भारत में अंत्योदय के सिद्धांत के चमत्कारी परिणाम

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अशोक बजाज

असाधारण प्रतिभा के धनी एवं महान आर्थिक चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय ने पूंजीवाद, साम्यवाद और समाजवाद के मुकाबले एकात्म मानव दर्शन के माध्यम से अंत्योदय के सिद्धांत को प्रतिपादित कर देश में समग्र विकास की दिशा तय की थी । उन्होने कहा कि यहां अमीरी व गरीबी के बीच की खाई दिनों दिन गहरी होती जा रही है । एक ओर जहां बहुसंख्यक लोग गरीबी, बेकारी और भुखमरी से जूझ रहे हैं तो दूसरी ओर समाज में ऐसे भी लोग हैं जिसके पास बेशुमार धन सम्पदा है। इस आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए ‘‘अंत्योदय’’ का रास्ता बताते हुये पं. दीनदयाल जी ने कहा कि हमारे प्रयास और हमारी विकास की योजनाएं ऐसी हों कि समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति का विकास पहले हो । समाज के उपेक्षित व शोषित व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर आर्थिक समानता स्थापित करने का काम अन्त्योदय के सिद्धांत से ही हो सकता है ।
व्यावहारिक जीवन में धनोपार्जन करना हर मनुष्य का कर्तव्य है क्योंकि उसे अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित साधनों से पूरा करना है, लेकिन केवल धनोपार्जन करना मनुष्य का एक मात्र उद्देश्य नहीं है । इस परिप्रेक्ष्य में पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा है ‘‘अर्थोपार्जन प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है, परंतु अर्थ के प्रति आसक्ति दुर्गुण ही का जाना चाहिए, संपत्ति की लालसा लिए हृदय देश-धर्म-समाज और संस्कृति से उदासीन हो जाता है । इस दुर्गुण से ग्रस्त व्यक्ति विवेकहीन और असामाजिक होता है । इससे उस व्यक्ति को तो कष्ट उठाने ही पड़ते हैं, साथ ही साथ समाज भी प्रभावित होता है । ऐसा व्यक्ति अर्थ को साधन नहीं केवल साध्य समझने लगता है । चूंकि संपत्ति से प्राप्त विषय भोगों की कोई सीमा नहीं होती इसलिए ऐसे व्यक्ति के साथ साथ समाज के भी भ्रष्ट और अकर्मण्य होने की आशंका रहती है ।’’
देश में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसकी कमाई सीमित है, अपनी दैनंदिनी की आवश्यकता की आपूर्ति उसके लिए कठिन और दुष्कर कार्य है । यह तबका आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ है । इन्हें अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है । इस तबके के लोग परस्पर सहयोग व समन्वय से अपनी आर्थिक गतिविधियों का संचालन करते हैं तथा अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं । अंगे्रजों के शासनकाल में इस वर्ग का काफी आर्थिक शोषण हुआ। इन्हें ना ही अपने श्रम का उचित मूल्य मिलता था और ना ही सम्मानजनक जीने का अवसर। अतः ये जमीदारों व साहूकारों के चंगुल में फंस कर गरीबी, बेकारी व भुखमरी के शिकार हो गये । उन्हें अपने जीवन यापन के लिए बंधुआ मजदूरी भी करनी पड़ी ।
अमीरी व गरीबी की खाई के साये में सन् 1947 में आजाद भारत का जन्म हुआ लेकिन दिशाहीनता के कारण यह समस्या नासूर बन गई। तब पं. दीनदयाल उपाध्याय ने असमानता की खाई को पाटने के लिए अंत्योदय के सिद्धांत का प्रतिपादन किया । उन्होने कहा कि ‘‘हमारी भावना और सिद्धांत है कि वह मैले कुचैले, अनपढ़ लोग हमारे नारायण हैं, हमें इनकी पूजा करनी है, यह हमारा सामाजिक व मानव धर्म है, जिस दिन हम इनको पक्के सुंदर, स्वच्छ घर बनाकर देंगें, जिस दिन इनके बच्चों और स्त्रियों को शिक्षा और जीवन दर्शन का ज्ञान देंगें, जिस दिन हम इनके हाथ और पांव की बिवाईयों को भरेंगें और जिस दिन इनको उद्योंगों और धर्मो की शिक्षा देकर इनकी आय को ऊंचा उठा देंगें, उस दिन हमारा मातृभाव व्यक्त होगा ।’’ पं. उपाध्याय ने अपने अंत्योदय सिद्धांत में कहा है कि आर्थिक असमानता की खाई को पाटने के लिए आवश्यक है कि हमें आर्थिक रूप से कमजोर लोंगों के उत्थान की चिन्ता करनी चाहिए क्योंकि अर्थ का अभाव और अर्थ का प्रभाव दोनों समाज के लिए घातक है । हमारी नीतियां, योजनाएं व आर्थिक कार्यक्रम कमजोर लोगों को उपर लाने की होनी चाहिए ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें और उन्हें भी समाज के अन्य वर्ग के साथ बराबरी में खड़े होने का अवसर मिल सके।