडम इटली और राहुल बाबा हर बार की तरह चुप हैं; पर उनके भोंपू दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल और चिदम्बरम् लगातार बोल रहे हैं। उन्हें अपनी आदत के अनुसार अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन […] Read more » Congress कांग्रेस पागलपन
व्यंग्य थोड़े-थोड़े सब दुखी… June 10, 2011 / December 11, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार पिछले दिनों बहुत वर्षों बाद एक मित्र से मिलना हुआ। मैं उनके मोटापे पर आश्चर्यचकित हुआ, तो वे मेरे हल्केपन पर। उन्हें लगा कि मैं किसी बात से दुखी हूं। मैंने उन्हें बताया कि इसका कारण कोई रोग या शोक नहीं है। मैं तो अपने प्यारे भारत के भविष्य की चिंता में दुबला […] Read more »
व्यंग्य एक सेक्यूलर की मौत May 30, 2011 / December 12, 2011 | 7 Comments on एक सेक्यूलर की मौत विजय कुमार परमपिता परमेश्वर ने इस सृष्टि के निर्माण में बड़ा शारीरिक और मानसिक श्रम किया। उन्होंने धरती-आकाश, सूरज-चांद-सितारे, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, पर्वत-नदियां, जलचर-थलचर.. न जाने क्या-क्या बनाया। फिर भी वे एक प्रजाति बनानी भूल गये। वह है सेक्यूलर। सेक्यूलर की कोई परिभाषा आज तक निश्चित नहीं हुई। इसके लिए भारतीय भाषाओं में कोई अच्छा […] Read more » secularism धर्मनिरपेक्षता सेकुलरिज्म
राजनीति घोषणापत्र बैठक May 22, 2011 / December 12, 2011 | 1 Comment on घोषणापत्र बैठक विजय कुमार बात उन दिनों की है, जब मोतीलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे। एक बार उनकी ब्रैड पकौड़े जैसी लाल और फूली हुई नाक देखकर किसी ने इसका कारण पूछा, तो वे फट पड़े – भैया, गांधी बाबा का राज अगर भारत में आ गया, तो किसी को जुकाम नहीं होगा। – क्या मतलब […] Read more » घोषणापत्र