प्रवक्ता न्यूज़ कितनी छुट्टियां मनाएंगे हम ? August 4, 2012 / August 6, 2012 | 1 Comment on कितनी छुट्टियां मनाएंगे हम ? विजय कुमार भारत की अनेक विशेषताएं हैं, जो इसे दुनिया के अन्य देशों से बिल्कुल अलग खड़ा कर देती हैं। इनमें से एक है सरकारी कार्यालयों में होने वाली असीमित छुट्टियां। 15 अगस्त, 1947 को स्वाधीनता प्राप्ति के बाद प्रधानमंत्री नेहरू जी ने ‘आराम हराम है’ का नारा दिया था; पर जो कुप्रथाएं वे डाल […] Read more »
व्यंग्य उन्होंने तय कर लिया है July 23, 2012 | 2 Comments on उन्होंने तय कर लिया है विजय कुमार अभी सुबह ठीक से हुई भी नहीं थी। प्रातःकालीन चाय का तीसरा कप मेरे हाथ में था कि शर्मा जी टपक पड़े। उनके एक हाथ में मिठाई का डिब्बा और दूसरे में बहुत भारी माला थी। कलफदार धुले हुए कपड़े पहने शर्मा जी के चेहरे से प्रसन्नता ऐसे फूट रही थी, मानो बिना […] Read more »
राजनीति शर्मनिरपेक्षता July 16, 2012 | 1 Comment on शर्मनिरपेक्षता विजय कुमार शर्मा जी यों तो हर समय राजनीतिक मूड में रहते हैं; पर यदि उनके हाथ में ताजा समाचार पत्र हो, तो समझिये कि वे बहस पर उतारू हैं। सामने जो भी मिल जाए, वे बहस शुरू कर देंगे। – वर्मा, देश में धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री हो, इसमें बुरी बात क्या है ? – शर्मा […] Read more » pseudo secularism छद्मधर्मनिरपेक्षता
प्रवक्ता न्यूज़ कश्मीर: समस्या और समाधान / विजय कुमार July 4, 2012 | 3 Comments on कश्मीर: समस्या और समाधान / विजय कुमार विजय कुमार कश्मीर के बारे में कई बार वार्ताएं हो चुकी हैं, उसी कड़ी में इस बार वार्ताकारों की रिपोर्ट आयी है। वार्ताकारों के निष्कर्ष वही हैं, जो अलगाववादी और पाकिस्तान प्रेरित देशद्रोही नेता लम्बे समय से बता रहे हैं। इस पर अधिक कुछ कहने की बजाय कश्मीर समस्या के मूल में जाकर उसके निदान […] Read more » जम्मू-काश्मीर
व्यंग्य व्यंग्य बाण : इतनी सुरक्षा और कहां ? June 18, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी के मौहल्ले में जब एक ही महीने में तीसरी बार चोरी हो गयी, तो लोगों के धैर्य का बांध टूट गया। कोई इसे हाइटैक चोरों की चालाकी बता रहा था, तो कोई पुलिस से मिलीभगत। कुछ इसे मोहल्ले वालों की लापरवाही बताकर मामला रफादफा करना चाहते थे; पर काफी सिरखपाई के […] Read more »
राजनीति हल्की फूंक से ही कांपने लगते हैं वामपंथी / विजय कुमार May 29, 2012 / June 28, 2012 | 9 Comments on हल्की फूंक से ही कांपने लगते हैं वामपंथी / विजय कुमार विजय कुमार संघप्रेरित विचार मंच (Think tank) ‘भारत नीति प्रतिष्ठान’ (India policy foundation) का मुख्यालय दिल्ली में है तथा इसका संचालन दिल्ली वि0वि0 में प्राध्यापक प्रो0 राकेश सिन्हा करते हैं। यह संस्था विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श के लिए प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों को बुलाती रहती है। पिछले दिनों समान्तर सिनेमा पर आयोजित एक गोष्ठी में वामपंथी लेखक […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मंगलेश डबराल वैचारिक अश्पृश्यता
विविधा चलो, कुछ समाजसेवा ही हो जाए May 29, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार हर दिन मिलने वाले शर्मा जी पिछले एक सप्ताह से नहीं मिले, तो मैंने फोन मिलाया। पता लगा कि वे हैं तो नगर में ही; पर जरा व्यस्त हैं। खैर, दो दिन बाद उनके दर्शन हो ही गये। – क्या बात है शर्मा जी, इतनी व्यस्तता ठीक नहीं है कि मित्रों को ही […] Read more » समाजसेवा
विधि-कानून लोकपाल विधयेक और नैतिक शिक्षा May 20, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार पिछले एक साल से लोकपाल विधेयक पर बार-बार चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसके समर्थक हैं और कुछ विरोधी। कुछ लोग अन्ना हजारे की टीम द्वारा बनाये गये प्रारूप को जस का तस स्वीकार करने के पक्षधर हैं, तो कुछ लोग कांग्रेस वाले प्रारूप को। अन्य दलों और संस्थाओं का भी इस […] Read more » नैतिक शिक्षा लोकपाल
चुनाव चुनाव व्यवस्था में परिवर्तन April 22, 2012 / April 22, 2012 | 2 Comments on चुनाव व्यवस्था में परिवर्तन विजय कुमार परिवर्तन की बात करना राजनेताओं और समाजसेवियों में प्रचलित एक फैशन है; पर यह परिवर्तन लोकतन्त्र की मर्यादा में होना चाहिए। यद्यपि वर्तमान चुनाव प्रणाली भी पूर्णतया लोकतान्त्रिक ही है; पर भ्रष्टाचार, जातिवाद, मजहबवाद, क्षेत्रीयता, महंगाई, अनैतिकता और कामचोरी लगातार बढ़ रही है। इसका कारण यह दूषित चुनाव प्रणाली ही है। दुनिया में […] Read more » चुनाव व्यवस्था
व्यंग्य जनसेवा को आतुर April 22, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार पिछले रविवार को मैं समाचार पत्र के साथ चाय की चुस्कियों का आनंद ले रहा था कि अचानक फोन की घंटी बज उठी। सामान्यतः रविवार को फुरसत रहती है। ऐसे में खीर में कंकड़ की तरह कोई आ टपके, तो खराब तो लगता ही है; पर कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उन्हें […] Read more »
राजनीति आगे की सुधि लेय / विजय कुमार April 13, 2012 | Leave a Comment पिछले दिनों सम्पन्न हुए पांच राज्यों के चुनावों के बारे में बहुत कुछ कहा और लिखा गया है। ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ के अनुसार सबने इनका आकलन अपनी-अपनी तरह से किया है। किसी को इसमें राष्ट्रीय दलों का पराभव दिखाई दे रहा है, तो किसी को मजहबी शक्तियों का उभार। […] Read more » कांग्रेस बसपा भाजपा सपा
विविधा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन April 13, 2012 / April 13, 2012 | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी होली पर मिले, तो उनके चेहरे का उल्लास बता रहा था कि उन्होंने कुछ विशेष उपलब्धि पाई है। – क्या बात है शर्मा जी, आज तो… ? – बस पूछो मत वर्मा, एक राष्ट्रीय हिन्दी कवि सम्मेलन में भाग लेने का निमन्त्रण मिला है। – पर आपका तो कविता से दूर […] Read more » कवि सम्मेलन