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 3 वर्षीय कार्यकाल पर नजर डालें तो हमें ज्ञात होगा कि उन्होंने पं. दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांत से प्रेरित होकर अनेक योजनाएं बनाई हैं । समाज के प्रत्येक व्यक्ति को लक्ष्य करके उन्होने ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ को ध्येय वाक्य के रूप में स्वीकार किया तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय की कल्पना को साकार करने तथा आम जनता की बेहतरी के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं । सरकार की नीतियों एवं योजनाओं से देश में एक नया बदलाव आया है । केन्द्र सरकार अंत्योदय के सिद्धांत के चलते देश भर में आवासहीनों को आशियाना दिलाने के लिए ‘‘प्रधानमंत्री आवास योजना’’ चला रही है । इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2018 तक हर व्यक्ति को आशियाना मुहैया कराना है । सरकार द्वारा ‘‘उज्जवला योजना’’ के माध्यम से हर गरीब परिवार को मुफ्त में रसोई गैस का सिलेन्डर प्रदान किया जा रहा है । कल तक रसोई गैस गरीब परिवारों के लिए केवल एक सपना था लेकिन वर्तमान सरकार ने इस सपने का साकार कर दिखाया है । इसी प्रकार ‘‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’’ ने ऐसा चमत्कारी परिणाम दिया कि देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के बैंकों में खाते खुल गये । इस योजना के पहले तक उनका बैंक की डयोढ़ी तक पहुंचना बड़ा दुष्कर कार्य था । प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना अति न्यून प्रीमियम वाली अनोखी योजना है, इस योजना में सरकार ने मात्र 12 रू. के वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख रू. का बीमा करने का प्रावधान किया है । ये ही नहीं बल्कि सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना लागू कर न्यूनतम ब्याज दर पर बिना गारण्टी के ऋण प्रदान कर छोटे, लघु व कुटीर उद्योंगों के उन्नयन का काम किया है । इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना तथा स्किल इंडिया के अंतर्गत नवजवानों के कौशल विकास की योजना संचालित की जा रही है । स्टार्ट-अप एवं स्टैण्ड-अप योजना के अंतर्गत युवा बेरोजगारों को स्व-रोजगार स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है । इससे ना केवल स्वरोजगार स्थापित हो रहा है बल्कि नये रोजगार का भी सृजन हो रहा है । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विद्युत अधोसंरचना को मजबूत कर प्रत्येक आबादी क्षेत्र को रोशन करने के लिए दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना प्रारंभ की है । इसी प्रकार शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक विकास की असंख्य योजनाएं देश भर में चल रही है । इन योजनाओं के माध्यम से भारत के आम आदमी के जीवन-स्तर को सुधारने तथा उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के तेजी से प्रयास हो रहे हैं । इन योजनाओं का निर्माण उन व्यक्तियों को लक्ष्य करके किया गया है जिन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय ने ‘‘समाज के अंतिम व्यक्ति’’ की संज्ञा देकर सबसे पहले उनके उदय (विकास) की बात रखते हुये अंत्योदय का सिद्धांत प्रतिपादित किया था । केन्द्र सरकार का लक्ष्य अन्त्योदय, प्रण अन्त्योदय व पथ अन्त्योदय का ध्येय लेकर आगे बढ़ रही है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने के निर्णय तथा इस संबंध में बनी कल्याणकारी योजनाओं से देश में बहुत बड़ा बदलाव दृष्टिगोचर हो रहा है ।
पं. दीनदयाल उपाध्याय ने दशकों पूर्व जब अन्त्योदय के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था तब शायद अधिकांश लोंगों को यह समझ ना आया हो लेकिन सारा विश्व भारत में अन्त्योदय के सिद्धांत के चमत्कारी परिणाम को महसूस कर रहा है ।
– अशोक बजाज

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