भोलाराम का प्रजातंत्र

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- yuva
जब पवित्र पावक मनमोहक‌
दिन चुनाव का आता है
भोलाराम निकलकर घर से
वोट डालने जाता है|
किसे चुने या किसे वोट दें
नहीं समझ वह पाता है
सौ का नोट उसे जो देता
वह उसका हो जाता है|
दो दिन पहले तक चुनाव के
लोग कई घर आते हैं
लालच देकर हाथ जोड़कर‌
हर कोई उसे मनाता है|
हर आने वाले से कहता
वोट तुम्हें ही हम देंगे
किंतु वोट किसको देना है
वही समझ न पाता है|
अंतिम दिन जो दर पर आकर‌
दारू और कंबल देता
बिना किसी भी सोच समझ के
वोट उसे दे आता है|
हर चुनाव में इसी तरह से
वोटर वोट दिया करते
इसीलिये तो भारत पुख्ता
प्रजातंत्र कहलाता है|

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