भारत में केंद्र सरकार का आम बजट आयेगा ,आ रहा है ,आ गया और चला भी गया ,ज्वलंत समस्याएं जहाँ थीं वहीँ की वहीँ रह गई ,आम आदमी हताश निराश है,महंगाई की मार का मारा वह बेचारा सोच रहा है, की हमारे देश का वित्त मंत्री चिंता केवल चिंता व्यक्त कर रहा रहा है ,करने के लिए प्रणव दा बहुत कुछ कर भी सकते थे किन्तु क्या करे बिचारे महंगाई रोकने यदि वे वायदा कारोबार जिसे जुवे सट्टे के रूप में खेला जा रहा है के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाने या रोकने की कोशिश करेंगें तो उनके ही साथी नाराज़ हो जायेंगें,ऐसा लगता है की प्रमुख लोगों का हित इसमें निहित है ,अपनों की नाराजी दादा को मंज़ूर नहीं हैं,इसलिए उन्होंने 2G स्पेक्ट्रम घोटाले,भ्रष्टाचार के मुद्दे से देश की गरीब जनता का ध्यान हटाने का प्रयास किया है इसी वजह से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष करों में अतिरिक्त राजस्व वृद्धि का कोई प्रावधान नहीं किया गया,भटकती राह का भटकता मुसाफिर जैसा कृत्य करता है वैसा ही कृत्य दादा ने किया ,१.६ लाख की छूट सीमा को बढ़ाकर एक टाफी खरीदने लायक छूट सीमा बढ़ा कर१.८ लाख कर अपने आपको माध्यम वर्गीय लोगों का झूठा हिमायती सिद्ध करने की नाकामयाब कोशिश की है ,महिलाओं के लिए क्या कहें वित्त मंत्री जी को इस बात की टीस है की देश की राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष की नेता आज महिला हैं ,वे नहीं चाहते महिलाओं को राहत देना,इसलिए उन्होंने महिलाओं के लिए छूट सीमा नहीं बढाई हाँ उन्हें इस बात का ज़रूर ख़याल रहा की बुज़ुर्ग देश की अमूल्य धरोहर है , इस लिए उन्होंने एक विशिश्ष्ट वरिष्ठ नागरिक श्रेणी बनाकर ५ लाख तक की छूट देदी ,हम चाहतें हैं की उम्र के इस पड़ाव में ५ लाख ही नहीं बल्कि आयकर की सारी सीमाओं और सभी प्रावधानों से उनको पुर्णतः छूट दी जानी चाहिए क्यों की इससे देश के राजस्व पर कोई ख़ास फरक नहीं पड़ने वाला है ,ये केवल एक सन्देश है जो की ज़रूर दिया जाना चाहिए ,इस बात का भी हमें पता चल गया की अब देश में ६५ वर्ष नहीं बल्कि ६० वर्ष के होते ही हम वरिष्ठ नागरिक हो जायेंगें और २.५ लाख तक की छूट मिलेगी बचत के लिए धारा 80C में भी परिवर्तन अपेक्षित है ,सीमा भी बढ़नी चाहिए किन्तु दादा इस मसले पर भी चुप हैं,इस वर्ष GST ,DIRECT टैक्स कोड की केवल प्रक्रिया अपनाने का प्रयास मात्र किया गया है ,GST की शुरुआत के पूर्व केंद्र सरकार ने राजस्व वसूली के राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में घुसपैठ की है जिसे न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता .
कालेधन की रोक थाम के लिए कहा गया है की ५ सूत्रीय कार्यक्रमों की घोषणा की जायेगी ,इसमें भी ऐसा लगता है की केंद्र सरकार ऐसे लोगों को बचाव के लिए पूरा समय देना चाहती है,सरकार में प्रबल इच्छा शक्ति होती तो इसके लिए तुरंत ठोस कदम उठाती ,किन्तु आपातकाल में जिस प्रकार सूत्री २० सूत्री ५ सूत्री या अनेकानेक सूत्री कार्यक्रमों की घोषणा की गई थी उसी की पुनरावृती हो रही है इससे ज्यादा कुछ भी नहीं वित्त मंत्री जी को याद रखना होगा की देश की जनता कार्यक्रमों की घोषणाओं से उब चुकी है ,अब केवल परिणाम सिर्फ परिणाम चाहती है घोषणाओं से पेट नहीं भरता इसके लिए त्वरित कार्यवाही चाहिए .
देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए ५५४६९ करोड़ का प्रावधान किया गया है ,जिसमे छत्तीसगढ़ का हिस्सा तय नहीं हैं ,यह प्रदेश भारतवर्ष के द्रुत गति से विकसित होने वाले प्रदेशों की श्रेणी में माना जाता है ,किन्तु नक्सली समस्या से जूझ रहा है, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स तैनात हैं जिसके लिए ८५० करोड़ केंद्र सरकार को देना है ,मुख्यमंत्री रमण सिंह जी इसे माफ़ करने का आग्रह कई बार कर चुकें हैं किन्तु बजट में पैरा मिलिट्री और आंतरिक सुरक्षा इस प्रदेश की व्यवस्थाके लिए भी कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया इन सभी पहलुओं पर विचार किया जाए तो स्पष्ट हो जाता है की बजट जिसे नीतियों और कार्यों की दिशा तय करने का माध्यम माना जाता है ऐसा कुछ भी नहीं है केवल इधर का उधर -उधर का इधर करने के प्रयास को ही बजट कहा जाता है ये हमारे प्रणव दा ने सिद्ध कर दिया है .
सचमुच जनता अब सुत्रियों की घोषणा नहीं त्वरित कार्यवाही चाहती है ,तभी कालेधन की समस्या से देश को निजात मिलेगी
बजट ने सभी को बहुत निराश किया ,महंगाई पर रोक लगनी जरुरी है