बसपा के रिजेक्टेड माल पर भाजपा में घमासान ?(BJP and Babu Singh Kushwaha)

शादाब जफर‘शादाब’

आड़वाणी जी राम मंदिर निर्माण व भाजपा को सत्ता दिलाने के लिये छठी बार यात्रा के रथ पर सवार थें। और मुस्लिम लोगो को लुभाने और इन के वोट हासिल करने के लिये आडवाणी जी पाकिस्तान जाकर मि0 जिन्ना की तारीफ भी कर के चारो ओर से आलोचनाए भी चुके है। वैसे उन की कुण्डली में प्रधानमंत्री बनना लिखा है या नही ये तो 2014 के होने वाले लोकसभा चुनाव परिणामो के बाद ही पता चलेगा पर जिस प्रकार भाजपा में पहले प्रधानमंत्री पद को लेकर द्वंद मचा था और अब बसपा से भ्रष्टाचार के आरोपो में निकाले गये बाबू सिंह कुशवाहा को लेकर भाजपा में वबाल मचा है उस से लगता कि आडवाणी जी का बुढापा चैन से कटने वाला नही। उत्त्र प्रदेश में विधान सभा चुनाव दहलीज पर है और उसी के साथ शुरू हो गया है दलबदलुआ का खेल आज प्रदेश की सारी पार्टियो में दलबदलू प्रवेश पाने की जुगत में लगे है।उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के खासमखास रह चुके पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और पूर्व श्रममंत्री बादशाह सिंह भाजपा में शामिल हो गयें। पर एक ही दिन में बाबू सिंह कुशवाहा के नाम पर भाजपा में दरार पड़ गई है। एक ओर कुशवाहा के पेरोकार और सर्मथन में नितिन गड़करी, विनय कटियार, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, मुख्तार अब्बास नकवी आ गये है। वही दूसरी और कुशवाहा को लेकर लाल कृष्ण आड़वाणी, सुषमा स्वराज, और अरूण जेटली विरोध में आ खडे हुए है। मुख्तार अब्बास नकवी ने कुश्वाहा और बीजेपी का बचाव ये कहकर किया की भाजपा गंगा समान है और लोग इस में अपने पाप धोने आ रहे है। पर नकवी साहब के इतना कहने भर से मामला शांत होने वाला नही बात जनता, सर पे खडे विधान सभा चुनाव और पार्टी की छवि की है। क्यो की भजपा काफी दिनो से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरे हुए है कई संसद के सत्र इसी भाजपा के विरोध के कारण बरबाद हो चुके है।

कुशवाहा पर आड़वाणी जी का विरोध जायज है जिस भ्रष्टाचार के विरूद्व उन्होने यात्राए की देश के लोगो से भ्रष्टाचार के विरूद्व एकजुट होने का आह्वान किया आज उन की पार्टी खुद बसपा से निकाले गये दागी लोगो को लेकर उन के सहारे चुनाव लड़ना चाहती है। उन्हे लेकर प्रदेश में चुनावी सभाए करना चाहती है ऐसी दागी लोग जब मंच पर आड़वाणी, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली की बगल में बैठेगे तो जनता पर क्या असर पडेगा। क्या कहेगे ये लोग, यदि उसी जनता ने ये सवाल पूछ लिया कि आखिर भाजपा के अंगने में इन दागियो का क्या काम है तो भाजपा के ये दिग्गज जनता को क्या जवाब देगे। कुशवाहा और बादशाह सिंह को लेने में आखिर भाजपा ने इतनी जल्दी क्यो दिखाई, भाजपा को आखिर ऐसे लोगो की क्या जरूरत आ पड़ी। क्या भाजपा का अपना अलग वोट बैंक है, अपनी अलग पहचान है फिर इन दागी लोगो के सहारे अपने वरिष्ठ लोगो को नाराज कर क्यो अपनी चुनावी नय्या पार लगना चाहती है समझ नही आ रहा है।

आखिर कुशवाहा को भापजा में लेने के लिये नितिन गड़करी, विनय कटियार, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने वरिष्ठ साथियो के साथ मंथन क्यो नही किया। क्या भाजपा में आड़वाणी जी का सतबा घट गया या इन लोगो ने खुद को भाजपा का सब कुछ समझ लिया। आडवाणी जी का रूतबा यदि भाजपा में घट रहा है तो ये बेहद अफसोस की बात है। 84 बरस की जिंदगी का पड़ाव वो पड़ाव है जिस पर पहुँचने के बाद इन्सान का रूझान खुद ब खुद संसार से मुह मोड कर ईश्वर की तरफ चला जाता है उम्र के उस पडाव पर पहुचने के बाद भी आज भी आडवाणी जी राजनीति में सक्रिय है, तमाम सुख सुविधाआए होने के बावजूद भाजपा के लिये देश में रथ यात्रा के जरिये वोट मांगने निकले थे। इस उम्र में तो आड़वाणी जी को घर के किसे कोने में बैठकर राम नाम जपना चाहिये। पर उन्हे अपने से ज्यादा देश और अपनी पार्टी की चिंता है। पर आप और हम इतिहास कैसे ये बात भूल सकते है कि भाजपा के वरिष्ट नेता लाल कृष्ण आडवानी जी अपनी 14 वर्ष की आयु से जिस संघ सेवा मे लगे हुए है उस में भाजपा व संघ के लिये उन्होने अनेको बार ऐसे कार्य किये है। आज एक बाहरी आदमी के लिये यदि भाजपा में अपने पुराने लोगो पर उंगली उठे और उन की बात न मानी जाये कुछ क्षेत्रीय स्तर के राजनेता राष्ट्रीय स्तर के लोगो को पार्टी में हाशिये पर लाकर खड़ा कर दे तो ये उस पार्टी के लिये शर्म की बात है। वही आने वाले समय में होने वाले विधान सभा चुनाव में भाजपा को इस की बडी कीमत न चुकानी पड़े इस में भी कोई संदेह नही।

3 COMMENTS

  1. कांग्रेस की छलनी अपने छेदों की अपेक्षा बी जे पी की सुई के छेद को देखकर हर्षित है|
    पर —
    राजनीति सम्भावना का खेल है|
    आप को सभी बुराइयों में से कम से कम बुराई ही चुननी पड़ती है|
    बुद्ध होते, तो बोध गया चले गए होते ,और साधू होते तो हिमालय में|
    अब आप सज्जन लोग
    घर बैठे बीबी बच्चों में,
    अपनी अपनी सम्भालियो में,
    जी, भाड़ में जाय देश,
    तो फिर क्या अपेक्षा करते हो?
    न कोई ब्राह्मण, न कोई क्षत्रिय,
    और कोई भी शूद्र नज़र यहांपर|
    अपनी पूंजी बढ़ा ने के खातिर-
    सभी तो बनियाँ बने हुए है|

  2. भाजपा का दामन सफ़ेद है, उसका मामूली दाग भी साफ़ नजर आता है. लेकिन कोंग्रेस-बसपा-सपा की काली चादर पर बड़े से बड़ा दाग भी छिप जाता है.
    दूसरी बात मीडिया भी भाजपा को लेकर क्रूर है. इसलिए भाजपा को अतिओरिक्त सावधानी रखनी चाहिए और ऐसे प्रकरणों से बचना चाहिए.

  3. बीजेपी जब अपने को गंगा जैसी पवित्र नदी के समतुल्य समझने लगी तो इस अहंकार का कोई ईलाज नही.

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