धार्मिक शिक्षा के कारण शक्तिशाली बना कायर व कायर बना शक्तिशाली

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दिव्य अग्रवाल

अभी तक चीरहरण होने वाली न द्रोपदीयो की संख्या रुकी, न चीरहरण करने विधर्मियो वालो की , संख्या रुकी तो सिर्फ रक्षा करने वाले गोविंदा की । क्योंकि सनातनियो को कायर बनाने के षड्यंत्र के चलते सर्वश्रेष्ठ धर्मयोद्धा योगिराज श्री कृष्ण भगवान् के योध्य स्वरूप को रसिक रूप में परिवर्तित करने वाली विधर्मी नीति का अनुशरण क़र आज सनातनी धर्म गुरु स्वम धन , वैभव , परस्त्री गमन व् वासना की लिप्सा से ग्रसित हैं। जिस कारण सनातनियो को शौर्यता व् पराक्रम करने हेतु उचित मार्गदर्शन ही प्राप्त नहीं है, अन्यथा क्या कारण रहा होगा की जिन कायर व् अकर्मण्य हिन्दुओ ने भय , लालच व् मृत्यु के डर से कुछ वर्ष पूर्व इस्लाम को स्वीकार किया था आज वही परिवर्तित रक्त की संताने उन सनातनियो को भयभीत करने में सफल हो रही हैं जिनके पूर्वजो ने शौर्यता का परिचय देकर इस सनातनी पीढ़ी को स्वधर्म में जीवन व्यापन करने का गौरवपूर्ण अवसर दिया था । विधर्मियो के विरुद्ध हिंसा करके मानवता की रक्षा करना ही मात्र एक धर्म है ऐसा कहने वाले भगवान नारायण द्वारा रचित श्री भगवद गीता के ज्ञान को सनातनी हिन्दुओ तक पहुंचाने में सनातनी धर्म गुरु व् धर्म प्राचरक पूर्ण रूप से असफल सिद्ध हुए इसको कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए । जबकि अपनी बौद्धिक क्षमता का उपयोग क़र एक मजहबी व्यक्ति ने ऐसी मानसिकता को स्थापित किया जिसको पढ़कर,समझकर या सुनकर, शिक्षित हो या अशिक्षित व्यक्ति , मजहब के प्रति इतना कटटर बन जाता है जिसके कारण श्रद्धा को पैतीस टुकड़ो में काटने वाले आफताब जैसे नरपिशाचों को यह कुकर्म भी इतना पाक नजर आता है जिसके चलते उसे मौत की सजा का भी भय नहीं  क्योंकि  ऊपर उसका इंतजार ७२ हूरें क़र रही है । अब ऐसी मजहबी शिक्षा को दोषी न मानकर आफताब को, जो वामपंथी लोग मानसिक बीमार कह रहे हैं वास्तव में वो स्वम मानसिक दिवालिया हो चुके हैं । क्योंकि ७२ हूरों की प्राप्ति व काफिरो की हत्या का लक्ष्य एक आफताब का नहीं अपितु पूरी मजहबी कौम का है । यदि अति शीघ्र ऐसी कट्टरपंथी शिक्षा पर सार्वजनिक रूप से विधि पूर्वक चर्चा नहीं हुई तो यह असफलता भारत की पूरी न्यायिक प्रणाली व व्यवस्था की होगी । 

दिव्य अग्रवाल

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